जनजाति की आबादी ज्यादा इसलिये खेल में पिछड़ा मध्य प्रदेश ?
सरकारी किताब में मध्य प्रदेश की जनजातियों के सवाल पर फिर मचा बवाल
नौकरशाही और सरकार के संरक्षण में सरकारी संस्थानों में पुस्तकों को रचयिता लेखकों या कलमकारों के द्वारा जनजातियों के त्याग-बलिदान, उनका राजपाठ, जनजातियों की भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाजों, परंपरा, प्रकृति प्रेमी के साथ जनजातियों का स्वर्णिम इतिहास को लिखने में कंजूसी की जाती रही है यही कारण है कि स्वतंत्रता संग्राम का आंदोलन में प्रथम विरोध करने वाले जनजाति समुदाय के साथ साथ जनजाति वर्ग के ऐतिहासिक बलिदान को न तो पुस्तकों में स्थान मिला और न ही सरकार उन्हें सम्मान दे पाई है लेकिन वोट की राजनीति के लिये भाषणबाजी, वायदा में जरूर जनजाति वर्ग के दलालों-गुलामों के द्वारा जुटाई जाने वाले जनजाति समुदाय की भीड़ की तालियां बटोरकर बड़े-बड़े हजारों वायदा किये है जबकि जनजाति वर्ग के वीर यौद्धा जिन्होंने अपने प्राणों की आहूती दिया अंग्रेजों के जुल्म सितम अन्याय-अत्याचार शोषण सहा और गोलियां हंसते हंसते हुये शिकार हुये उनमें से अधिकांश के परिजन अभी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा पाने के लिये दर-दर की ठोकरे खा रहे लेकिन वर्ष में एक बार सरकारी कार्यक्रमों में सत्ताधारी नेताओं द्वारा साल व श्रीफल से सम्मान करके इतिश्री कर लिया जाता है।
सिवनी/भोपाल। गोंडवाना समय।मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा 12 जनवरी 2020 को हुई परीक्षा में पूछे गये भील जनजाति को लेकर सवाल में भील जनजाति को लेकर किये गये अपमानजनक टिप्पणी किये जाने के बाद विरोध होने के बाद बिना नाम पता के एफआईआर दर्ज तो हुई लेकिन माननीय न्यायालय राहत भी फिलहाल मिली हुई। भील जनजाति के अपमान का मामला को ठंडा करने में इंदौर का कार्यक्रम भले ही सहायक सिद्ध हुआ हो लेकिन अब एक और नया विवादास्पद लेख सामने आया है। हालांकि अपमानजनक लेख का यह कोई पहला मामला नहीं है आदिवासियों को लेकर एक के बाद एक अपमान के मामले सामने आ रहे हैं। जिसमें मध्य प्रदेश सरकार की पुस्तक में आदिवासी समाज का फिर अपमान हुआ है।
इस बार विवाद के केंद्र मे मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाली हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक है। मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक में आदिवासियों का अपमान हुआ है। मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाली हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक मध्यप्रदेश सामान्य ज्ञान कोश में एक सवाल के जवाब में आदिवासियों का अपमान किया गया है। पेज नंबर 205 पर खेलकूद के चैप्टर में एक सवाल पूछा गया कि
म प्र के खेलों के पिछड़ने के क्या-क्या कारण हैं तो जवाब मे 11 बिंदु दिये गये हैं, जिसमें पहला बिंदु ही यह है कि प्रदेश में जनजाति आबादी का ज्यादा होना, यह उत्तर ही गलत है जबकि खेल के क्षेत्र में भी आदिवासियों का स्वर्णिम इतिहास है, जयपाल सिंह मुण्डा की ही बात करें तो वे हॉकी खेल में माहिर रहे ऐसे अनेक प्रसिद्ध आदिवासी खिलाड़ी है । वहीं आदिवासी सिर्फ अपने परंपरागत खेलों में ही महारथी नहीं है वे नये जमाने के खेलों में भी अपना जौहर खेल मैदान में दिखाने में आगे है अपना और आदिवासी समाज का नाम रोशन कर रहे है।