शिवराज सरकार में जरूरतमंदों को भोजन देने का पैमाना तय
100 पैकेट भोजन देने की क्षमता वाले ही कर सकते है सेवा
शिवराज सरकार में जरूरतमंदों की सेवा करने की सीमायें लागू
सरकार राशन कार्ड वालों के साथ जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें भी अनाज उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है। इस आधार पर हम यह कह सकते है कि समस्त परिवारजनों के पास भोजन हेतु अनाज की व्यवस्था सरकार कर रही है। इस आधार पर हम कह सकते है कि भूख और भोजन की कोई समस्या नहीं होना चाहिये। फिर भी किसी कारण वश जिन्हें अनाज समय पर प्राप्त नहीं मिल पाया हो तो हो सकता है कि उनकी संख्या कम ही होगी लेकिन यदि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रतिदिन व्डीयोक्रांफेसिंग में यह कह रहे है कि कोई भूखा न सोय या न रहे तो हम पर न सही लेकिन मुख्यमंत्री की बातों पर भरोसा करना ही चाहिये क्योंकि दीनदयाल रसोई में ही हजारों की संख्या में रोज भोजन करने के आंकड़े जारी हो रहे है। इसके साथ ही अब भोजन के लिये मदद करना हो तो पहले आपको 100 व्यक्तियों की संख्या का पता लगाना होगा और 100 पैकिट भोजन देने वालों को यह मानव सेवा या राष्ट्र धर्म निभाने का अवसर आपको मिल सकता है।
कड़वी कलम
संपादक विवेक डेहरिया
दैनिक गोंडवाना समय
लॉकडाउन के दौरान देश के महामहिम राष्ट्रपति जी भी भारत देश में भूख से संबंधित समस्या को लेकर चिंतित है और राज्यपालों की वीडियों कांफ्रेसिंग में महामहिम राष्ट्रपति ने कोई भूखा न रहे का संदेश दिया है। मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी पहली बार लॉकडाउन लगने के बाद से ही राजभवन से प्रतिदिन 100 पैकिट भोजन बनवाकर भिजवा रहे थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार-बार यह बोल रहे है कि कोई भूखा न सोये वहीं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने तो पूर्व में कई बार अपने संदेश में कहा ही था उसके बाद 14 अप्रैल को पुन: उन्होंने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाते हुये राष्ट्र के नाम संदेश में सात बातों का साथ देशवासियों से मांगा है जिसमें पांचवी बात में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है कि जितना हो सके उतने गरीब परिवार की देखरेख करें, उनके भोजन की आवश्यकता पूरी करें, मतलब साफ है कि देश के प्रथम नागरिक, महामहिम राज्यपाल, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को देश में व्याप्त भूख की समस्या का एहसास पुख्ता जानकारी के साथ समझ आ रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार-बार यह बोल रहे है कि कोई भूखा न सोये वहीं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने तो पूर्व में कई बार अपने संदेश में कहा ही था उसके बाद 14 अप्रैल को पुन: उन्होंने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाते हुये राष्ट्र के नाम संदेश में सात बातों का साथ देशवासियों से मांगा है जिसमें पांचवी बात में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है कि जितना हो सके उतने गरीब परिवार की देखरेख करें, उनके भोजन की आवश्यकता पूरी करें, मतलब साफ है कि देश के प्रथम नागरिक, महामहिम राज्यपाल, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को देश में व्याप्त भूख की समस्या का एहसास पुख्ता जानकारी के साथ समझ आ रही है।
जरूरतमंदों को भोजन की व्यवस्था कैसे आगे आकर करते हुये अपना राष्ट्रधर्म निभा रहे है
मध्य प्रदेश के राज्यपाल ने स्वयं अपने घर से भोजन के पैकेट तैयार करवाकर भिजवाया। भारत में इलेक्ट्रानिक व प्रिंट मीडिया के साथ साथ सोशल मीडिया में भरी तस्वीरे और चलचित्र बयां कर रहे है कि भारत में मानवता का कर्म करते हुये समाज सेवक, जरूरतमंदों को भोजन की व्यवस्था कैसे आगे आकर करते हुये अपना राष्ट्रधर्म निभा रहे है।
हालांकि अधिकांशतय: लोगों ने अब जरूरतमंदों की सेवा करते हुये फोटोग्राफस को सोशल मीडिया में वायरल करना बंद कर दिया है। यह एक तरह से ठीक भी है पर चेहरा देखकर जरूरतमंदों की सेवा का प्रमाण पत्र प्रदान करने वाले कुछ विभागीय अधिकारियों के लिये प्रमाण के रूप में फोटोग्राफस को सुरक्षित रखना भी बेहद जरूरी है ताकि समय आने पर प्रमाणित कर सकें।
हालांकि अधिकांशतय: लोगों ने अब जरूरतमंदों की सेवा करते हुये फोटोग्राफस को सोशल मीडिया में वायरल करना बंद कर दिया है। यह एक तरह से ठीक भी है पर चेहरा देखकर जरूरतमंदों की सेवा का प्रमाण पत्र प्रदान करने वाले कुछ विभागीय अधिकारियों के लिये प्रमाण के रूप में फोटोग्राफस को सुरक्षित रखना भी बेहद जरूरी है ताकि समय आने पर प्रमाणित कर सकें।
बिना राशन कार्ड वालों को भी अनाज उपलब्ध करवा रही सरकार
इस संकट के समय में एक सबसे अच्छी बात तो यह है कि सरकार की सराहनीय पहल है कि वह राशन कार्ड वालों के साथ साथ बिना राशन कार्ड वालों को भी अनाज उपलब्ध करवा रही है। इस आधार पर भोजन की समस्या या भूख की समस्या अब देश व प्रदेश में कम ही होगी लेकिन हम दीनदयाल रसोई से भोजन प्रदान करने वाले व्यक्तियों के आंकड़े पर गौर करें और सोशल मीडिया में मानव सेवा करने वाले समाज सेवकों के द्वारा जरूरतमंदों की मदद करने वालों की जानकारी वायरल होती देखते है।
इसके साथ ही समाचार पत्रों में सहयोग करने वालों के समाचारों से जानकारी मिलती है कि भोजन की आवश्यकता अभी कितनी संख्या में पड़ रही है। ऐसा भी हो सकता है कि जहां राशन कार्ड धारी के साथ साथ बिना राशन कार्ड वालों को भी अनाज उपलब्ध करवाया जा रहा है साथ में समाजिक संस्थायें भी अनाज उपलब्ध करवा रही है और जहां पर अच्छा प्रशासनिक प्रबंधन हो वहां पर भोजन की आवश्यकता वाले व्यक्तियों की संख्या कम ही होगी लेकिन एक जिले में बने नियम ने जरूरतमंदों की सेवा करने को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है।
इसके साथ ही समाचार पत्रों में सहयोग करने वालों के समाचारों से जानकारी मिलती है कि भोजन की आवश्यकता अभी कितनी संख्या में पड़ रही है। ऐसा भी हो सकता है कि जहां राशन कार्ड धारी के साथ साथ बिना राशन कार्ड वालों को भी अनाज उपलब्ध करवाया जा रहा है साथ में समाजिक संस्थायें भी अनाज उपलब्ध करवा रही है और जहां पर अच्छा प्रशासनिक प्रबंधन हो वहां पर भोजन की आवश्यकता वाले व्यक्तियों की संख्या कम ही होगी लेकिन एक जिले में बने नियम ने जरूरतमंदों की सेवा करने को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है।
समाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के अधिकारी ने बनाया पैमाना
हम आपको बता दे कि देश के हृदय प्रदेश मध्य प्रदेश जहां पर अब शिवराज सरकार का राजपाठ कायम है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राजपाठ वाले मध्य प्रदेश के एक जिले में जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने के लिये पैमाना तय कर दिया गया है।
ऐसा निर्णय करने का काम कुछ करना नहीं और जनसुनवाई में बैठे-बैठे विभाग की योजनाआें का लाभ दिलाकर छपास के शौकीन समाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के एक अधिकारी के द्वारा बनाया गया है। समाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग का अधिकारी चाटूकारों के चेहरा देखकर जरूरतमंदों की सेवा करने का अभी से समाजसेवकों को प्रमाण पत्र मुंह से ही बांट रहा है।
शायद वह यह भूल कर रहे है कि समाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग की कुर्सी में बैठकर किसी के समाज सेवक होने का निर्णय तय नहीं कर सकते है और न समाज सेवा का पैमाना भी तय नहीं कर सकते है और यह कोई श्रेय लेने न देने का विषय और न ही वर्तमान स्थिति में समय है। सेवा का एक माध्यम और समय सिर्फ लॉकडाउन में ही नहीं है।
जिन्हें मानव कर्म और राष्ट्र धर्म का कर्तव्य निभाना है, वह न तो सरकार, शासन-प्रशासन के भरोसे है। जरूरतमंदों की सेवा मानव सेवा का कर्म धर्म यह भारत की मिट्टी, संस्कृति में रचा-बसा है जो आदिकाल से चला आ रहा है और आगे भी चलता रहेगा। हां लेकिन जो बात देश के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री कह रहे है वह बात पंचायत समाजिक न्याय विभाग के अधिकारी को समझ नहीं आ रही है। इसलिये उन्होंने जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने का पैमाना तय कर दिया है।
ऐसा निर्णय करने का काम कुछ करना नहीं और जनसुनवाई में बैठे-बैठे विभाग की योजनाआें का लाभ दिलाकर छपास के शौकीन समाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग के एक अधिकारी के द्वारा बनाया गया है। समाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग का अधिकारी चाटूकारों के चेहरा देखकर जरूरतमंदों की सेवा करने का अभी से समाजसेवकों को प्रमाण पत्र मुंह से ही बांट रहा है।
शायद वह यह भूल कर रहे है कि समाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग की कुर्सी में बैठकर किसी के समाज सेवक होने का निर्णय तय नहीं कर सकते है और न समाज सेवा का पैमाना भी तय नहीं कर सकते है और यह कोई श्रेय लेने न देने का विषय और न ही वर्तमान स्थिति में समय है। सेवा का एक माध्यम और समय सिर्फ लॉकडाउन में ही नहीं है।
जिन्हें मानव कर्म और राष्ट्र धर्म का कर्तव्य निभाना है, वह न तो सरकार, शासन-प्रशासन के भरोसे है। जरूरतमंदों की सेवा मानव सेवा का कर्म धर्म यह भारत की मिट्टी, संस्कृति में रचा-बसा है जो आदिकाल से चला आ रहा है और आगे भी चलता रहेगा। हां लेकिन जो बात देश के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री कह रहे है वह बात पंचायत समाजिक न्याय विभाग के अधिकारी को समझ नहीं आ रही है। इसलिये उन्होंने जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने का पैमाना तय कर दिया है।