स्थानीय आम सहमति के बिना किसी तरह का विस्थापन बिल्कुल गलत-अशोक मर्सकोले
आज जिन क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय बसा हैं जल, जंगल वही संरक्षित-नारायण पट्टा
आदिवासी अधिकार हुंकार सभा, रैली के बाद सौंपा ज्ञापन
मंडला। गोंडवाना समय।मध्यप्रदेश में 2 अक्तूबर से 17 नवम्बर 2019 तक आदिवासी क्षेत्रों की विभिन्न समस्याओं को लेकर अलग-अलग जिलों में आदिवासी हुंकार यात्रा के आयोजन किया गया है।
जिसके अन्तर्गत आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में 3 नवम्बर रविवार को मुख्यालय में आदिवासी अधिकार हुंकार रैली का आयोजन किया गया। ज्ञात हो कि मंडला जिला के विभिन्न समाजिक संगठनों द्वारा पांचवीं अनुसूची एवं पेसा कानून (आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष वयवस्था) के क्रियान्वयन, वन अधिकार कानून के अन्तर्गत पात्र वयक्ति को वयक्तिगत एवं सामुदायिक अधिकार सुनिश्चित करने, विकास परियोजना एवं पर्यटन के नाम पर विस्थापन का विरोध और भ्रष्टाचार एवं बेरोजगारी के खिलाफ आवाज उठा रहते रहे हैं परन्तु इसको लेकर ठोस कार्यवाही न होने के कारण समुदाय में आक्रोश व्याप्त है ।
जनप्रतिनिधि होने के नाते मैं हमेशा इस संघर्ष में हूं साथ
रविवार को जेल ग्राउंड, मंडला में सभा का आयोजन किया गया । इस सभा को समाजिक मुखिया एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा संबोधित किया गया। विचारों के दौरान विधायक बिछिया नारायण पट्टा ने कहा कि शासन द्वारा आदिवासी अंचलों में ही विभिन्न परियोजनायों को लगाने का कार्य किया जा रहा है जो कि गलत है, आज जिन क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय बसा हैं जल जंगल वंही संरक्षित हैं। वास्तव में प्रकृति के असल प्रेमी आदिवासी समुदाय ही है। जिन मागों को लेकर संघर्ष किया जा रहा है इसे निरंतर करते रहने की आवश्यकता है हमें संख्या की चिंता न करते हुए लड़ाई को आगे बढ़ाने में निश्चित सफलता मिलेगी और जनप्रतिनिधि होने के नाते मैं हमेशा इस संघर्ष में साथ हूं हर रूप में सहयोग करने को तत्पर खड़ा रहूंगा, जीत संघर्ष की सुनिश्चित है।विस्थापितों का क्या हुआ कोई पूछने वाला नहीं है
विधायक निवास डॉ अशोक मर्सकोले ने कहा जितने भी परियोजना सरकार की जमीन में आई, चाहे बरगी परियोजना, कान्हा नेशनल पार्क, मनेरी औद्योगिक क्षेत्र जैसी योजनाएं सरकार द्वारा स्थापित की गई बड़े स्तर में यहां के बाशिंदे लोगों को विस्थापित किया गया परंतु उसके बाद विस्थापितों का क्या हुआ कोई पूछने वाला नहीं है।इन्हीं सब के दर्द को सहते हुए आज सामाजिक संगठनों ने अपने जनमांगो की लड़ाई बड़े स्तर में शुरू की है। धरातल में पांचवी अनुसूची, छठवीं अनुसूची का परिपालन वन अधिकार अधिनियम 2006 आदी का जमीन में क्रियान्वयन कितना हो रहा है इन सभी बातों की चिंता करने की आवश्यकता है। जनप्रतिनिधि होने के नाते आमजन के प्रत्येक हित अधिकार की लड़ाई में साथ हूँ। सरकार की योजनाएं सही स्थिति और सही व्यक्ति को सही समय पर मिले जिन बातों को सरकार के समक्ष भी बात रखा गया है। किसी भी परियोजना की स्थापना स्थानीय लोगों की आवश्यकता के आधार पर होनी चाहिए ना कि प्रस्तावित चुटका परमाणु परियोजना, राजा दलपत शाह अभ्यारण जैसे परियोजनाओं के नाम थोपा जाना चाहिए। स्थानीय आम सहमति के बिना किसी तरह का विस्थापन बिल्कुल गलत है।