सिंबल आॅफ नॉलेज भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर जी को घर-घर में दीप प्रज्वलित कर किया गया याद
जगदलपुर। गोंडवाना समय।
भारत के संविधान निमार्ता, चिंतक, समाज सुधारक विश्वरत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी के जयंती पर बस्तर के घर-घर में दीप प्रज्वलित कर जयंती बनाया गया । जिसमें अपने घर पर ही संविधान का वाचन के साथ बाबा साहेब की जयंती पर घर-घर पर शाम को दीप प्रज्वलित कर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी को याद किया गया। प्रत्येक घर में दिया या मोमबत्ती जलाकर बाबासाहेब को याद किया गया।
परिवार को बताया इतिहास
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी के परिचय अपने संविधान पुस्तक के माध्यम से अपने परिवार जनों को दिया गया । तोकापाल ब्लॉक के ग्राम डोंगरीगुड़ा में सन्तु मौर्य ने अपने बाबासाहेब के संपूर्ण रूप से विस्तृत जानकारी अपने परिवार को दिया। जिसमें अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। वे अपने माता-पिता की 14वीं और अंतिम संतान थे। बाबा साहेब के नाम से मशहूर अंबेडकर अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया। इस दौरान बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। उनकी जयंती पर जानें बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन से जुड़ी 15 खास बातें ।
अमेरिका में पढ़ाई करना बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतीय से मासिक स्कॉलरशिप मिलने के कारण संभव हो सका था। इसके बाद 1921 में उन्होंने लंदन स्कूल आॅफ इकॉनोमिक्स से एमए की डिग्री ली।अंबेडकर दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए 'बहिष्कृत भारत', 'मूक नायक', 'जनता' नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालने शुरू किये। 1927 से उन्होंने छुआछूत जातिवाद के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया। महाराष्ट्र में रायगढ़ के महाड में उन्होंने सत्याग्रह भी शुरू किया। उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर ह्यमनुस्मृतिह्ण की तत्कालीन प्रति जलाई थी। 1930 में उन्होंने कलारम मंदिर आंदोलन शुरू किया।
1935 में अंबेडकर को गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे का प्रिंसिपल बनाया गया। वह दो साल तक इस पद पर रहे।आंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया।उन्हें संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया। भारत की आजादी के बाद उन्हें कानून मंत्री बनाया गया। अंबेडकर ने 1952 में बॉम्बे नॉर्थ सीट से देश का पहला आम चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। वह बार राज्यसभा से दो बार सांसद रहे। संसद में अपने हिन्दू कोड बिल मसौदे को रोके जाने के बाद अंबेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी ।अंबेडकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे जो जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है। 14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर और उनके समर्थकों ने पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया। 6 दिसंबर, 1956 को अंबेडकर की मृत्यु हो गई। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया। इस तरह की जानकारी आदिवासी युवा छात्र संगठन ,सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग ,सर्व आदिवासी समाज जिला बस्तर की समस्त पदाधिकारी एवं सामाजिक स्तर के पदाधिकारियों द्वारा दिया गया ।
जिसमें बड़े चकवा पूरन सिंह कश्यप, गढ़िया इंदर मांझी ,लौंहंडीगुड़ा भरत कश्यप, केलाउरमुन्ना लाल कश्यप, मधोता सत्यदेव नाग ,बागमोहाली मानसिंह कश्यप , छोटे अलनार भुनेश्वर बघेल ,नारायणपाल सोमरु बघेल, अनाम बघेल करपावन्द, गंगा बघेल छापर भानपुरी अनिल नाग दरभा, वनमाली बघेल बेलर, संतूराम मौर्य,डोंगरीगुड़ा, पुश कुमार कश्यप किलेपाल, रेनू बघेल सोनारपाल, दिनेश नाग बस्तर कमलेश कश्यप भातपाल, लखेस्वर कश्यप भाटपाल आदि गांवो में याद करते हुए अपना वाचन के साथ संपूर्ण जीवन परिचय डॉक्टर भीम राव अंबेडकर जी के बारे में दिया गया ।