आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर भारत
संपादकीय लेख
रमा टेकाम
बालाघाट
आज भारत को फिर अपनी ताकत पर पूरा विश्वास हो रहा है लेकिन दु:ख होता है कि यह बात कुछ सदियों से समझदार, बुद्धिजीवी, शिक्षित, अच्छे -अच्छे लोग कहलाने वालों ने क्यों नहीं समझा, जबकि हमारा अति प्राचीन इतिहास बताता है कि जो भी हमारे देश में बाहर से (विदेशी) आए उन्होंने फिर यहाँ से जाने का नाम नहीं लिया और कुछ सदियों से वो यहाँ बस गए और आज भी रह रहे है क्योंकि भारत है ही इतना सम्पन्न, समृद्ध प्राचीन से लेकर आज तक यह हमारा स्वर्णिम गौरवशाली इतिहास बताता है।
हमारे जीवन के लिए सर्वप्रथम अनाज, पानी की आवश्यकता होती है
वर्तमान स्थिति, परिस्थितियां से आज फिर साबित हो गया, हमारे जीवन के लिए सर्वप्रथम अनाज, पानी की आवश्यकता होती है, जो गाँव पर ज्यादातर निवास करने वाले गरीब, मजदूर लोग के द्वारा किसानी काम (खेती) कर उगाया जाता और उसी को खाकर लोग जीते है, ना कि अच्छे -अच्छे कपड़े पहनकर, टीवी देख या सिर्फ लम्बी लम्बी बातें कर जिया जाता है। आज कोरोना महामारी से बहुत सी सच्चाई सबके सामने आ गई, जैसे मजदूर वर्ग भले कमाने शहर चला गया था लेकिन आज विकट समस्या पर उसे गाँव ही याद आया, उसे पूर्ण विश्वास की वह गाँव पर अपना जीवन-यापन कर लेगा। उसी उम्मीद से वो अपने गाँव हजारों किलोमीटर चल कर भी लौट रहा है। जबकि जाते समय वो बिना किसी वाहन के नहीं गया होगा। यही भारत देश की आधे से अधिक आबादी का आत्मविश्वास गाँव पर निर्भर करता है। आज गाँव का व्यक्ति ज्यादा परेशान नहीं है जितना शहर के हो रहे क्योंकि गाँव पर रहने के कारण वहाँ की माटी ने संतोष करना सिखा दिया है।
तभी हमारे लघु उद्योग हमें देश के लिए लाभ पहुँचाऐंगे
आत्मनिर्भरता के लिए सर्वप्रथम हमें अपने देश के गाँवों की स्थिति को पूर्णत: सुधारना होगा। सिर्फ सड़क बनाने से काम नहीं चलेगा, गाँव के अनुसार लघु उद्योगों को हमको अत्याधिक बढ़ावा देना होगा, वो सिर्फ कागजी दस्तावेज पर नहीं, जमीनी स्तर से करना होगा, तभी हमारे लघु उद्योग हमें देश के लिए लाभ पहुँचाऐंगे।
नशा की शुरूआत पुन: शुरू कर नागरिकों के भविष्य के साथ साबित हो रहा खिलवाड़
हमारे देश के अधिकांश युवा पीढ़ी नशा (शराब, गुटखा) से अपना और अपने परिवार की दशा पूरी तरह बिगाड़ रहे है। सबसे पहले देश के नागरिक की मानसिक स्थिति बिगाड़ने वाली चीजों का कड़ाई से पालन करवा कर बंद करा देनी चाहिए क्योंकि जैसे ही लॉक डाउन हुआ और ये सब चीजों की दुकान बंद हुई तो कहीं से भी लड़ाई-झगड़े, हिंसक, मारपीट आदि की खबर नहीं आई, बल्कि ऐसे परिवारों के लोग बेहद खुश थे और पीने वाले भी अपने आप को उससे दूर कर लिए थे। उनका भी आत्मविश्वास बढ़ने लगा था और परिवार की जिम्मेदारी भलीभाँति समझने लगे थे लेकिन पुन: शुरू कर ये नासमझ भारतीय नागरिकों के भविष्य के साथ एक तरह खिलवाड़ साबित हो रहा है। समझदार इसे कौन सी व्यवस्था है ये अच्छे से समझ रहे है।
एक किसान की मौत मतलब देश के सबसे जिम्मेदार व्यक्ति की मौत है
भारत देश हमारा कृषि प्रधान देश है। इसे पहले और आज भी इसी के नाम से मुख्यत: विश्व में सर्वोपरि पहचान बनी है, तो शासन-प्रशासन को हमारे देश की जान, शान, मान, किसान को बिल्कुल भी परेशान ना करे बल्कि उनके कार्य के मुताबिक उन्हें मेहनताना देना चाहिए। एक किसान की मौत मतलब देश के सबसे जिम्मेदार व्यक्ति की मौत है। उनके साथ इंसाफ को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।
हर भारतीय का परम कर्तव्य, पहला धर्म देश प्रेम प्रमुख होना चाहिए
हर भारतीय का परम कर्तव्य, पहला धर्म देश प्रेम प्रमुख होना चाहिए ना कि सिर्फ नारे में चिल्ला चिल्लाकर देशभक्ति बताई जाएं, सभी वर्गों को समान समझा जाए। नारी शक्ति की इज्जत नारी समझ कर की जाएं, जात से नारी की इज्जत को ना तौला जाएं। युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बेरोजगारी महामारी का एक सटीक उपाय जल्द ही करना चाहिए।
तो देश अपने आप में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते फिर नजर आएगा बिना कुछ करें ही
हमारे सब भारतीय बंधुओं को स्वदेशी वस्तुओं का सेवन कर स्वस्थ एवं खुश रहना चाहिए। इससे सबसे ज्यादा हमारे देश की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और सरकार भी जो हमारे देश में उत्पादन हो रहा उसे बाहर से कतई ना बुलाये तो देश अपने आप में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते फिर नजर आएगा बिना कुछ करें ही।
बहुत बढ़िया 💐💐🌹🌹🙏
ReplyDeleteआत्मनिर्भर होकर ही निर्भय हुआ जा सकता है।दूसरे का भरोसा ज्यादा समय तक साथ नहीं देता।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मेडम जी ।आपका लेख युवाओं को प्रेरणा देने वाला और भाईचारा को बढाने वाला है ।
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