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ऋण चुकाने के बाद भी एसबीआई बैंक मैनेजर किसान पर लाद रहा ऋण!

ऋण चुकाने के बाद भी एसबीआई बैंक मैनेजर किसान पर लाद रहा ऋण!

ऋण चुकता का नोड्यूज भी जारी कर चुकी है बैंक

सिवनी। गोंडवाना समय। 
जिले में संचालित एसबीआई बैंक में मनमानी और लापरवाहियां चल रही है। जिले में तीन मामले सामने आ चुके हैं। पहला मामला मजदूर के चैक गुमाने का और दूसरा मामला आदिवासी कन्या छात्रावास कहानी का और तीसरा मामला सिवनी का है जहां नोड़यूज प्रमाण पत्र जारी करने के बाद भी ऋण वसूली के लिए बार-बार डराया जा रहा है। आदिवासी कन्या छात्रावास कहानी की पूर्व अधीक्षिका अनसुईया डेहरिया को पद से हटाए जाने एवं खाता ट्रांसफर हो जाने के बावजूद  स्टेट बैंक शाखा घंसौर द्वारा पुराने चैक को क्लियर राशि दे दी गई। वहीं भारतीय स्टेट बैंक सिवनी ऋण चुकता करने के बाद भी किसान पर जबरन ऋण लाद रही है। सबसे अहम व खास बात तो यह है कि खुद बैंक के मैनेजर द्वारा ऋण चुकता का नोड्यूज भी जारी कर दिया गया है इसके बावजूद किसान पर जबरनदस्ती ऋण थोपना सवाल खड़े कर रहा है।

3 लाख 80 रुपए का केसीसी के माध्यम से लिया था ऋण-

मिली जानकारी के अनुसार किसान शिवराम,पंचफुल्ला और विजय कुमार के नाम से सिवनी शहर की बारापत्थर स्थित एसबीआई बैंक से 3 लाख 80 हजार रुपए का केसीसी ऋण लिया था। जिसे किसानों ने मिलकर बैंक का पूरा ऋण चुकता कर दिया है। किसान विजय कुमार ने बताया कि ऋण चुकता करने के बाद उन्हें भारतीय स्टेट बैंक सिवनी द्वारा लिखित रूप से बैंक चुकता करने का नोड्यूज प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया है इसके बाद बैंक मैनेजर जबरनदस्ती के किसानों पर सात हजार रुपए बकाया होने का ऋण थोपा जा रहा है।

मैनेजर कर रहा बदसूलकी, थाने में की शिकायत-

किसान विजय कुमार ने बताया कि बैंक मैनेजर विलास जोगने द्वारा बार-बार फोन करके बैंक बुलाया जाता है और सात हजार रुपए का कर्ज होना बताया जा रहा है। किसान का कहना है कि जब वह ऋण चुकता का प्रमाण पत्र बताते हैं तो बैंक मैनेजर उसे फाड़ देता है। मैनेजर यह कहता है कि उन्होंने गुडविल में नोड्यूज प्रमाणपत्र  जारी कर दिया था। किसान विजय कुमार ने बैंक मैनेजर के खिलाफ 15 फरवरी को बैंक मैनेजर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए  लिखित रूप से शिकायत की है। हालांकि कोतवाली पुलिस ने शिकायत के बाद क्या कार्रवाई की है यह नहीं बता पा रही है।

मजदूर का गुमा दिया था चैक,उपभोक्ता फोरम ने सुनाया जुर्माना-

घंसौर दिवारी के के मजदूर ओमप्रकाश पिता खेमकरण ग्रियाम का चैक स्टेट बैंक द्वारा गुमा दिया गया था। जिस पर एसबीआई बैंक पर उभोक्ता फोरम ने जुर्माना ठोका है। 2 मार्च 2017 को सिंडीकेट बैंक गोंदिया का चेक क्रमांक 0436038 राशि 18510 रुपए बचत खाता क्र.11546205213 में जमा किया था। 23 जून 2017 तक बैंक 
द्वारा इस चेक की राशि मजदूर के खाते में जमा नहीं की गई। इसके बाद पीड़ित मजदूर ने चेक की राशि खाते में जमा न होने पर इसकी शिकायत हेल्प लाइन में दर्ज कराई थी। बैंक प्रबंधन द्वारा न तो मजदूर को जमा किया गया चेक लौटाया गया न ही राशि खाते में जमा की गई थी।
           जिस तरीके से किसान विजय कुमार को एसबीआई के मैनेजर विलास जोगने नोड्यूज प्रमाण पत्र जारी करने के बाद भी कर्ज थोप रहे हैं उसी प्रकार मजदूर ओम प्रकाश का चैक गुमाकर एसबीआई बैंक के मैनेजर द्वारा पीड़ित मजदूर को बैंक में सम्पर्क करने पर यह कहकर लौटा दिया जाता था कि 2 मार्च को कोई चेक जमा नहीं किया गया है।
        जबकि चेक जमा करने की रसीद भी पीड़ित मजदूर द्वारा बैंक प्रबंधन को दिखाई गई जाती थी, लेकिन इसे बैंक ने मानने से इंकार कर  दिया जाता था। चेक की राशि न मिलने से परेशान मजदूर ओमप्रकाश ने इस मामले में 9 मार्च 2018 को उपभोक्ता फोरम की शरण लेकर तथ्यों के साथ चेक जमा करने संबंधी दस्तावेज अदालत में पेश किए। मजदूर द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों से संतुष्ठ होते हुए उपभोक्ता फोरम ने लापरवाही पूर्वक मजदूर का चेक गुम करने के मामले में भारतीय स्टेट बैंक घंसौर शाखा के प्रबंधक को चेक की राशि 18510 रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए।

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