नैतिकता का अस्तित्व बना रहेगा तो ही समाज में मानवता कायम रहेगी
इस वक्त ने मानव जाति के स्वभाव में परिवर्तन लाने की सीख दे रही है
संयम, धैर्यता, सेवा भाव, मितव्ययिता, अल्पभोगी, सहकारिता की भावना,
परिवार की महत्ता और रिश्तों की प्रगाढ़ता, देशभक्ति, नवीन विचारों की उत्पत्ति,
सामाजिक दूरी का अस्तित्व, पाश्चात्यीकरण का फर्क, सादगीपूर्ण जीवन शैली का रँग,
हाथ की सफाई का महत्व, उंच-नीच, छुआ-छुत की भावना को त्यागकर,
मानवता का पालन करना, अभावग्रस्त जनों की सेवा,
मादक पदार्थों से हानि की जानकारी और इसके बिना जीवन शैली का महत्व,
सरकारी अस्पतालों का, डॉक्टरों, नर्सों, पुलिस के प्रति सम्मान की भावना,
आदि की मह्त्व की जरूरत। घर के सेवाकर्मियों की जरूरत और उनकी उपयोगिता,
अल्प बचत का महत्व, जल-जंगल-जमीन का महत्व, ज्यादा आराम हराम में बात की सीख,
घर के भोजन का महत्व, जीवन क्या है, धन-सम्पत्ति की लालसा, विलासिता का जीना,
आलीशान बंगले, चमचमाती गाड़ी, मँहगेँ वस्त्र पहनने का शौक, भी फीका पड़ गया आज।
यदि हम सब जीवन के सत्य को जान लें कि भौतिकता सब दिखावा लगता है
और शाश्वत कर्म ही सदा जीवित रहते हैं ।
अब आपको सोचने की जरूरत है-----अशेष शब्दों के साथ--- -
आपका साथी
एच. एस. अरमो, रायपुर