क्या पलायन कर वापस घर आने वाले मजूदरों पर है कोराना वायरस को लेकर है प्रशासन की नजर ?
कोराना वायरस के तहत स्वास्थ्य विभाग पलायन करने वाले मजदूरों पर रखे विशेष नजर
सिवनी। गोंडवाना समय।
आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी में उद्योगों की कमी एवं रोजगार के संसाधनों की कमी के चलते जिले के प्रत्येक ब्लॉकों से बड़े शहरों में रोजगार के लिये पलायन करते है। सिवनी जिले में पलायन करने वाले मजदूरों की जानकारी भले ही पंचायत राज विभाग के अधिकारी कर्मचारी छिपाने का प्रयास करें लेकिन बस स्टेंड पर त्यौहार एवं विशेष अवसरों पर अपने-अपने घरों में लौटने वाले मजदूरों की संख्या को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिवनी जिले में रोजगार की क्या स्थिति है।
अभी तक मध्य प्रदेश में पॉजिटिव प्रकरण नहीं आया सामने
बहरहाल यह तो पलायन व रोजगार की स्थिति है जिसपर हमेशा पर्दा डालने का प्रयास किया जाता है लेकिन वर्तमान समय में कोराना बायरस को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बना हुआ है। केंद्र व प्रदेश की सरकार निरंतर इस बीमारी को फैलने को लेकर चिंतित है। इसे रोकने के लिये सरकार गंभीरता के साथ कारगर कदम उठा रही है। वहीं मध्य प्रदेश में अभी तक की स्थिति में एक भी पॉजिटिव प्रकरण सामने नहीं आया है।
महाराष्ट्र के बड़े शहरों में सिवनी से जाते है सर्वाधिक संख्या में मजदूर
अन्य प्रदेशों में विशेषकर महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कोयराना बायरस से संक्रिमत मरीजों की संख्या बताई जा रही है। मध्य प्रदेश से लगा हुआ है महाराष्ट्र एवं सिवनी जिले की सीमा से महाराष्ट्र जुड़ा हुआ है। सिवनी जिले के प्रत्येक ब्लॉक से यह देखने में आता है कि अधिकांश मजूदर महाराष्ट्र के बड़े शहरों में काम की तलाश में अपने परिवार के पालन-पोषण की पूर्ति करने के लिये रोजगार करने जाते है। होली के त्यौहार के चलते अधिकांश मजदूर अपने अपने घरों में वापस आये हुये है। इनकी जानकारी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को जुटाना चाहिये एवं इनका स्वास्थ्य परीक्षण भी अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिये।
ठेकेदारों ने बड़े शहरों में सिवनी से लेकर गये है कई मजदूर
देश के कई प्रदेशों के बड़े-बडेÞ शहरों में सिवनी जिले के ग्रामीण अंचलो से मजदूरों को लेकर जाने का गौरखधंधा भी बाहर के ठेकेदारों के द्वारा कई वर्षों से बेरोकटोक किया जा रहा है। इसकी जानकारी तब सामने आती है जब कई बार सिवनी जिले से जाने वाले मजदूरों को बड़े शहरों में काम करने के बाद मजदूरी नहीं मिलती है उनका शोषण किया जाता है तो घर वापस लौटकर आने पर उन मजदूरों के द्वारा जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से मजदूरी दिलाने के लिये गुहार लगाई जाती है। ऐसे शिकायतों के मामले पूर्व में भी सामने आ चुके है। यहां तक कुछ मजूदरों के द्वारा बंधक बनाया जाकर काम करने की शिकायते भी की गई थी।
पलायन रजिस्टर प्रत्येक ग्राम में अनिवार्य कर दिया जाये तो आ जायेगी हकीकत सामने
आदिवासी बाहुल्य जिला सिवनी के प्रत्येक ब्लॉकों से अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये काम की तलाश में अपना गांव-घर छोड़कर कितने मजदूर सिवनी जिले के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों से जाते है उनकी वास्तविकता व हकीकत यदि प्रशासन व सरकार को जानना है तो प्रत्येक ग्राम मे पलायन रजिस्टर रखा जाना एवं पलायन करने वाले परिवारों की जानकारी अनिवार्य रूप से लिखा जाना अनिवार्य करवा दिया जाये तो पलायन के रिकार्ड की हकीकत व वास्तविकता सामने आ सकती है।