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भील जनजाति के अपमान पर विधानसभा में हुआ हंगामा, मुख्यमंत्री ने फिर कहा होगी सख्त कार्यवाही

भील जनजाति के अपमान पर विधानसभा में हुआ हंगामा, मुख्यमंत्री ने फिर कहा होगी सख्त कार्यवाही 

कांतिलाल भूरिया और अन्य विधायकों ने उठाया मुद्दा, सीएम व संसदीय कार्य मंत्री ने दिया कार्यवाही करवाने का जवाब 

भोपाल। गोंडवाना समय।
मध्य प्रदेश की विधानसभा में शून्यकाल के दौरान भील जनजाति को लेकर पीएससी में पूछे गये सवाल पर विधानसभा में हंगामा हुआ और इस मामले में सख्त कार्यवाही की बात मुख्यमंत्री व संसदीय कार्य मंत्री ने कहा है। भील जनजाति को लेकर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा पूछे गये अपमानजनक टिप्पणीयुक्त सवालों पर मध्य प्रदेश सरकार अपने ही विधायकों से घिरते हुये नजर आ रही है। हम आपको बता दे कि 12 जनवरी 2020 को पीएससी की परीक्षा में भारत की सर्वाधिक जनसंख्या वाली भील जनजाति के संबंध में अपमानजनक टिप्पणीयुक्त सवाल गंधाश में पूछे गये थे। पीएससी के प्रश्न पत्र समाप्त होने के बाद से ही इस मामले ने तूल पकड़ लिया था और धीरे धीरे पीएससी में पूछे गये सवाल को लेकर मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश भर के आदिवासी समुदाय के लोग आक्रोश व्यक्त करते हुये इस मामले में एफआईआर, बर्खास्त आदि कार्यवाही की मांग कर रहे थे। इसके बाद जय आदिवासी युवा शक्ति सहित मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों में आदिवासी समाजिक संगठनों व मध्य प्रदेश में अनेक विधानसभाओं से प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों से पीएससी के जिम्मेदारों पर कार्यवाही की मांग को लेकर मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ को पत्र लिखा था वहीं ज्ञापन भी सौंपे गये है। भील जनजाति के संबंध में अपमानजनक टिप्पणीयुक्त सवाल पर विरोध निरंतर परीक्षा के बाद से ही जारी है और आदिवासी समुदाय में इस मामले को लेकर आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। जहां एक और इस मामले को गंभीरता से लेते हुये मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने जांच के आदेश दिये थे तो वहीं इस मामले में इंदौर में एससीएसटी थाना में प्रकरण कायम तो किया गया है लेकिन किसी को भी नामजद आरोपी नहीं बनाया गया है इसको लेकर भी आदिवासी समुदाय में आक्रोश व्याप्त है और मध्य प्रदेश सरकार के रहते की गई कार्यवाही से संतुष्ट नहीं है।  

एमपी पीएससी के चेयरमेन व सेकेट्री ने किया आदिवासी समाज को अपमानित

शून्यकाल के दौरान विधायक श्री कांतीलाल भूरिया ने विधानसभा में भील जनजाति को लेकर पीएससी में पूछे गये सवाल पर शुक्रवार को मुद्दा उठाते हुये कहा कि एमपी पीएससी के चेयरमेन व सेकेट्री ने आदिवासी समाज का अपमानित किया है। एमपी एपसीसी में पूरे आदिवासी समाज के ऊपर लेकर जो प्रश्न पूछे गये उनको अपमानित करने का तरीका है। उनके ऊपर सख्त कार्यवाही कर तत्काल आयोग के अध्यक्ष को हटाया इसके जो सेकेट्री है इनके खिलाफ कार्यवाही की जाये। विधायक श्री कांतिलाल भूरिया ने मांग करते हुये कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। यह पूरे आदिवासी समाज का मामला है। पूरे प्रदेश में आदिवासियों में भयंकर आक्रोश व्याप्त है। वहीं सदन के सारे आदिवासी विधायक भी अपमानित महसूस कर रहे है। 

जो दोषी सदस्य है उनके विरूद्ध अतिशीघ्र की जायेगी कार्यवाही 

डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि विधायक कांतिलाल भूरिया ने जो पीएससी का मुद्दा उठाया है। हम आपको विश्वास दिलाते है कि इसमें जो दोषी सदस्य है उनके विरूद्ध अतिशीघ्र कार्यवाही की जायेगी। वहीं मुख्यमंत्री ने भी पूर्व में भी घोषणा कर दी है कि इस प्रक्रिय में जो भी लोग दोषी है उन पर कठोर कार्यवाही होगी। मुख्यमंत्री द्वारा अतिशीघ्र जांच के निर्देश दिये गये है। हमें कुछ त्थ्य मिले है हम अतिशीघ्र इसमें कदम उठायेंगे और निर्णय लेंगे। 

बहुत ही गलत हुआ यह अब इंसाफ की बात है

विधानसभा में विधायक कांतीलाल भूरिया के द्वारा उठाये गये मुद्दों और हंगामा के चलते मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि जांच के आदेश दे दिये गये है और जांच में जो भी इसमें दोषी पाया गया उस पर भी सख्त कार्यवाही करेंगे। इसमें कोई शक नहीं है कि यह एक बहुत बड़ी गलती है। इसे गलती कहें कुछ भी कहें परंतु यह बहुत ही गलत हुआ है। इसमें कोई पक्षपात की बात नहीं है, कोई दल की बात नहीं है या अब इंसाफ की बात है।  

आपकी सरकार है, कौन सी जांच की बात कर रहे है, साहब पांच मिनिट में होती है कार्यवाही

भील जनजाति के मामले में भाजपा विधायक श्री राम दांगोरे ने भी मुद्दा उठाते हुये कहा कि भील समुदाय को लेकर जिस प्रकार से पेपर में राइटिंग में प्रदर्शित किया गया है। इस देश में गौरवशाली भील समुदाय का जो इतिहास रहा है उसके ऊपर बड़ी तीखी और पूर्वाग्रह से ग्रस्त जो टिप्पणियां की गई है। रायटिंग में की गई है। इसके साथ ही भील समुदाय के संबंध में जो प्रश्न पूछे गये है वह आश्चर्यजनक है। इस दौरान विधायक ने यह भी कहा कि आपकी सरकार है, कौन सी जांच की बात कर रहे है, साहब पांच मिनिट में कार्यवाही होती है।
वहीं कालीपीपल से भाजपा विधायक श्री इन्दर सिंह परमार ने भी कहा कि ट्रांसफर उद्योग इतने बड़े पैमाने पर चलाया तो यहां के अधिकारियों को भी बदल देते किसने रोका था आपको।

इदौर हाईकोर्ट ने 21 जनवरी तक कार्यवाही पर लगाया रोक 

भील जनजाति के अपमान के मामले पर एससीएसटी एक्ट के तहत दर्ज हुई एफआईआर को लेकर लोक सेवा आयोग ने इंदौर हाइकोर्ट में पिटीशन दाखिल किया था। जिसमें शुक्रवार को सुनवाई की गई। जिसमें लोकसेवा आयोग परीक्षा में भील जनजाति के अपमान प्रकरण में इंदौर हाइकोर्ट के सम्मानीय न्यायाधीश श्री विवेक रूसिया ने 21 जनवरी तक लोकसेवा आयोग अध्यक्ष, सचिव, कंट्रोलर की गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला सुनाया है। 

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