उत्तर प्रदेश में खरवार, गोंड और नायक के एसटी प्रमाणपत्रों की होगी जांच
गोरखपुर। गोंडवाना समय।उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष व पूर्व डीजीपी बृजलाल ने कहा कि खरवार, गोंड और नायक जाति के अनुसूचित जनजाति के प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी। इसके लिए आयोग ने सूबे के सभी डीएम को निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि असल गोंड, खरवार जातियां मिजार्पुर की पहाड़ियों, सोनभद्र एवं उसके आस-पास के जिलों में रहने वाली हैं। मगर देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलिया, गाजीपुर आदि कई जिलों के पिछड़ी जाति के लोगों ने भी गोंड, खरवार और नायक के अनुसूचित जनजाति के प्रमाणपत्र बनवाकर असल अनुसूचित जनजाति का हक हड़पा है। कई तो इन सर्टिफिकेट के दम पर नौकरी भी पा गए। बताया कि हाल ही में बीएचयू में ऐसे ही प्रमाणपत्र पर नौकरी करते एक असिस्टेंट प्रोफेसर को पकड़ा गया। उन पर कार्रवाई चल रही है।
उनकी सभ्यता-संस्कृति अनुसूचित जनजाति जैसी है कि नहीं
सर्किट हाउस में दो दिन पहले मंगलवार को एक पत्रकार वार्ता के दौरान अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश के सभी डीएम को निर्देश दिया गया है कि वे अनुसूचित जाति-जनजाति के प्रमाणपत्रों की जांच, परिवार रजिस्टर, जमीन से जुड़े सरकारी दस्तावेजों के अलावा उनके ससुराल, ननिहाल तक जाकर सच का पता लगाएं। मालूम करें कि उनकी उत्पत्ति कहां से हुई। उनकी सभ्यता-संस्कृति अनुसूचित जनजाति जैसी है कि नहीं। आयोग के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सपा और बसपा सरकार में पिछड़ी जातियों ने फर्जी तरीके से अनुसूचित जाति, जनजाति के प्रमाणपत्र बनवा लिए।प्रतापगढ़, रायबरेली, अमेठी, गोंडा आदि कुछ जिले संवेदनशील
उन्होंने कहा कि प्रदेश और केंद्र की भाजपा सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति की सच्ची हितैषी है। केंद्र सरकार ने एससी-एसटी एक्ट में 25 और अपराध जोड़े हैं। 14 जून 2016 के बाद किसी भी घटना में एससी-एसटी की हत्या या मृत्यु होने पर उन्हें आर्थिक मदद के साथ ही संबंधित की पत्नी को हर माह पांच हजार रुपये पेंशन की व्यवस्था की गई है। यही नहीं पीड़ित परिवार के बच्चों को स्नातक तक निशुल्क शिक्षा और घटना के तीन महीने तक पूरे परिवार का खर्च सरकार उठाएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एससी-एसटी के विवाद को लेकर प्रतापगढ़, रायबरेली, अमेठी, गोंडा आदि कुछ जिले संवेदनशील हैं। इससे पूर्व उन्होंने डीएम, एसएसपी और आईजी के साथ हुई समीक्षा बैठक में निर्देश दिया कि सभी एससी-एसटी को उनका हक समय से दिया जाए और किसी भी फरियादी को कोई तकलीफ न हो।सिर्फ एफआईआर दर्ज होने से कोई मुजरिम नहीं हो जाता-
आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने स्वीकार किया एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है। कहा कि सिर्फ एससी-एसटी का मुकदमा दर्ज होने से कोई मुजरिम नहीं हो जाता। मुकदमा दर्ज करना एक्ट की एक प्रक्रिया है, पुलिस की जांच के बाद संलिप्तता पाए जाने पर ही किसी की गिरफ्तारी करें। उन्होंने बताया कि सभी पुलिस अफसरों को इस संबंध में कड़े निर्देश दिए गए हैं। मथुरा में हुई एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में वहां एक महिला के छह साल बेटे की हत्या कर दी गई थी। उस मामले में सामान्य जाति के पांच लोगों को तमाम धाराओं समेत एससी-एसटी एक्ट के तहत भी नामजद किया गया था। बाद में जब जांच हुई तो पता चला कि महिला केदेवर ने ही उसके बेटे की हत्या की थी। पांचों पर से एससी-एसटी एक्ट आदि का मुकदमा हटाने के साथ ही संबंधित महिला को दी गई आर्थिक मदद भी वापस ली गई।