पाँचवी अनुसूची के अनुपालन हेतु राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन
अनुपपुर। गोंडवाना समय।विगत 72 वर्षों बाद भी भारतीय संविधान के दसवें भाग में अंकित अनुच्छेद 244(1) पाँचवी अनुसूची अनुसूचित क्षेत्र स्वायत्त शासन का अधिकार है लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात आज तक मात्र आदिवासियों के मुख्य आधार जल, जंगल व जमीन का शासन और प्रशासन उनके साथ कापोर्रेट जगत मिलकर सिर्फ खनिज सम्पदा, वन संपदा का मिल कर दोहन किए और उस क्षेत्र के निवासियों को आधुनिक विकास के नाम पर सिर्फ पलायन विस्थापन ही दिए हैं।
जंगल और जमीन से आदिवासियों को बेदखल किया गया आज मंडला जिला में दलपतशाह अभ्यारण्य की योजना बनी है। जिसमें कई गाँव विस्थापित होंगे, चुटका परियोजना, न जाने कितने इस प्रकार के योजना सिर्फ आदिवासियों को विस्थापित करने के उद्देश्य से शासन कूटनीतिक षडयंत्र करता है। जबकि भारतीय संविधान निमार्ताओं ने इस ओर ध्यान दिया कि दूरांचल जंगल वीहड़ों में निवास करने वाले आदिम समुदाय के, संस्कृति भाषा, भौगोलिक क्षेत्र को संरक्षित करने के उद्देश्य से पाँचवी अनुसूची बनाया लेकिन जिन्हें संविधान संरक्षित करने की जिम्मेदारी मिली वे सभी सत्ताधारी संविधान की मूल भावनाओं को दरकिनार करते हुए आज तक पाँचवी अनुसूची को उसके मूल सिद्धांतों के खिलाफ कार्य करते हैं।
जयस अनूपपुर के कार्यकर्ता ने महामहिम राज्यपाल जी से मांग किया हैं कि शीघ्र ही अधिसूचना जारी करें। जयस अध्यक्ष राम प्रसाद सिंह धुर्वे व जयस प्रभारी दिनेश श्याम अनूपपुर ने युवाओं को जयस की मूल विचारधारा से अवगत कराते हुए जयस को मजबूत करने के लिए युवाओं से आहवान किया और महामहिम के नाम अनुपपुर श्रीमान अपर कलेक्टर को सौंपे गये ज्ञापन के अवसर पर जयस के पदाधिकारी व सदस्यगणों में प्रमुख रूप से अनमोल परस्ते, रमेश सिंह मराबी कार्यवाहक अध्यक्ष अनूपपुर, राममनोहर मराबी महासचिव जयस, गंगा सिंह नेटी, राजेश सरठिया उपाध्यक्ष, सुशील पेंदो, सतेन्द्र मराबी, मनोज मराबी संयोजक अनूपपुर, सूरज श्याम, पोर्ते जी, परते जी मौजूद रहे।