इंसानियत की खिदमत करना भी बेहतरीन इबादतों में शुमार है
उमराह की रकम से जरूरत का समान गरीबो को किया वितरित
अल्लाह इस नेक काम को कुबूल करें
बालाघाट निवासी रफीक खान संचालक मुगल होटल जो कि इस वर्ष अपनी पत्नि के साथ उमराह करने मक्का मदीना जाने वाले थे और उनके उमराह में जाने की तारीख भी तय हो गई थी। इस बीच कोरोना वायरस के चलते रोक लग गई। पूरी दुनिया सहित हिदुस्तान में भी इस बीमारी से निपटने के लिए तैयारिया शुरू हो गई। इस बीच देश भर में लॉक डाउन का एलान हो गया। इस एलान से वे लोग ज्यादा परेशान हो रहे है, जो रोज कमाने खाने वाले है। इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए हर कोई अपने अपने स्तर से तैयारियां करने में लगा हुआ है। वहीं बालाघाट निवासी रफीक खान जिन्होंने उमराह में जाने के लिए लगने वाली रकम से गरीबो के लिए दैनिक जरूरत का समान खरीदकर सैकड़ो गरीबो को इस नियत से बांटा की खुदा इस इबादत को कुबूल करेगा। यह कार्य करना यह साबित करता है कि इंसानियत की खिदमत करना भी बेहतरीन इबादतों में शुमार है।
तो ऐसी इबादत कुबूल नहीं होती
उक्त जानकारी देते हुये बालाघाट निवासी रफीक खान के छोटे भाई और दैनिक महाकौशल एक्सप्रेस के संपादक समीम खान ने बताया कि यदि हमारा पड़ोसी भूखा है और उसके बच्चे दूध के लिए तड़प रहे हैं और हम तीर्थ करने की योजना बनाते हुए पैसे जमा कर रहे हैं तो ऐसी इबादत कुबूल नहीं होती। इसलिए इंसानियत की मदद करो खुदा तुम्हारे हज और उमराह तुम्हारी नियत को देखकर ही कुबूल कर लेगा, इंशाअल्लाह।
उमराह, हज या तीर्थ में जाने के लिए राशि एकत्र करने वालों को दिया संदेश
महाकौशल एक्सप्रेस के संपादक समीम खान ने इंसानियत की खिदमत करना भी बेहतरीन इबातदों में शुमार है के रास्ते में चलने के लिये यह भी कहा कि दोस्तो यह बताने का मकसद वाही वाही लेना नही है बल्कि मकसद यह है कि यदि हम भी किसी उमराह, हज या तीर्थ में जाने के लिए राशि इकठ्ठे कर रहे हैं तो उस राशि को गरीबो के ऊपर खर्च कर इंसानियत को कायम रख सकते है। अल्लाह जानने वाला है वो हमारे नेक मकसद के सदके में हमारी हर इबादत को कुबूल करेगा। दुआ है कि मेरे बड़े भाई सरीके और जितने भी इंसानियत के लिए काम कर रहे हैं उनके इस नेक काम को अपनी बारगाह में कुबूल करे ।