सवाल नं. 23 पर कैसे खरे उतरेंगे कमल नाथ, मोदी सरकार ने टीएसपी पर लगाया ताला
मुख्यमंत्री कमल नाथ के सवाल नंबर 23 का मोदी सरकार ने आदिवासी उप योजना बंद कर दिया जवाब
भोपाल। गोंडवाना समय।
जैसा कि विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ द्वारा अपने 40 सवालों को दागते हुये मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्र की मोदी सरकार को घेरने का काम कर रहे है उसी समय उन्होंने अपने सवाल नंबर 23 पर मध्य प्रदेश के आदिवासी वर्ग के अधिकार, बजट आदि को लेकर गंभीर मुद्दे उठाये थे। जिसका जवाब केंद्र सरकार ने आदिवासी उप योजना को समाप्त करके दिया है ऐसा माना जा सकता है। वहीं शुक्रवार के दिन मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने विधानसभा में केंद्र सरकार द्वारा आदिवासी उपयोजना को समाप्त करने का मुद्दा उठाया उन्होंने कहा कि संविधान संसोधन से आदिवसी उप योजना भी जुड़ी थी जिसे समाप्त किया गया। इस उपयोजना से हरियाणा और पंजाब को फर्क नहीं पड़ेगा पर मध्य प्रदेश प्रभावित होगा। मध्य प्रदेश देश भर में सबसे बड़ा आदिवासी प्रदेश है। हम केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि आदिवासी उप योजना जैसी कोई योजना बनायें। वहीं मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने विधानसभा के सदन में यह विश्वास दिलाया कि यदि यह नहीं होता है तो मध्य प्रदेश सरकार अनुसूूचित जाति-जनजाति उप योजना बनायेगी।
आदिवासी बाहुल्य राज्य मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिये भाजपा की सरकार, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ा था मुख्यमंत्री कमल नाथ ने 40 दिन 40 सवालो में 23 वें सवाल पर ट्वीट करते हुये यह कहा था कि सौभाग्य से देश के सबसे ज्यादा आदिवासी मध्य प्रदेश में रहते है और मोदी और मामा की सरकारों ने आदिवासियों भाईयों के सब प्लन से मुंह मोड़ा, उनके विकास को कहीं का न छोड़ा यहां तक मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अपने ट्वीट के माध्यम से 23 वें सवाल पर लिखकर मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 2001 के अनुसार जितनी है उस आधार पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जो एक साल में खर्च किया था उसके आंकड़े उन्होंने वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक लेखा जोखा पेश कर घेरा था। इसके साथ ही 25 प्रतिशत पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है को शर्मनाक भी बताया था। ये तो हुये विधानसभा चुनाव के पहले की बात अब यदि हम बात मध्य प्रदेश सरकार की तो उन्होंने आदिम जाति मंत्रणा परिषद की बैठक में निर्णय लिया है कि विधानसभा में जनजाति उप योजना का बजट अलग से प्रस्तुत होगा तो क्या मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ से उम्मीद करें कि आदिवासी बाहुल्य राज्य में आदिवासियों की आबादी के हिसाब से उनका बजट निर्धारित कर बढ़ायेंगे और उसमें एक पैसा भी भ्रष्टाचार में बर्बाद नहीं होगा वरन उसका वास्तविक लाभ मध्य प्रदेश के आदिवासियों को मिल पायेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
मोदी और मामा की सरकारों ने आदिवासी भाईयों के सब-प्लान से मुंह मोड़ा, उनके विकास को कहीं का न छोड़ा
आदिवासी बाहुल्य राज्य मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी के लिये विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस तीन पंचवर्षीय कार्यकाल से निरंतर आदिवासी बाहुल्य राज्य मध्य प्रदेश में भाजपा जहां अपने चौथी पारी पूरी करने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पूरी आश्वस्त थे वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद श्री कमल नाथ भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस का कब्जा करने के लिये भाजपा और शिवराज को चारों तरफ से घेरते हुये उनकी नीतियों को जनता के समक्ष रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। विधानसभा चुनाव के पहले जहां कांग्रेस भाजपा को घेरने के लिए जरा भी मौका नहीं चूक रही है। हम आपको बता दे कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ ट्विटर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा से सवाल कर रहे थे और मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अपने 40 दिन 40 सवालों की कड़ी में उन्होंने जो 23 वां सवाल किया था उसमें मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर आदिवासियों के मुद्दों को लेकर अपने ट्वीटर पर तीखा प्रहार किया था जिसमें मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने ट्वीट कर लिखा था कि मोदी और मामा की सरकारों ने आदिवासी भाईयों के सब-प्लान से मुंह मोड़ा, उनके विकास को कहीं का न छोड़ा।
मोदी जी ने 2014-15 में 428/-, 2016-17 में 459/-, 2017-18 मात्र 507 रूपये किया खर्च
अपने सवाल नंबर 23 पर ही मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा था कि मोदी जी ने 2001 की आदिवासी भाइयों की आबादी के मान से एक आदिवासी भाई पर एक साल में खर्च किया। जिसमें उन्होंने वर्ष 2014-15 (428 रूपये ), वर्ष 2016-17 (459 रूपये), वर्ष 2017-18 मात्र (507 रूपये) खर्च किया। इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अपने अगले ट्वीट में लिखा था कि सौभाग्य से देश के सबसे ज्यादा आदिवासी मध्यप्रदेश में रहते हैं और मामा जी लगातार उनकी उपेक्षा कर रहे हैं उन्होंने 3 लाख 63 हजार आदिवासी परिवारों के वन अधिकार के पट्टे तो निरस्त किए ही हैं, उनका बजट का हिस्सा भी कम कर रहे हैं।
आदिवासी भाइयों के विकास का लगभग 25 प्रतिशत पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है, शर्मनाक
सौभाग्य से देश के सबसे ज्यादा आदिवासी भाई मध्य प्रदेश में रहते हैं, कुल आबादी का 21% मगर मामा जी लगातार उनकी उपेक्षा कर रहे हैं । मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अपने 23 वें सवाल में अपने अगले ट्वीट में प्लान आउट का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2012-13 में आदिवासी भाइयों के कुल प्लान आउट ले का 17.91 प्रतिशत, वर्ष 2013-14 में कुल प्लान आउट का 17.70 प्रतिशत वर्ष 2014-15 में कुल प्लान आउट का 13.77 प्रतिशत वर्ष 2015-16 में कुल प्लान आॅउट ले का 12.18 प्रतिशत और वर्ष 2016-17 में कुल प्लान आॅउट का 14 प्रतिशत। कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा था जिसमें भी कहा जाता है कि आदिवासी भाइयों के विकास का लगभग 25 प्रतिशत पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है, शर्मनाक।
मोदी सरकार आदिवासी उपयोजना लागू नहीं करेगी तो मध्य प्रदेश सरकार अपने बजट से करेगी प्रावधान
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि केंद्र सरकार को बजट में आदिवासी उपयोजना को जारी रखना चाहिए। यदि केंद्र सरकार इसे जारी नहीं रखेगी तो राज्य सरकार अपने बजट में इसके लिए प्रावधान करेगी। उन्होंने लोकसभा और विधानसभाओं की सीटों पर अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए आरक्षण 10 साल बढ़ाने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक के अनुसमर्थन के लिए विधानसभा में रखे प्रस्ताव का समर्थन करते हुए यह बात कही। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में विकास के लिए उपयोजना का प्रावधान जरूरी है। प्रावधान समाप्त होने पर आदिवासी वर्ग की उन्नति के प्रयास प्रभावित होंगे। केंद्र को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।