जरिया की लापरवाही व समिति की अव्यवस्था से जिले के 8 हजार किसान धान बेचने से वंचित
किसानों की डिमांड के बावजूद शासन ने नहीं बढ़ाई तारीख
सिवनी। गोंडवाना समय।
नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक एलके जरिया की घोर लापरवाही व खरीदी प्रभारियों की अव्यवस्था से सिवनी जिले के आठ हजार से अधिक किसान इस बार समर्थन मूल्य पर धान बेचने से वंचित रह गए। किसानों द्वारा धान बेचने के लिए 15 दिन की तारीख और बढ़ाई जाने की डिमांड भी की गई थी। खुद कांग्रेस सरकार के बरघाट विधायक अर्जुन सिंह काकोडिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से और सिवनी-बालाघाट के सासंद डा ढालसिंह बिसेन ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 15 दिन अतिरिक्त बढ़ाए जाने की मांग रखी थी लेकिन कांग्रेस सरकार ने सासंद-विधायक की नहीं सुनी। लिहाजा जिले के आठ हजार से अधिक किसान अपनी धान नहीं बेच पाए और किसानों में सरकार के खिलाफ गुस्सा भर गया है।
48200 किसानों का धान के लिए हुआ था पंजीयन-
जिले में धान बेचने के लिए 48200 किसानों का पंजीयन हुआ था। जिसमें 40 हजार 132 किसानों से ही नागरिक आपूर्ति निगम और फूड विभाग की टीम समिति के माध्यम से 22 लाख क्विंटल धान खरीदी कर पाई। यदि आठ हजार किसान और धान बेचने समिति पहुंचते थे तो शायद खरीदी के आकड़े में इजाफा हो सकता था। दरअसल जिले में पहले तो बारिश की वजह से किसान धान की कटाई और गहानी में लेट हो गए थे। वहीं जब धान की आवक शुरू हुई तो फिर बारिश हो गई थी और नागरिक आपूर्ति निगम एवं समिति संचालकों की अव्यवस्थाओं के कारण कई किसानों की धान भींग गई थी जिसके चलते डर के मारे कई किसान मौसम साफ होने एवं खरीदी का समय बढ़ने का इंतजार करते रहे लेकिन किसानों के अनुरूप नहीं हुआ। हालांकि प्रशासन जिले के 39 खरीदी केन्द्रों में 20 जनवरी से 23 जनवरी जरूर की थी लेकिन उसका प्रचार-प्रसार भी पहले से नहीं किया गया। वहीं बढ़ाई गई तारीख को लेकर भी समिति संचालक किसानों को गुमराह करते रहे। वहीं दूसरी तरफ 20 जनवरी को ही पोर्टल बंद हो गया था। ऐसे में डरा हुआ किसान अपनी धान को लेकर खरीदी केन्द्र तक नहीं पहुंच पाया। 8 हजार 178 किसान धान बेचने से वंचित रह गए। वहीं फुड विभाग के डीएसओ एसके मिश्रा और एलके जरिया खोखला दावा कर रहे हैं कि बचे हुए किसानों ने धान नहीं लगाई होगी या फिर ऊगी नहीं होगी। जबकि पंजीयन खेतों में फसल देखकर ही दर्ज किया गया होगा।
22 लाख क्विंटल की खरीदी साढ़े 16 लाख क्विंटल परिवहन
जिले में कुल 22 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई है। जिसमें जनवरी माह समाप्त हो जाने के बावजूद भी अब तक पूरा परिवहन कार्य नहीं हो पाया है। तकरीबन साढ़े पांच लाख क्विंटल धान अभी भी खूले आसमान के नीचे खरीदी केन्द्रों में रखी हुई है। सूत्र बताते हैं कि एलके जरिया की अर्थलिप्सा और भुगतान न करने की स्थिति के चलते परिवहन ठेकेदार धीरे-धीरे धान उठाव कर रहा है। हालांकि फुड विभाग के एसके मिश्रा दावा कर रहे हैं कि एक सप्ताह में पूरा परिवहन कर गोदामों में धान भर दी जाएगी।
18 हजार किसान भुगतान से वंचित-
जिले में 23 जनवरी को धान की तुलाई होने के बावजूद अब तक 18 हजार से अधिक किसानों को भुगतान नहीं हो पाया है। 40 हजार 132 किसानों से खरीदी गई धान के एवज में 22442 किसानों को ही धान का भुगतान हो पाया है। एलके जरिया की लापरवाही और समिति की अव्यवस्थाओं के चलते कई ऐसे किसानों को भी भुगतान नहीं हो पाया है जिन्होंने शुरूआती दौर में ही अपनी धान बेच दी थी।