बरगी विस्थापित गांव आज भी पहुंच मार्ग विहीन
विकास में योगदान करने वाले उपेक्षा के शिकार
सिवनी/घंसौर। गोंडवाना समय।
बरगी बांध से मंडला, सिवनी एवं जबलपुर के 162 गांव प्रभावित हुए। जिसमें सिवनी जिले के घंसौर विकास खंड के 48 गांव प्रभावित हुये है। हम आपको बता दे कि 80 के दशक में बनाये गये इस बांध के समय मध्य प्रदेश में कोई पुनर्वास नीति नहीं थी। मात्र 4 से 5 हजार रुपए एकङÞ का मुआवजा दिया गया और किसानों की नर्मदा कछार की उपजाऊ कृषि भूमि को डूबा दिया गया।
आज भी बना हुआ है आजीविका का संकट
इसके बाद 90 के दशक में विस्थापितो के पुनर्वास को लेकर अहिंसात्मक संघर्ष के बाद कुछ सङक, बिजली, पानी, स्कुल आदि की सुविधा राज्य सरकार द्वारा बनाई गई परन्तु आज भी आजीविका का संकट बना हुआ है। विस्थापितो ने प्रदेश के विकास हेतु अपना सब कुछ डूबा दिया परन्तु जनप्रतिनिधि और सरकारी अमला कभी इन गांव में जाकर विस्थापितो की सुध नहीं लेते।
मरम्मत कर चला रहे काम
ऐसा ही एक गांव बखारी(केदारपुर) के पास है जो आज भी पहुंच मार्ग बनने का इंतजार कर रहा है। कई बार इस सङक निर्माण के लिए धूमा पंचायत के सरपंच और ग्राम वासियो ने विधायक, सांसद, कलेक्टर, एसडीएम से गुहार लगा चुके हैं। वर्षात में पढ़ने के लिए केदारपुर जाने वाले बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव के लोग कच्ची सङक का समय -समय पर मरम्मत कर काम चला रहे हैं।
वोट लेने के लिये आती पांच साल में एक वार गाड़ी
इस सङक निर्माण की मंजूरी के बाद भी जिला मुख्यालय सिवनी में फाइल दबी हुई है। गांव में बीमार और गर्भवती महिलाओं को वर्षात के समय 108 वाहन की सुविधा नहीं मिल पाती है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जमीन अधिग्रहण के समय अधिकारी लोग विकास का लंबा वादा कर लापता हो गए। अब कोई नहीं आता है केवल पांच साल में वोट लेने वालों के वाहन ही आते है। इस लाक डाउन में एक बार फिर आवेदन क्षत्रिय विधायक और एसडीएम घंसौर को वाटस एप के माध्यम से प्रेषित किया गया है। आशा है इस बार सुनवाई हो जाए।