पृथ्वी को हरा भरा स्वच्छ ग्रह बनाने का किया आह्वान
50 वें विश्व अर्थ डे के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने अपनी उपभोक्तावादी जीवनशैली को बदलने तथा विकास की अवधारणाओं पर पुनर्विचार करने को कहा
पर्यावरण अनुकूल नीतियां अपना कर प्रकृति सम्मत विकास पर ही हमारा भविष्य निर्भर करेगा
जरूरी है कि हम अक्षय ऊर्जा स्रोतों,पर्यावरण सम्मत ग्रीन बिल्डिंग, प्रदूषण मुक्त स्वच्छ टेक्नोलॉजी तथा इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर अग्रसर हो
उपराष्ट्रपति ने स्थानीय समुदायों से reduce, reuse तथा recycle के मंत्र को अपनाने का आग्रह किया
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज सभी नागरिकों से पृथ्वी को हरा भरा स्वच्छ ग्रह बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण हर एक का पुनीत नागरिक कर्तव्य है।
उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज सभी नागरिकों से पृथ्वी को हरा भरा स्वच्छ ग्रह बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण हर एक का पुनीत नागरिक कर्तव्य है।
विश्व अर्थ डे के अवसर पर अपने संदेश में उन्होंने कहा, " हमें प्रकृति के संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए, अपनी उपभोक्तावादी जीवन शैली में परिवर्तन करना चाहिए तथा विकास की अपनी अवधारणा पर पुनर्विचार करना चाहिए"।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोविड 19 महामारी के अनुभव के बाद हमें अपनी विकास और आर्थिक नीतियों की नए सिरे से पुनः समीक्षा करनी चाहिए और विकास की नई अवधारणा का विकसित करनी चाहिए।
कोविड 19 संक्रमण के कारण विश्व व्यापी स्वास्थ्य आपदा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि लंबी अवधि की व्यापक बंदी ने पूरे विश्व को थाम सा दिया है, जिससे प्रदूषण के स्तरों में गिरावट देखी जा रही है, वायु अधिक स्वच्छ हो गई है, हमें समझना चाहिए कि मानव ने किस हद तक प्राकृतिक संतुलन को हानि पहुंचाई है।
विश्व अर्थ डे 2020 के विषय क्लाइमेट एक्शन, की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि " हमें अपनी पिछली गलतियों से सीखना चाहिए और अपने अस्तित्व मात्र के लिए प्रकृति तथा मानव के बीच परस्पर निर्भरता को समझना चाहिए। आज हम एक दूसरे पर परस्पर निर्भर विश्व में रह रहे हैं और विकास तथा आधुनिकीकरण के लिए पुराना ढर्रा नहीं अपनाए रह सकते क्योंकि हर कदम पर्यावरण पर प्रभाव डालता है।"
उन्होंने लोगों से पर्यावरण संरक्षण का सजग सक्रिय प्रहरी बनने का आह्वान किया।
एक प्रकृति सम्मत विश्व के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण अनुकूल नीतियों को अपनाने की जरूरत की चर्चा करते हुए श्री नायडू ने यूएनडीपी के अध्ययन का ज़िक्र किया जिसके अनुसार ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में 1990 के मुकाबले 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। यूएनडीपी के अनुमान को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि मौसम परिवर्तन तथा क्लाइमेट एक्शन की दिशा में साहसी कदम उठा कर 2030 तक 26 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के लाभ अर्जित किए जा सकते हैं। यदि अक्षय ऊर्जा पर ध्यान दें तो सिर्फ ऊर्जा के क्षेत्र में ही 2030 तक 18 मिलियन रोज़गार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
अनुमान के अनुसार वायु प्रदूषण से ही विश्व भर में हर साल 7 मिलियन मौतें होती है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि अक्षय ऊर्जा, पर्यावरण सम्मत ग्रीन बिल्डिंग, प्रदूषण मुक्त स्वच्छ तकनीक तथा इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में अग्रसर हो।
उन्होंने स्थानीय समुदायों से आग्रह किया कि वे बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अपनाएं और reduce, reuse तथा recycle के मंत्र को जीवन में अपनाएं। उन्होंने कहा कि " एक समाज के रूप में हमें सम्मिलित रूप से प्रकृति सम्मत जीवन शैली की तरफ बढ़ना चाहिए"। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक बेहतर भविष्य के लिए प्रकृति और संस्कृति का संरक्षण करना आवश्यक है।