आदिवासी हमेशा प्रकृतिवादी होते है, पेड़-पौधें इनके होते है इष्टदेवता-राज्यपाल
5 वीं अनुसूची में ग्रामसभा के बिना सहमति के नहीं लगाये जा सकते कोई भी उद्योग
राज्यपाल का दायित्व मिलना मेरा ही नहीं, पूरे आदिवासी समाज का सम्मान
चौरई में सर्व आदिवासी महासम्मेलन में शामिल हुई राज्यपाल
रायपुर। गोंडवाना समय।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके रविवार को छिंदवाड़ा जिले के चौराई में आयोजित सर्व आदिवासी महासम्मेलन में शामिल हुई। उन्होंने मुख्य अतिथि के आंसदी से संबोधित करते हुए कहा कि इस क्षेत्र से मेरा करीब का संबंध रहा है।
यहां आकर मुझे जो अनुभूति हुई है उसे मैं बयां नहीं कर सकती। राष्ट्रपति महोदय एवं प्रधानमंत्री ने जो राज्यपाल का दायित्व सौंपा है यह मेरा अकेले का सम्मान नहीं, पूरे आदिवासी समाज का सम्मान है। राज्यपाल ने कहा कि यदि पूरे विश्व में संस्कृति बची है तो वह आदिवासी संस्कृति ही है। आदिवासी हमेशा प्रकृतिवादी होते है, पेड़-पौधें इनके इष्टदेवता होते है। इस संस्कृति को सहेज कर रखना हम सबका कर्तव्य है।आदिवासियों के लिये संविधान में किये गये अनेकों प्रावधान
राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उईके जी ने कहा कि समाज के लोग संगठित रहेंगे तो उन्हें उनका अधिकार अवश्य मिलेगा। हमारे संविधान में 5वीं एवं 6वीं अनुसूची के तहत राज्यपाल को आदिवासियों के हित के लिए अधिकार दिए है साथ ही संविधान में अनेकों प्रावधान किए गए है। 5 वीं अनुसूची में आने वाले क्षेत्रों में ग्रामसभा के बिना सहमति के कोई भी उद्योग लगाए नहीं जा सकते। उनकी बिना सहमति के जमीन भी अधिगृहित नहीं की जा सकती, मगर आदिवासी समाज के लोगों को इसकी जानकारी नहीं होने के कारण अपने अधिकारों का उपयोग नहीं करते। राज्यपाल ने आग्रह करते हुए कहा कि समाज के प्रमुखों जहां भी हो इसकी जानकारी पूरे समाज को अवश्य दे।
तो उनका पुर्नवास और विस्थापन उचित ढंग से किया जाना चाहिए
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उईके ने कहा कि मैंने छत्तीसगढ़ में निरस्त किए गए वनअधिकार पट्टों की जांच कर पात्र हितग्राहियों को प्रदान करने कहा है। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी जंगल के मालिक है, यदि विकास कार्यो के लिए उनकी जमीन ली जाती है तो उनका पुर्नवास और विस्थापन उचित ढंग से किया जाना चाहिए। इस अवसर पर पूर्व मंत्री श्री प्रेम नारायण सिंह ठाकुर, पूर्व विधायक श्री नत्थन शाह, श्री मनमोहन शाह, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती कांता ठाकुर ने अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
चौरई के आदिवासी कार्यक्रम में कथावाचक प्रज्ञा ठाकुर को स्टेज में और गोंडी धर्म गुरुओं को स्टेज के नीचे जमीन पर बैठाने का बड़ा गजब का सम्मान किया गया।
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