पेंच टाइगर रिजर्व के बफर परिक्षेत्र में भालू का शिकार तीन आरोपी पकड़ाए
करंट लगाकर भालू का किया था शिकार
सिवनी। गोंडवाना समय।
सिवनी के पेंच टाइगर रिजर्व के बफर परिक्षेत्र घाटकोहका के राजस्व ग्राम में भालू का शिकार का मामला सामने आया है। भालू का शिकार करंट लगाकर किया गया था। पेंच नेशनल पार्क की टीम ने तीन शिकारियों को गिरफ्तार किया है। शिकार की यह घटना 13 मार्च की रात की है। पेंच पार्क की टीम ने भागने का प्रयास कर रहे शिकारियों को दबोच लिया है।
गड्ढे में मिला भालू का शव,पंजे और नाखून सलामत-
पेंच टाइगर रिजर्व के बफर परिक्षेत्र घाटकोहका के राजस्व ग्राम परासपानी बीट के आरक्षित कक्ष क्रमांक 382 में पर्वत पिता निरपत के खेत में स्थित गड्ढे में भालू का शव मिला है जो पूरी तरह से सड़ा हुआ था। परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा इस संबंध में सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई एवं पशु चिकित्सक से शव का पोस्ट मार्टम कराया गया। भालू के शव में ऊपर नीचे के सभी दांत तथा चारों पंजे नाखून सहित उपस्थित पाये गये। क्षेत्र संचालक एवं उप संचालक की उपस्थिति में भालू के शव को जलाकर नष्ट किया गया।
शिकारियों को बस से उतारकर लिया हिरासत में-
भालू के शव मिलने के बाद हरकत में आए पेंच पार्क के अमले ने तत्काल शिकारियों की धरपकड़ के लिए मुखबिर का जाल बिछाया। 14 मार्च को जैसे ही मुखबिर से सूचना मिली कि भालू का शिकार करने वाले आरोपी नागपुर जा रहे हैं। तत्काल मुखबिर के बताए गए हुलिये पर पेंच की टीम पहुंची और इससे पहले की नागपुर के लिए बस रवाना होती उसमें बैठे हुए आरोपितों को बस से उतारकर हिरासत में ले लिया।
पेंच के वन अफसरों की टीम ने पकड़े गए आरोपियों से सख्ती के साथ पूछताछ की तो उन्होंने चार आरोपियों के द्वारा बिजली का करंट लगाकर भालू का शिकार करने की बात कबूल की। पकड़े गए आरोपितों में मेहतर पिता मोहन लाल निवासी परासपानी, नरेश पिता परसू नवरेती, रामकिशोर उर्फ सुल्तान पिता गुलजार इनवाती को गिरफ्तार कर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9, 39 (3), 51 एवं 52 के तहत वन्यप्राणी अपराध के तहत प्रकरण दर्ज कर 15 मार्च को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
वहीं चौथा आरोपी बहादुर उर्फ वादे पिता चम्मा गोंड निवासी परासपानी फरार है। जिसे पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम प्रयास कर रही है। अपराधियों को गिरफतार करने में परिक्षेत्र अधिकारी घाटकोहका बफर विवेक नाग, परिक्षेत्र सहायक विजयपानी रमेश उइके, परिक्षेत्र सहायक खवासा सतीराम उइके, परिक्षेत्र सहायक खामरीठ संतोष पटेल,वनरक्षक अनिल कुल्हाड़े,अनिल चौधरी, पंकज चौधरी, आकाश इनवाती, नरेश परते, मिलिंद गेडम, सुनील कुमरे, सत्रुधन मरकाम देवादीश डहेरिया,भूपेन्द्र राजपूत, एवं सुरक्षा श्रमिकों का प्रशंसनीय योगदान रहा।