केवड़िया से 6 गांवों के आदिवासियों का विस्थापन गुजरात एवं केन्द्र सरकार रोकें, नहीं तो राजधानी दिल्ली में होगा आंदोलन-डॉ. हीरालाल अलावा
राष्ट्रीय जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन के बैनर तले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की गूगल मीट संपन्न
हिम्मत सिंह बछानिया की रिपोर्ट
देवास/भोपाल। गोंडवाना समय।
गुजरात के केवड़िया से 6 गांव के आदिवासियों को कोरोना वायरनस महामारी के दौरान अपनी जमीन से जबरदस्ती बेदखली एवं पांचवी अनुसूची से अनुसूचित 10 राज्यों में से अधिकांश प्रदेश जैसे मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, झारखंड सबसे अधिक विस्थापन की मार झेल रहे हैं। उसमें भी सबसे ज्यादा आदिवासियों को ही अपनी जमीनों से बेदखल बिना पुनर्वास एवं स्पष्ट नीति के किया जा रहा है।
जयस संरक्षक की अध्यक्षता में 10 राज्यों के साथ हुई गूगल मीट
राष्ट्रीय जयस संरक्षक युवा जोश से लबरेज समाजसेवी एवं मध्यप्रदेश के मनावर से विधायक डॉ. हीरालाल अलावा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों एवं 10 राज्यों के प्रदेश प्रभारियों सहित देश के वरिष्ठ बुद्धिजीवी समाजसेवियों के साथ मीट के माध्यम से बैठक संपन्न हुई।
पीड़ितों से मिलने जाने पर गिरफतारी पर जताया अंतोष
गुजरात राज्य में केवड़िया के आदिवासियों के विस्थापन पर डॉ. हीरालाल अलावा ने कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए गुजरात एवं केंद्र सरकार से मांग की है कि यदि केवड़िया एवं किसी भी प्रदेश के आदिवासियों को उनके जल, जंगल एवं जमीन से जबरदस्ती बेदखल किया गया, तो पूरे देश के आदिवासी समाज को विश्वास में लेकर एक मंच पर लाकर कोरोना संक्रमण महामारी से हालत सामान्य होने के पश्चात राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन देश की राजधानी दिल्ली में किया जाएगा। साथ ही विस्थापन से प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ितों से मिलने जाने वाले जयस एवं अन्य समाजसेवी साथियों की गिरफ्तारी पर भी गहरा असंतोष व्यक्त किया गया। केवड़िया जैसी घटना से देश का आदिवासी समुदाय बहुत आक्रोशित है।
आदिवासियों के अधिकारों को दिलाने व शोषण के खिलाफ सामुहिक रूप से किया जाये प्रयास
तत्पश्चात जयस द्वारा समाज हित में अब तक किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की समीक्षा भी की गई। जिसमें पांचवी अनुसूची से अनुसूचित समस्त राज्यों में पांचवी अनुसूची वन अधिकार अधिनियम पेसा कानून के संवैधानिक प्रावधानों का धरातल पर क्रियान्वयन हेतु संबंधित राज्यों के राज्यपाल जो कि उस प्रदेश की जनता के संरक्षक होते हैं, वही महामहिम राष्ट्रपति जो कि देश की जनता के संरक्षक होते हैं, आदिवासियों दलित पिछड़ों एवं विकास की आखिरी पंक्ति में खड़े आदिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा एवं संरक्षण की मांग पुरजोर तरीके से उठाई गई। साथ ही देश के आदिवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, पलायन, बेरोजगारी उनके ऊपर होने वाले अन्याय, अत्याचार, शोषण के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक रूप से प्रयास तेज करने का संकल्प पारित किया गया।
मीटिंग का संचालन प्रोफेसर जामवंत कुमरे व आभार फौजी साहिब सिंह कलम ने व्यक्त किया
इसके साथ ही जयस कि आगामी कार्य योजना पर भी विस्तारपूर्वक सकारात्मक चचार्एं की गई। मीटिंग का एजेंडा एवं उद्देश्य मीटिंग के प्रारंभ में जयस के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबू सिंह डामोर द्वारा सभी के सामने रखा गया। मीटिंग का संचालन प्रोफेसर जामवंत कुमरे एवं रामू बडोले द्वारा किया गया। बैठक में जयस राष्ट्रीय प्रचारक फौजी साहिब सिंह कलम, जकास के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश महावी, महासचिव ध्रुव चौहान, दिल्ली प्रदेश प्रभारी मिथिलेश हेंब्रम, मध्य प्रदेश जयस अध्यक्ष अंतिम मुजाल्दे, महाराष्ट्र प्रदेश प्रभारी अमित तडवी, गुजरात प्रदेश प्रभारी कीर्तन भाई राठवा, हितेश राणा छत्तीसगढ़ जयस प्रभारी रामनारायण टेकाम उत्तर प्रदेश जयस प्रभारी अरविंद गोंड एवं निधि सहरिया उड़ीसा जयस प्रभारी, सीए तिर्की पश्चिम बंगाल प्रदेश प्रभारी स्वपन शरद राजस्थान प्रदेश प्रभारी सुरेंद्र कटारा, झारखंड प्रदेश प्रभारी संजय पाहन, श्याम कुमारी धुर्वे मंडला, श्रीमती अर्चना मड़ावी नागपुर, डॉ. अवनी पटेल गुजरात, रवि राज बघेल, परदेसी के राम हकीम रावत, रणजीत सिंह डामोर, राजन कुमार नई दिल्ली सहित सभी प्रदेशों के बुद्धिजीवी एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता सम्मिलित हुए। आभार फौजी साहिब सिंह कलम द्वारा माना गया।
bahot ji bure dor se aadivasi gujar rahe he kevadiya me. ab kuch karna padega . sarkar ko batana hoga ki aadivasi kya kar sakte he
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