सांस्कृतिक भोंगर्या हाट 3 मार्च से हो गया प्रारंभ
मालवा- निमाड़ के जनजाति अंचल का लोकप्रिय त्योहारिया हाट
लेखक
मोहन मोरी
गोंडवाना समय समाचार पत्र
भंगोर्या हाट होली दहन के 7 दिन पूर्व एक साप्ताहिक हाट होता है, जिसमें होली से पूर्व पूजन सामग्री खरीदने के लिए जाते है, गलदेवता ओर होली के त्योहार की पूजन की सामग्री की खरीद दारी करते है। भोंगर्या हाट 7 दिन तक मालवा निमाड़ जनजाति अंचल में 3 मार्च 2020 दिन मंगलवार से प्रारंभ से हो गया है। जनजाति इलाकों में बेहद धूमधाम हर्षाउल्लास के साथ मनाया जाता है।
गेहर यानी समूहों में गोलघेरा बनाकर नाचते गाते है
भोंगर्या क्षेत्रों के हाट-बाजार मेले का रूप ले लेते हैं और हर तरफ फागुन और संस्कृति का रंग बहुत सुंदर व मनोरम दृष्य के रूप में नजर आता है। जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के सगाजन अपनी सांस्कृतिक वेशभूषा के साथ गांव-गांव से ढोल-मांदल की थाप ओर बांसुरी (पावली) की सुरीली आवाज में बहुत सुंदर मनमोहक अंदाज में नाचते थिरकते ओर खुशियां मनाते हुए हाट/बाजार में गेहर यानी समूहों में गोलघेरा बनाकर नाचते गाते है।
समाजिक एकता व सद्भावना का देते है संदेश
भोंगर्या हाट-बाजारों में युवक-युवती सांस्कृतिक परिधानों को धारण करते हुये दिखाई देते है अपने अभिभावक व साथियों के साथ टोली बनाकर होली की खरीदी करने आते हैं व एक दूसरे को गुलाल लगाकर समाजिक एकता व सद्भावना का संदेश देते है। इसके साथ ही गणगोर के बाद होने वाले वैवाहिक कार्यक्रमों के लिए श्रृंगार की सामग्री भी लेने भोगर्या हाट में आते है। जब होली का डंडा गढ़ जाता है तो सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं, होली के बाद मांगलिक कार्य शुरूआत हो जाते है।
लेखक
मोहन मोरी