परीक्षा से पहले विद्यार्थियों पर स्कूल फीस का तनाव
प्रवेश पत्र देने के लिये फीस पहले दो, स्कूल प्रबंधनों का फरमान
आर्थिक अभाव में परिवार के साथ बच्चे पर भी बढ़ रहा तनाव
सिवनी। गोंडवाना समय।
जल्द ही सत्र 2019-20 की वार्षिक परीक्षा होने वाली है और आर्थिक अभाव से ग्रसित या आर्थिक समस्या से ग्रसित ऐसे अभिभावको, छात्र-छात्राओं द्वारा शिकायत प्राप्त हो रही है कि वार्षिक बोर्ड परीक्षा कक्षा 10 वीं एवं 12 वी का प्रवेश पत्र प्रबंधक, प्राचार्य द्वारा फीस के अभाव में नही दिया जा रहा है एवं अन्य कक्षाओं की वार्षिक
परीक्षाओं में भी प्रबंधक, प्राचार्य छात्र-छात्राओं को फीस के अभाव मे वंचित कर रहे है।
ऐसी स्थिति में परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के शैक्षणिक अध्ययन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और विद्यार्थी अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंितत है तो वहीं परिवारजन भी किसी भी तरह से परीक्षा में अपने बच्चों को बैठालने के लिये प्रवेश पत्र प्राप्त अपने बच्चों को स्कूल से दिलाने के लिये स्कूल प्रबंधन के द्वारा दिये गये फीस पूरी भरने के फरमान को पूरा करने का प्रयास कर रहे है। जिन परिवार के पास आर्थिक व्यवस्था कर ली जा रही है उनके बच्चों को वे स्कूल प्रबंधन के फरमान के अनुसार पूरी फीस जमाकर अपने बच्चों को प्रवेश पत्र दिलाकर अपने बच्चों का परीक्षा के पहले तनाव कम कर चुके है लेकिन अभी भी कई बच्चे ऐसे है जिन्हें प्रवेश पत्र नहीं मिल पाया है और उन पर मानसिक दबाव परीक्षा के पहले ही बना हुआ है वहीं उनके परिवारजन आर्थिक व्यवस्था करने में जुटे हुये है कि किसी भी तरह से स्कूल प्रबंधन के फरमान को पूरा कर सकें।
जिम्मेदार न दे रहे ध्यान और न ले रहे संज्ञान
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली द्वारा दिये गए निदेर्शों के परिपालन में अशासकीय शालाओं के लिए निम्नानुसार निर्देश जारी किये गये है। निर्देश में कहा गया है कि अशासकीय स्कूलों द्वारा अध्ययनरत बच्चों को समय पर फीस न जमा करने के कारण प्रताड़ित कराना Juvenile Justice/Care and Protection Act,2015,2015 के सेक्शन 75 का उल्लंघन है। बच्चों की फीस समय पर प्राप्त न होने का मुददा स्कूल प्रबंधन तथा अभिभावकों से संबंधित है। यह एक वित्तीय विषय है, इसलिए इसका समाधान अभिभावक से ही चर्चा कर की जानी चाहिए। यदि किसी अशासकीय स्कूल द्वारा उक्त निदेर्शों का उल्लघंन किया जाता है तो उसके विरूद्ध नियामानुसार वैद्यानिक कार्यवाही ही जायेगी। उक्त निदेर्शो का कड़ाई से पालन किया जाये संबंधी लेख भी किया गया है लेकिन प्रशासन स्तर पर इस नियम को पालन कराने वाले जिम्मेदार इस पर ध्यान देते है न संज्ञान लेते है।