संक्रामक रोगों के प्रति बहुत सचेत थे वो अनपढ़ बुजुर्ग
सिवनी। गोंडवाना समय।
कोरोना वायरस से फैल रही महामारी से आज पूरी दुनिया पीड़ित है। इसे रोकने के लिये हर संभव कोशिश की जा रही है। इस संक्रामक रोग को फैलाने में देश के कुछ शिक्षित और जिम्मेदार लोगों की उदासीनता गंभीर संकट का कारण बन सकती है।
आज से साठ-सत्तर साल पहले संक्रामक रोगों के प्रति हमारे समाज के अनपढ़ बुजुर्ग बहुत सचेत थे, संक्रामक बीमारियों को रोकने के लिये सामाजिक कानून बहुत सराहनीय थे उक्ताशय के विचार व्यक्त करते हुये संत रविदास समाज संघ जिला सिवनी के अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने बताया कि आज से करीब साठ साल-सत्तर साल पहले पूरे देश में एक संक्रामक बीमारी फैली। इस बीमारी से काफी संख्या में मृत्यू भी हुई थी ।
उस दौरान हुई बीमारी ने बच्चों, बुजुर्गों और हट्टे-कट्टे नौजवानों को भी नहीं छोड़ा । हमारी सिवनी जिला भी इस बीमारी की चपेट में आ गया था। उसी समय हमारे मोहल्ले के अनपढ़ बुजुर्गों ने बड़े कठोर सामाजिक नियम लागू किये। जैसे इस बीमारी से पीड़ित कोई भी सगा रिश्तेदार और उसके साथ का परिजन मोहल्ले में प्रवेश नहीं करेगा। उसे सीधे अस्पताल जाने के निर्देश दिये जाते थे।
वहीं कोई भी काम से अन्य जिले या गांव के व्यक्ति को मोहल्ले का कोई भी व्यक्ति घर में नहीं घुसने देगा। किसी काम से मोहल्ले का कोई व्यक्ति दूसरे जिला या गांव गया है तो वह भी बीमारी की रोकथाम तक वापिस मोहल्ला में नहीं आयेगा। यहां तक ये सामाजिक पाबंदिया हमारे समाज के गांवों में भी लगाई गई थी। इसका उल्लंघन करने पर कठोर समाजिक बहिष्कार की चेतावनी को नियम में बदला गया था।
संत रविदास समाज संघ के जिला अध्यक्ष रघुवीर अहरवाल ने आगे बताया कि शायद वह बीमारी हैजा या लाल बुखार था जिसे नगर के 70 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्ग जानते है। श्री रघुवीर अहरवाल ने आम जनता से अपील किया है कि कोरोना वायरस से बचने के लिये जो प्रयास जिला प्रशासन द्वारा किये जा रहे है, वे सराहनीय है और जनता के हित में है। उनके निर्देशों का पालन बहुत जरूरी है।