राष्ट्रपति के दत्तकपुत्र और शिवराज के भगवान 1 लाख 20 हजार देकर पहुंचे मुकाम
बस का किराया देकर बैगा और गोंड जनजाति के श्रमिक तेलंगाना से बालाघाट वापस पहुंचे
जनसेवक सांसद ढाल सिंह बिसेन और विधायक संजय उईके की खुली पोल
श्रमिकों को मदद करने के केंद्र व राज्य सरकारों के बढ़ते हुये आंकड़े, टी व्ही में चल रहे श्रमिकों की मददगार सरकार के विज्ञापनों और श्रमिकों की सहायता पर खर्च होने वाले बजट बढ़ता ही जा रहा है। सरकार में बैठे अर्थशास्त्रियों और वरिष्ठ आॅडिटरों के रहते भी इन आंकड़ों पर सवाल उठा भी नहीं सकते है।
बालाघाट/सिवनी। गोंडवाना समय।
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र, धरती के पहले मानव, विशेष सरंक्षित बैगा जनजाति, गोंड जनजाति और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के भगवान कितने परेशान हैरान होकर तेलंगाना से अपने मुकाम के जिला मुख्यालय बालाघाट पहुंचे है।
इनके साथ में नन्हें-मुन्ने बच्चे भी है, सभी को मुर्रा खाते हुये उनके चेहरे को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेट में भूख की तड़पन को इन्होंने इतने दिनों तक कैसे मिटाया होगा। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के दावों और आंकड़ों की बाजीगरी इनके चेहरे और परेशानी की दास्तान स्वयं बयां कर रही है। इसके साथ ही संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन और क्षेत्रिय विधायक संजय उईके के जनसेवक होने की पोल भी खोल रही है। वहीं पलायन कर बाहर कर श्रमिकों की संख्या रूपी तूफान ने सरकारी योजनाओं के हरे पेड़ को जड़ सहित उखाड़कर रख दिया है और बता दिया है अंदर से सरकार की योजनाएं कितनी खोखली है।
तेलंगाना से 2 बसों में किराया देकर पहुंचे बालाघाट
हम आपको बता दे कि लॉकडाउन के पहले ही तेलंगाना में मिर्च तोड़ने के काम पर गये हुये बालाघाट जिले से बैहर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों से 90 श्रमिक जिनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी है। वे वहां पर लॉकडाउन के बाद से ही फंसे हुये थे। वह अपने घर वापस नहीं आ पा रहे थे। उनकी मेहनताना में मिले रूपयों को ही वे किराये पर 2 बस करके जिसका किराया उन्होंने 1 लाख 20 हजार रूपये देकर बालाघाट पहुंचे है।
1 बसे में 45 थे सवार
हम आपको बता दे कि वह 2 बसो में सवार होकर कुल 90 लोग तेलंगाना से वापस आये है। जिन्हें तेलगांना राज्य के खम्मम जिला कलेक्टर कार्यालय से अनुमति 2 मई को प्रदान की गई थी। बालाघाट जिले के बैहर विधानसभा क्षेत्र से तेलंगाना काम करने के लिये गये हुये श्रमिकों में बैगा जनजाति व गोंड जनजाति के लोग शामिल है। बस चालक ने उन्हें 3 व 4 मई की दरम्यानी रात में आवलाझरी पैट्रोलपंप में रात्रि में 3 बजे लाकर छोड़कर वापस चला गया था। एक बस में 45 लोग बैठकर आये थे कुल 90 लोग 2 बसो में वापस आये थे। जिनका किराया प्रति बस 60 हजार रूपये के हिसाब 1 लाख 20 हजार रूपये देना पड़ा जो कि श्रमिकों ने स्वयं सभी ने मिलकर दिया है। इन्हें न तो तेलंगाना राज्य से कोई मदद मिली है और न ही मध्य प्रदेश सरकार से आने के लिये सहायता मिली है।
बिरसा बिग्रेड ने कराया चाय-नाश्ता
तेलांगना से 90 बैगा व गोंड जनजाति परिवार को आवलाझरी पेट्रोल पंप रात्रि में 3:00 बजे लाकर छोड़ा गया था। इसकी सूचना मिलने पर बिरसा ब्रिगेड बालाघाट टीम मौके पर पहुँची। जहाँ सभी 90 लोगो के लिए चाय-नास्ता, बिस्कुट की व्यवस्था की गई। बालाघाट बिरसा ब्रिगेड बालाघाट के संयोजक गोविन्द प्रसाद उइके, पुनालाल भंडारी, काशी नगपुरे, सत्येंद्र इनवाती, प्रभुदयाल उइके, विक्रम सिंह मर्सकोले, रामकिशोर टेकाम, सुमित मरकाम, विक्रम उइके, पवन मसराम एवं सभी टीम के द्वारा चाय-नास्ता, फल-बिस्कुट की व्यवस्था कर उन्हें भूख से बचाया गया।
मालिक ने भी किया शोषण
हम आपको बता दे कि जिस मालिक सेठ के यहां पर श्रमिक काम करने बालाघाट से गये हुये थे उन्हें मिलने वाली मजूदरी का रूपये ही मालिक ने बस का किराया के रूप में श्रमिकों से वापस ले लिया । उक्त जानकारी देते हुये वापस आये श्रमिकों ने बताया तो सुनने वाले के दिल को झंझोर कर रख दिया है। गढ़ी से तेलांगना परिवार का भरण पोषण करने के लिए गए हुए थे बहुत मेहनत से रुपए कमा कर जमा पूंजी भविष्य के लिए रखे थे। इस आपदा में अपने घर वापस आने के लिए जिस मालिक के पास काम करते थे उसी मालिक ने 90 लोगो को भेजने के लिए उन्ही से 1.20 लाख रुपए लिए और उन्हें बालाघाट तक भेजा।
लॉकडाउन के पहले सूचना देती सरकार तो यह हालात नहीं बने
यदि भारत में लॉक डाउन करने के पहले भारत सरकार सभी को अपने-अपने घर जाने की सुचना दे देती। तो पलायन कर बाहर गये श्रमिकों की आज ये हालात नहीं बनती। वही अमीरो के बच्चों को दूसरे स्थान से लाने के लिए एरोप्लेन और एसी बस की सुविधा नि:शुल्क दी गई लेकिन इन गरीबो के खून पसीने की कमाई का पैसा लिया गया वही दूसरी ओर ट्रेनों से लोगो को लाया जा रहा है किन्तु उसकी भी किराया श्रमिको से वसूला जा रहा है।
जनसेवक सासंद व विधायक की खुली पोल
हम आपको बता दे कि बालाघाट संसदीय क्षेत्र के सांसद डॉ ढाल सिंह बिसेन लॉकडाउन लगने के काफी दिनों बाद किसानों की समस्याआें को जानने के लिये खरीदी केंद्रों पर निरीक्षण करने बाहर निकले थे वहीं बालाघाट संसदीय क्षेत्र जनजाति बाहुल्य क्षेत्र है यहां के अधिकांश श्रमिक अभी भी बाहर राज्यों में फंसे हुये है लेकिन उनके द्वारा बाहर से श्रमिकों को वापस लाने के लिये कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है।
इसी तरह बैहर विधानसभा के विधायक संजय उईके के क्षेत्र से विशेष संरक्षित बैगा जनजाति और गोंड जनजाति के श्रमिक तेलंगाना से 1 लाख 20 हजार रूपये किराया देकर बस में वापस आये है। सांसद व विधायक के जनसेवक होने की पोल श्रमिकों ने खोलकर रख दिया है।
बालाघाट बिरसा ब्रिगेड बालाघाट के संयोजक गोविन्द प्रसाद उइके, पुनालाल भंडारी, काशी नगपुरे, सत्येंद्र इनवाती, प्रभुदयाल उइके, विक्रम सिंह मर्सकोले, रामकिशोर टेकाम, सुमित मरकाम, विक्रम उइके, पवन मसराम एवं सभी टीम ह्रदय से कोटी कोटि धन्यवाद
ReplyDeleteसांसद ढाल सिंह बिसेन और विधायक संजय उईके श्रमिकों को मदद करने के केंद्र व राज्य सरकारों की नाकाम कार्यश्रेणी माफ करने योग्य नही ह