वन क्षेत्र में रेत का अवैध उत्खनन, बरघाट ब्लॉक का मामला
वन सुरक्षा समिति अध्यक्ष के जानकारी देने के बाद भी नहीं पहुंचा वन अमला
बरघाट। गोंडवाना समय।
वन विभाग का अमला नियम कानून के मामले में इतना कड़क है कि मजाल है कि बिना पूछे कोई वनांचल क्षेत्र का निवासी जंगल क्षेत्र में से घास का कूरा भी ला ले या जलाऊ सूखी लकड़ी ला ले तो, वन कानून की धाराओं में लपेट लिया जाता है।
यहां तक वन क्षेत्र से लगे हुये राजस्व का भी मामला हो तो वहां पर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी नियम कानून का हवाला देने लगते है लेकिन यदि जहां धनवर्षा की सेटिंग होती है और वहां पर कोई विभाग के नियमों के खिलाफ भी काम करें तो वहां पर क्षेत्र की सीमाओं को ही विभागीय अधिकारी कर्मचारी मापने लगते है और एक दूसरे पर थोपने लगते है।रेत खनन का एक मामला बरघाट जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत कुड़ोपार क्षेत्र के अंतर्गत वन सीमा में लगे हुये बाबली से रेत उत्खनन का मामला है।
रात के अंधेरे में टैक्टर से ढो रहे रेत
लॉकडाउन लगा हुआ है लेकिन उसके बाद भी रेत का काला कारोबारी का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते 5 मई 2020 को ही बरघाट जनपद पंचायत क्षेत्र की ग्राम पंचायत कुड़ोपार में सुबह 5 से 6 बजे के बीच में रेत बाबली गांव के पास स्थित वन क्षेत्र से निकाला जा रहा था। सूत्र बताते है कि रात के अंधेरे में रेत का खेल बीते कई दिनों से निरंतर जारी है। इसकी जानकारी क्षेत्रीय विभागीय अधिकारी कर्मचारी को भी है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
वन समिति अध्यक्ष ने दिया था सूचना
सूत्र बताते है कि ग्राम पंचायत कुड़ोपार के अंतर्गत वन क्षेत्र से रेत का अवैध रूप से उत्खनन किये जाने की सूचना बाबली ग्राम वन समिति के अध्यक्ष द्वारा मौके पर ही टैक्टर को पकड़कर दिया गया था लेकिन संबंधित विभाग के जिम्मेदार जानकारी मिलने के बाद भी नहीं पहुंचे। ऐसी स्थिति में कैसे वन क्षेत्र सुरक्षित रह सकते है और वन संपदा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं इस संबंध में क्या कार्यवाही हुई कोई भी जिम्मेदार जानकारी देने को भी तैयार नहीं है वहीं कुछ को तो जानकारी ही नहीं है।