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निजाम की पेंटिंग पर बनी कला को निहारता ही रहता है इंसान

निजाम की पेंटिंग पर बनी कला को निहारता ही रहता है इंसान 

जनजातियों की पुरातन कलाकृति में परचम फरहा रहे निजाम उईके

बालाघाट। गोंडवाना समय। 
जनजाति बाहुल्य ब्लॉक बैहर तहसील के गांव आमगांव के निजाम उईके ने नौवी कक्षा से शैक्षणिक अध्ययन के दौरान ही अपने सामाजिक संस्कृति को सहेजने का कार्य प्रारंभ कर दिया था,
हम आपको बता दे कि निजाम उईके जनजाति वर्ग की पुरातन संस्कृति कलाकृति पेंटिग को संरक्षित करने के साथ साथ उसे हुबहु उसी रूप के निखारने के साथ ही वर्तमान समय के रंगों से रंग भरकर सुंदर कलाकृति बनाने में अब माहिर हो चुके है। इतना ही नहीं अब उनकी बहन भी पेंटिंग बनाना सीख गई है।

जनजाति मेला में आकृषक पेंटिंग ने सबका मन मोह लिया 

हम आपको बता दे कि बीते जनजाति मेला जो कि बालाघाट में आयोजित किया गया था उसमें भी निजाम उईके के द्वारा अपने द्वारा तैयार की गई जनजातियों की कला संस्कृति पर आधारित पेंटिंग को लगाया गया था जिसे जनजाति मेला में देखने वालों ने उनकी कला को प्रशंसा के साथ सराहना करने में कोई कंजूसी नहीं किया। 

जनजातियों की पुरातन कला को देश दुनिया तक पहुंचाना है 

निजाम उईके हजारों वर्षों पुरानी जनजातियों की सांस्कृतिक कला को देश दुनिया तक पहुंचाना चाहते है और वे मुंबई, नागूपर, भोपाल सहित अनेक स्थानों पर उनके द्वारा तैयार की गई पेंटिंग को प्रदर्शित कर चुके है।
इसके साथ ही कान्हा नेशनल पार्क जहां पर देश दुनिया के पर्यटक आते है वहां पर निजाम उईके कान्हा नेशनल पार्क गेट के सामने जनजाति सांस्कृतिक आधार पर तैयार की हुई पेंटिंग को रखते है जिसे देशी विदेशी पर्यटक भी निहारते रह जाते है क्योंकि उनकी पेंटिंग में जनजातियों की पुरातन कला में पुराना अंदाज के साथ साथ वर्तमान समय के रंगों की चमक भी अलग ही दिखाई देती है ।

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