1857 से पहले 1755 में ही आदिवासियों ने अंग्रेजो से किया था स्वतंत्रता संग्राम-राज्यपाल
इतिहासकारों ने उन्हें इतिहास में जगह नहीं दिया, यह विडंबना का विषय है
झारखंड वीरों की भूमि है, यहां के लोगों ने देश की माटी के लिये कर दिये प्राण न्योछावर
तिलका मांझी स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा
इतिहास में 1857 के सिपाही विद्रोह को स्वतंत्रा का पहला संग्राम बताया जाता है परन्तु 1755 में ही यहां के आदिवासियों ने अंग्रेजों से संग्राम किया है। इतिहासकारों ने उसे इतिहास में जगह नहीं दिया, यह विडंबना का विषय है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के भगवान बिरसा मुंडा, बाबा तिलका मांझी, सिद्धू कान्हू ,चांद-भैरव जैसे वीर महापुरुषों ने अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की लड़ाई लड़ी थी जिसको भारतीय इतिहास में रेखांकित करने की जरूरत है।
जमशेदपुर/झारखंड। गोंडवाना समय।
आधुनिकता के दौर में हमें अपनी भाषा और संस्कृति, जो हमारी पहचान है उसको बचाए रखने की जरूरत है उक्त बातें माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने जमशेदपुर में बाबा तिलका मांझी मेमोरियल समिति द्वारा आयोजित 270 वां शहीद बाबा तिलक मांझी जयंती समारोह में बतौर मुख्य अतिथि, उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कही।
माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने बाबा तिलका मांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया और श्रद्धासुमन अर्पित की। बाबा तिलकागढ़, हलुदबनी, परसुडीह, जमशेदपुर में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची माननीय राज्यपाल का पारंपरिक लोकगीत एवं लोकनृत्य के साथ स्थानीय लोगों ने स्वागत किया। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर सर्वप्रथम माननीया राज्यपाल ने बाबा तिलका मांझी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
झारखंड के शहीद वीरों को करती हूं नमन
माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने मौके पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है। इस धरती पर हर सदी में ऐसे ऐसे वीरों ने जन्म लिया है जिन्होने माटी और समाज की लड़ाई खातिर अपने प्राण न्योछावर कर दिए। इतिहास में 1857 के सिपाही विद्रोह को स्वतंत्रा का पहला संग्राम बताया जाता है परन्तु 1755 में ही यहां के आदिवासियों ने अंग्रेजों से संग्राम किया है। इतिहासकारों ने उसे इतिहास में जगह नहीं दिया, यह विडंबना का विषय है।
स्वतंत्रता संग्राम में टाना भगत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है
माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आदिवासी स्वाभिमानी होते हैं, महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता संग्राम में टाना भगत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मैं खुद को सौभाग्यशाली समझती हूं कि मैं भी इस संस्कृति से हूं। माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने तिलकागढ़ के संबंध में बताते हुए कहा कि यह गांव सन 1976 से ही नशा मुक्त गांव है, सभी एक-दूसरे से सहयोगात्मक भाव रखते हैं। माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि नशा के प्रति आकर्षण नहीं होने देना चाहिए, इस दिशा में सरकार भी लोगों को जागरूक करना का प्रयास कर रही है। सामाजिक, आर्थिक सुधार के लिए सरकार के साथ-साथ हमें भी आगे आना होगा।
शिक्षित समाज से ही राज्य और देश का विकास संभव
माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार द्वारा आदिवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन हमें भी अपने स्तर से अपने विकास के लिए प्रयास करने होंगे। आदिवासी समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। कार्यक्रम में उपस्थित आदिवासी महिलाओं, बच्चों एवं समाज के वरिष्ठ नागरिकों से आह्वान किया कि वे समाज में शिक्षा का प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने कहा कि शिक्षित समाज से ही राज्य और देश का विकास संभव है।
सिद्धू कान्हू विद्यालय के विस्तार का उन्होने निर्देश दिया
माननीया राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इस गांव के बच्चे खेल में भी आगे हैं, यहां प्रशासन के सहयोग से तिलका मांझी स्टेडियम का निर्माण कराया जाएगा। सिद्धू कान्हू विद्यालय के विस्तार का उन्होने निर्देश दिया। इस गांव में चोरी की घटना नहीं होती है, समाज में एसी ही मानवता होनी चाहिए। ये अपनापन बना रहे, जिंदगी जीने की कला ऐसी ही होनी चाहिए। इस अवसर पर उपायुक्त श्री रविशंकर शुक्ला, सिटी एसपी श्री सुभाष चंद्र जाट, ग्रामीण एसपी श्री पियूष पांडेय, तिलका मांझी मेमोरियल समिति के अध्यक्ष, पूर्व सांसद श्री कृष्णा मार्डी, जिला परिषद उपाध्यक्ष श्री राजकुमार सिंह तथा अन्य उपस्थित थे।