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मुख्यमंत्री जी आपकी मदद योजना में अफसर कर रहे कमीशन का खाका तैयार

मुख्यमंत्री जी आपकी मदद योजना में अफसर कर रहे कमीशन का खाका तैयार

कमीशन खोर अफसरों को नहीं ग्राम सभा को दे खरीदी का अधिकार 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश के निवासरत जनजातियों के जन्म-मृत्यू संस्कार के समय होने वाले कार्यक्रमों में आर्थिक परिस्थिति के कारण कई बार कर्जदार की स्थिति बनने की समस्या का समाधान के तहत आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत अपने पद नाम के अनुसार मुख्यमंत्री मदद योजना के नाम से योजना प्रारंभ कर इसका शुभारंभ भी कर दिया गया है लेकिन इसे जिला स्तर पर अमलीजामा पहनाने में अफसरों को अभी भी वक्त लग रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि मुख्यमंत्री जी आपके नाम से शुरू हुई योजना में कैसी चतुराई या सफाई से कमीशन का खेल खेला जाये क्योंकि नाम आपका जुड़ा हुआ है। इसलिये अफसर भी फूंक-फूंककर कमीशन बाजी के खेल में कदम रख रहे है। जहां कमीशन का रेसो 50 प्रतिशत तक होता है वह 20 प्रतिशत पर आकर टिक गया है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री मदद योजना में खरीदी को लेकर बार-बार नियमों को बदलकर आदेश भेजे जा रहे है, जिसके चलते योजना के क्रियान्वयन में अत्याधिक समय लग रहा है। मुख्यमंत्री जी आपके मदद योजना में राजधानी भोपाल में बैठे अफसर से लेकर जिला स्तर तक अफसरों ने लगभग अपना अपना कमीशन का खाका तैयार कर चुके है। मुख्यमंत्री जी आपकी मदद योजना का लाभ वास्तविक रूप से जनजाति वर्गों को देना चाहते है तोकमीशनखोर अफसरों को अधिकार न देकर सीधे पंचायतों में ग्रामसभा को सामग्री खरीदने का अधिकार देने पर विचार होना चाहिये अन्यथा आपके नाम की योजना में अफसरों के द्वारा किये गये कमीशनखोरी का खेल की आवाज कुछ ही महिनों बाद घटिया बर्तनों की खनखनाहट से गांव-गांव में गूजेंगी। 

भोपाल। गोंडवाना समय। 
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ के निर्णय से बनी मुख्यमंत्री मदद योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब जनजातिय वर्ग के परिवारों को अनिवार्य समाजिक संस्कारों के निर्वहन हेतु सहायता उपलब्ध कराना ताकि
आदिवासी संस्कृति एवं पारंपरिक प्रथाओं का संरक्षण हो सके एवं परिवार इन संस्कारों के निर्वहन हेतु अनावश्यक रूप से ऋणग्रस्तता के दायरे में आने बचे एवं अपने सामाजिक संस्कारों को बिना किसी बोझ के
पूर्ण कर सकें इस उद्देश्य से प्रदेश के 89 आदिवासी विकासखण्डो में मुख्यमंत्री मदद योजना बनाया गया है। योजना के तहत बर्तन सामग्री प्रदाय एक बार किया जाना है एवं अनाज का प्रदाय निरंतर किया जायेगा। मध्य प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य 20 जिलों के 89 आदिवासी विकासखण्डों में लगभग 12358 ग्रामों में बर्तन क्रय किये जाने हेतु 25000/- रूपये के हिसाब से राशि सहित योजना के संबंध विस्तृत दिशा निर्देश 1 अक्टूबर 2019 को कार्यालय आयुक्त आदिवासी विकास मध्य प्रदेश द्वारा सीधे ग्राम पंचायतों को प्रदाय की जाने के आदेश जारी किये गये थे।

योजना में ये बर्तन खरीदा जायेगा 

भगौना मय ढक्कन तबेला वजन/30 किलोग्राम- 1 नग
भगौना मय ढक्कन तबेला लगभग वजन 25 किलोग्राम- 1 नग
पानी रखने के लिये 200 लीटर के ड्रम (प्लास्टिक)- 2 नग
झारा स्टील - 2 नग
स्टी के बड़े चम्मच - 6 नग
स्टील तसला बाल्टी/तगारी - 6 नग
वहीं यदि उपरोक्त सामग्री क्रय करने के बाद शेष राशि बचने पर
अतिरिक्त बर्तन क्रय करने के आदेश हुये है जिसमें
कढ़ाई एक छोटी एक बड़ी लोहे - 2 नग
वजन लगभग 50 किलोग्राम
परात मीडियम स्टील की 2 नग
जग स्टील के 4 नग
गिलास स्टील के 100 नग

खुली निविदा की जानी थी आमंत्रित

हम आपको बता दे कि मुख्यमंत्री मदद योजना में सहायक आयुक्त द्वारा क एवं ख में दर्शित बर्तनों को ग्राम पंचायत के द्वारा क्रय करने के लिये आवश्यक संख्या में बर्तन सप्लायर को इम्पेनल करने हेतु खुली निविदा आमंत्रित की जायेगी यह निर्देश दिये गये थे। जिसमें निविदा ग्राम पंचायतों द्वारा सामग्री क्रय करने के लिये न्यूनतम दर एवं फर्म्स को इम्पेनल करने हेतु जारी रही है, ऐसा सहायक आयुक्तों द्वारा निविदा विज्ञप्ति में स्पष्ट उल्लेख किया जावे। वहीं बर्तन क्रय करने हेतु कार्यादेश ग्राम पंचायतों के द्वारा ही इम्पेनल्ड वेन्डर्स को दिया जायेगा। वहीं निविदा के मामले में यह भी आदेश दिया गया था कि आवश्यक हो तो जिले को एक से अधिक जोन में बांटा जा सकता है एवं प्रत्येक जोन के लिये विड पृथक पृथक बुलाई जा सकती है।

इम्पेनल के लिये समिति 

बर्तन सप्लायर को इम्पेनल करने हेतु जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता मं निम्नानुसार समिति गठित किये जाने हेतु आदेश दिये गये थे जिसमें कलेक्टर अध्यक्ष, सीईओ जिला पंचायत सदस्य, महाप्रबंधक जिला उद्योग केेंद्र सदस्य, कार्यपालन यंत्री आरईएस व पीडब्ल्यूडी सदस्य, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सदस्य सचिव होंगे उक्त समिति निविदा खोलकर दर एवं एजेंसी निर्धारित करेगी।

पंचायत वेन्डर को करेगी भुगतान 

वहीं ग्राम पंचायत द्वारा बर्तन सामग्री प्राप्त करने के पश्चात उनकी गुणवत्ता का परीक्षण कर मदद योजना अंतर्गत प्राप्त राशि से वेन्डर को भुगतान किया जायेगा। क्रय किये गये बर्तनों को स्टॉक पंजी मं प्रविष्टि कर
संबंधित ग्राम के चयनित मुखिया को मदद योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रदाय किये जायेंगे।

ग्राम सभा का कोई महत्व नहीं

हम आपको बता दे कि मध्य प्रदेश में 89 आदिवासी ब्लॉकों मेें ग्राम सभा का बड़ा महत्व है यानि पॉवरफुल स्थिति में संवैधानिक प्रावधान के अनुसार बनाया गया है लेकिर देखा जा रहा है कि ग्राम सभा सिर्फ नाम की ही है न तो ग्राम सभा की कोई सुनता है और न कोई मानता है, दिखावा के लिये ग्राम सभा को कागजों में ही संचालित किया जा रहा है जबकि मुख्यमंत्री कमल नाथ और सरकार चाहती तो ग्राम सभा को मुख्यमंत्री मदद योजना में बर्तन खरीदने का अधिकार दे सकते थे लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है तय अफसर करेंगे पंचायत को सिर्फ को भुगतान करना है।

विभागीय मंत्री और विधायकों का मौन समर्थन तो नहीं 

हम आपको बता दे कि मुख्यमंत्री मदद योजना के तहत उक्त योजना आदिवासी विकास विभाग के तहत संचालित होना है । वहीं इसके लिये आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री श्री ओमकार मरकाम की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तो है ही साथ में 89 ब्लॉकों में आने वाले क्षेत्रिय विधायक जो आदिवासी समाज के संबंध रखते है उनकी भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि मुख्यमंत्री मदद योजना के तहत मिलने एक बार बर्तन की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिये जो वर्षों तक चल सके। इस योजना में अफसरों की कमीशन की सेटिंग से जिस तरह से आखिरी पड़ाव में है वहीं विभागीय मंत्री श्री ओमकार मरकाम और विधायकों की भी मौन स्वीकृति इन अफसरों को मिल चुकी है ।

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