जसिंता फ्रांस में आदिवासी साहित्य पर करेंगी संवाद और सुनायेंगी कविता
आदिवासियों की विविधता, भावनायें, संघर्ष फ्रांस के आदमी भी जाने
रांची। गोंडवाना समय।
झारखंड की हिंदी युवा कवि जसिंता केरकेट्टा कविता संग्रह अंगोर के फ्रेंच भाषा में अनुवाद का लोकापर्ण पेरिस में होगा। जसिंता केरकेट्टा फ्रांस की प्रतिष्ठित सोरबोन यूनिवर्सिटी में भी अपनी कवितायें पढ़ेंगी और वहां के युवाओं व शोधार्थियों से संवाद करेंगी। फ्रांस के लोगों को उनकी कविताओं से रूबरू कराने के लिये फ्रेंच इंस्टियूट व फ्रेंच दूतावास ने सम्मिलित रूप से उनका चयन किया है। जसिंता 9 मार्च को रवाना हो रही है। जसिंता केरकेट्टा झारखंड के आदिवासी पृष्ठभूमि से आने वाली हिन्दी की प्रथम कवि के रूप में जानी जाती है। जसिंता केरकेट्टा की दूसरी कविता संग्रह जड़ों की जमीन और आने वाली तीसरी कविता संग्रह ईश्वर और बाजार भी जल्द ही फ्रेंच भाषा में उपलब्ध होगी। ईश्वर और बाजार भी इस वर्ष राजकमल प्रकाशन नयी दिल्ली से प्रकाशित होने वाली है।
करोड़ों में आदिवासी समाज पर नहीं पहुंचती कहीं आवाज
जसिंता केरकेट्टा कहती है कि फ्रच इंस्टिट्यूट और फ्रच दूतावास, नई दिल्ली के संयुक्त सहयोग और पहल पर पहली बार फ्रांस जाना संभव हो रहा है। यह यात्रा सुनिश्चित करते हुए उनका कहना था भारत इतना भर नहीं है जितना टीवी और अखबार में दिखता है। करोड़ों की संख्या में यहां आदिवासी हैं और हाशिए का वह समाज है जिसकी अपनी आवाज है। मगर वह आवाज कहीं नहीं पहुंचती। वह विविधता, उनकी भावनाएं, उनका संघर्ष भी फ्रांस के आम आदमी तक पहुंचे।
मैं उनकी हमेशा रहूंगी शुक्रगुजार
जसिंता केरकेट्टा आगे कहती है कि फ्रच इंस्टिट्यूट, दिल्ली ने इस यात्रा के लिए बहुत स्नेह और फिक्र के साथ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा है वहीं वे कहती है कि मैं उनकी हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी और उनकी भी जिन्होंने कई दिनों से शहर में कार्यक्रमों की तैयारियां की हैं। इस दौरान कविताएं, संवाद का माध्यम बन गई हैं। दलित और मुस्लिम समाज के कवि साथ मंच साझा करेंगे। फ्रांस में दलित साहित्य पर चर्चा होती रही है लेकिन आदिवासी साहित्य पर संवाद पहली बार होगा।