17 नवंबर को भोपाल में अपने अधिकारों को लेकर आदिवासी भरेंगे हुंकार
आदिवासियों के हक और अधिकार विरोधी फैसले पर हस्तक्षेप कर अपनी नैतिक जिम्मेंदारी निभाए सरकार
भोपाल/सिवनी। गोंडवाना समय।
जल जंगल जमीन व जीवन के लिए आदिवासी समुदाय द्वारा विगत 2 अक्टूबर से प्रदेश भर में संचालित आदिवासा हुंकार या़त्रा का समापन रविवार दिनॉक 17 नवम्बर को भेल दशहरा मैदान भोपान में किया जा रहा है। इस आयोजन में केंद्रीय अदिवासी मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, मध्य प्रदेश वन मंत्री श्री उमंग सिंगार, मध्य प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री ओंकार सिंह मरकाम सहित राज्य सभा सांसद श्रीमती संपतिया उईके एवं प्रदेश के 15 से अधिक विधायक भाग लेंगें। यह हुंकार यात्रा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे ग्वालियर चंबल, बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल, मालवा- निमाड, एवं मध्यांचल के 38 जिलों एवं 135 विकास खंडो में 80 से अधिक सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित की जा रही है। यात्रा में इन क्षेत्रों से आए विभिन्न दलों के नेता, स्थानीय आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि, मजदूर संगठन, विभिन्न आदिवासी जन संगठनों के नेता, आदिवासी मुद्दों के जानकार विषय-विशेषज्ञ एवं समाज सेवी सहित लगभग 25 हजार से अधिक जनांदोलन कार्यकतार्ओं से मंत्रीगण एवं विधायकगण मुलाकात कर इस महाअभियान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगें।
जल, जंगल, जमीन, जीवन व अपनी पहचान के मुद्दों से करायेंगे अवगत
आदिवासियों के जल जंगल और जमीन पर उनके संवैधानिक दावों के साथ अपनी एकजुटता और वचनद्धता सुनिश्चित करेंगें। अदिवासी हुंकार रैली के आयोजक गुलजार सिंह मरकाम नें बताया कि पीड़ित आदिवासी हुंकार रैली के माध्यम से अपने जल, जंगल, जमीन, जीवन व अपनी पहचान के मुद्दों से सुशुप्त सरकार व प्रशासनिक तंत्र को अवगत कराऐंगें। श्री गुलजार मरकाम ने कहा यह हुंकार रैली एक करोड़ अदिवासियों की ओर से सरकार को चेतावनी है कि सरकार अपनी ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदिवासियों के हक और अधिकार विरोधी फैसले पर हस्तक्षेप कर अपनी नैतिक जिम्मेंदारी निभाए। जंगल से अदिवासियों की बेदखली सहन नहीं करेगा आदिवासी समाज आदिवासी सेवा मंडल के प्रकाश ठाकुर नें बताया कि आदिवासी क्षेत्र संवैधानिक संकटों के दौर से गुजर रहा है। संविधान में पॉचवीं अनुसूची, पेसा कानून, वन अधिकार कानून, प्राकृतिक संसाधनों का नियंत्रण व प्रबंधन जैसे प्रावधानों के बाद भी उसका सही परिपालन न करते हुए बेदखली एवं विस्थापन जैसी कार्यवाही जारी है। संजय यादव ने कहा-जंगल से अदिवासियों की बेदखली सहन नहीं करेगा आदिवासी समाज। यह रैली आदिवासियों के अधिकारों के प्रति लापरवाह और सुस्त नौकरशाही के लिए चेतावनी है। सुप्त सरकार की लापवाही के कारण 13 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 करोड़ से अधिक आदिवासियों को जंगल बेदखली का आदेश पारित किया जा चुका है। इसके बाद आदिवासी और जनवादी समूहों द्वारा संघर्ष का रास्ता अपानाया गया।
26 नवम्बर 2019 को होगी सुनवाई
गोडवाना महिला समाज की अध्यक्ष दुर्गावती उईके ने कहा इस संघर्ष में महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी होगी। कोर्ट नें 26 नवम्बर 2019 को सुनवाई की तारीख सुनिश्चित की है। इसके पूर्व स्थानीय सरकारी तंत्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि अदिवासियों के पेसा कानून, वन अधिकार कानून 2006 व अन्य क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर 3 नवम्बर से अब तक प्रदेश के सभी छ: अंचलों के अदिवासी संगठनों नें जिला व ब्लाक मुख्यालयों पर भारी संख्या में लोगों के साथ सभाऐं व रैली अयोजित कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा हैं। जल जंगल जमीन जीवन बचाने के इस संयुक्त महाअभियान में कार्यरत आदिवासी समाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन, स्थानीय संगठनों द्वारा इस संकट को खत्म करने के लिए जल, जंगल, जमीन, जीवन बचाओ महाअभियान चलाकर प्रदेश में आदिवासी अधिकार हुंकार यात्रा की जा रही है। जिसका समापन समारोह भेल दशहरा मैदान में 17 नवम्बर 2019 को किया जा रहा है।