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अमर शहीदों की गाथा, मरकर भी नहीं मरती

अमर शहीदों की गाथा, मरकर भी नहीं मरती

देश की धरती, ओ मेरे देश की धरती।
देश की जनता, तुम्हारी वंदना करती।
ेदेश की धरती, ओ मेरे देश की धरती।
सत्य, अहिंसा, त्याग, प्रेम से-सींचा है हमने।
शौर्य, पराक्रम, बाहुबल से-जीता है हमने।
अमर शहीदों की गाथा, मरकर भी नहीं मरती। 
देश की जनता तुम्हारी वंदना करती।
गांधी, गौतम, ईसा, नानक-की पावन भूमि।
जग-जाहिर और सर्व-पुरातन-है भारत भूमि।
तुझे नमन भारत-माता, वीरों की सदा जननी।
देश की जनता, तुम्हारी वंदना करती।
गीता, बाइबिल, गुरुग्रंथ है-और कुरान संदेश।
विश्व पताका बनें तिरंगा-गूंजे जय-भारत घोष।
अजर अमर हे! प्राणमयी, उपकार सदा करती।
देश की जनता, तुम्हारी वंदना करती।

(कवि-अलाल जी देहाती)

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