रेत की नीलामी में पेशा एक्ट की धज्जियां उड़ा रही कांग्रेस सरकार
बिना ग्राम सभा रेत खदानों की नीलामी का विरोध कर रहा आदिवासी समाज
अवैध उत्खनन को मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस के नेता ही रेत की कमाई में नजर आ रहे आगे
बस्तर। गोंडवाना समय।
छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने से पहले जिस पेसा एक्ट को लेकर अनुसूचित क्षेत्रों में चुनावी मुद्दा बनाते हुए अपने घोषणा पत्र और वादो में कड़ाई से पालन करने की बात कहते हुए वोट लेकर सत्ता पर काबिज होने में कामयाब हो गई। आज उसी पेसा एक्ट लागू अनुसूचित क्षेत्रों में गौण खनिज का नियंत्रण नियामन खनन को लेकर पेसा एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही है। गौण खनिजों के खनन के लिए ग्राम सभा को दरकिनार कर एक पंचायत के सरपंच से अनापत्ति पत्र लेकर गौण खनिज को ठेका प्रथा से नीलामी करने का मामला छत्तीसगढ़ के बस्तर में मामला सामने आ रहा है।
कांकेर में 8 रेत खदानों के ठेको पर खनिज अधिकारी दे रहे यह बयान
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के कांकेर जिला अन्तर्गत 8 रेत (बालू) खदानों को ठेके में देने के लिए नीलामी की गई। जहां कांकेर जिला के खनिज अधिकारी ने बताया कि सभी रेत खदानों का नीलामी के पूर्व ग्राम पंचायत से प्रस्ताव लिया गया है। वहीं खनिज अधिकारी यह भी कहते है कि पंचायत या ग्राम सभा दोनो में से कोई भी प्रस्ताव लेना अनिवार्य रहता है। हम आपको बता दे कि बस्तर के कांकेर ही नहीं बस्तर के अन्य जिलों में भी रेत खदानों को नीलामी के मॉध्यम से ठेका में दिया जा रहा है।
जशपुर अंचल में विरोध के बाद निरस्त हुई थी रेत खदान-
जबकि खनिज अधिकारी के वक्तव्य की बात करे तो ग्राम सभा किए बिना ही पंचायत से अनापत्ति पत्र लेकर रसूखदार ठेकेदारों को नीलामी के मॉध्यम से रेत को बेच दिया गया है। यहां उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के जशपुर अंचल में पेसा एक्ट के पालन न करने और बिना ग्राम सभा किए रेत खदानों के नीलामी का विरोध के पश्चात नीलामी प्रक्रिया निरस्त की गई थी। अब कांकेर जिले में भी 8 रेत खदानों के ठेके में दिए जाने के बाद आदिवासी समाज बिना ग्राम सभा किए रेत खदानों के बेचने का विरोध में उतर गई है।
कांग्रेस विधायक प्रतिनिधियों के नाम हुई रेत खदानें
कांग्रेस पार्टी जिन्होंने चुनाव के पहले ही पेशा एक्ट को लेकर वायदा वचन दिया था लेकिन अब कांग्रेस के नेता ही रेत के ठेका लेने में पेशा एक्ट क्षेत्र में सबसे आगे नजर आ रहे है। कांकेर जिले में जिन 8 रेत खदानों को नीलाम कर ठेके में दिया गया है, उनमें 8 खदानों में से 2 रेत खदान कांकेर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस के विधायक शिशुपाल शोरी के विधायक प्रतिनिधि हरनेक सिंह औजला और गफ्फार मेमन को मिला है।
पहले क्या कहते थे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ?
एक समय था जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विपक्ष में रहते अपने भाषणों में कहा करते थे कि बस्तर में खनिज माफिया की ठेकेदारी बंद करा कर स्थानीय पढ़े लिखे लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाएंगे। बड़े ठेकेदार ग्रुप बनाकर स्थानीयों का हक मारते हुए गौण खनिजों का दोहन करते है। बस्तर के गौण खनिजो में स्थानीय लोगों को अवसर देने की बात कहा करते थे। ठीक विपरीत अब कांग्रेस के नेता ही गौण खनिजो को नियम विपरीत अपने नाम कर ठेकेदारी में उतर गए है।
आदिम जाति सहकारी समिति बनाकर रोजगार चाहते है ग्रामीण
ग्राम सभा द्वारा इन रेत खदानों को संचालित करने के लिए गांव के बेरोजगार युवाओं की आदिम जाति सहकारी समिति बनाकर उसके माध्यम से उत्खनन कर उससे प्राप्त आय का गांव के हित में उपयोग कर गांव के शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए, इसके साथ ही साथ बेरोजगार युवाओं की रोजगार उपलब्ध कराने के मकसद से प्रस्ताव पारित करना चाहते है और बस्तर जैसे क्षेत्र में स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए यह प्रावधान पांचवी अनुसूची संविधान पेशा कानून में स्पष्ट रूप से भारत का संसद द्वारा कानून बनाया गया है परंतु इन कानूनों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन शासन-प्रशासन-खनिज विभाग व खनिज माफिया कर रहे हैं ।
23 साल बाद भी नहीं लागू हुआ पेशा एक्ट
पूरे मामले को लेकर पेसा एक्ट क्रियान्वयन के संबंध में काम कर रहे अनुभव शोरी कहते है कि देश में पंचायत विस्तार अधिनियम-1996 (पेसा) को लागू हुए 23 साल हो गए लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में कानून का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है और प्राकृतिक संसाधनों का निरंतर दोहन हो रहा है। पेसा एक्ट के अंतर्गत ही गांवो का प्रबंधन तब होगा जब हमारी ग्राम सभा मजबूत होगी एवं पेसा के तहत प्राप्त शक्तियों को पहचान कर उसके अनुरूप गांव की विकास योजनाएं बनानी होगी।
रेत की नीलामी में ग्राम सभा की शक्तियों का हो रहा उल्लंघन
स्थानिय ग्रामीण योगेश नरेटी कहते है कि अभी तो सिर्फ एक गौण खनिज रेत को नीलाम कर अपने चहेते ठेकेदारों को दिया गया है। यह ग्राम सभा के शक्तियों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन हो रहा है। रेत खदानों का जिले में बैठकर सेंट्रलाइज नीलामी की जा रही है, तो जाहिर सी बात है कि ग्राम सभा से ऊपर के लोग जो पूंजीपति वर्ग है वही नीलामी में भाग लेगा और टेंडर उठाएगा। यह ग्राम सभा के आय के स्रोतों पर सीधा सीधा हमला है, यह बिल्कुल भी विधि सम्मत प्रक्रिया नहीं है। पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में ग्राम सभा को गौण खनिज का प्रबंधन का अधिकार देता है, ऐसा कानून की अनदेखी किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के लिए अपने अपने स्तर पर समाज प्रमुखों, राजनेताओं से बात किया जाना उचित होगा। जिला प्रशासन के इस प्रक्रिया को आपत्ति दर्ज करना चाहिए, उन सभी ग्राम सभाओं को जहां पर रेत खदान है।
गौण खनिज को लेकर क्या है पेसा एक्ट में नियम
पेसा एक्ट की धारा 4 (ट) (ठ) के तहत अनुसूचित क्षेत्रों के गांव की परंपरागत सीमा के अंदर गौण खनिज की नियंत्रण, खनन पट्टा, सर्वेक्षण, नीलामी या उपयोग करने की पूर्ण शक्ति पेसा ग्रामसभा को प्राप्त है। ग्रामसभा को अपने ग्राम क्षेत्र के भीतर जल, जंगल, जमीन के प्रबंधन का अधिकार दिया गया है।
और क्या है पेसा एक्ट
पेसा एक्ट के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्र के शासन, प्रशासन के नियंत्रण, ग्रामसभा के माध्यम से पंचायतों को व्यापक अधिकार निर्वाचन प्रक्रिया में प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित की है। पेसा एक्ट बिल 15 दिसंबर 1996 को लोकसभा में पारित हुआ, 18 दिसंबर 1996 को राज्य सभा में पारित हुआ एवं 24 दिसंबर 1996 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से कानून का रूप लिया। भारत के संविधान की पांचवीं अनुसूची में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में उपबंध किए गए हैं, जिसके तहत जनजाति सलाहकार परिषद की स्थापना की गई।