जयस की फेसबुक महापंचायत में एक तीर, एक कमान, सभी आदिवासी एक समान की दिखेंगी झलक
19-20 अक्टूबर को इंदौर में होगी जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) की फेसबुक महापंचायत
जयस ' सामाजिक सांस्कृतिक पुरखा परिवार' द्वारा आयोजित यह फेसबुक महापंचायत पूर्ण रूप से गैर-राजनीतिक
भोपाल गोंडवाना समय।
जयस की फेसबुक महापंचायत में भारत के साथ साथ दुनियाभर के जनजाति समुदाय का बीता इतिहास, वर्तमान के साथ साथ भविष्य में आने वाले समय में जनजाति समुदाय पर संकट, समस्या से कैसे निबटने के लिए जनजाति समुदाय को सजग, सतर्क रहकर संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा. इन सब महत्वपूर्ण गंभीर विषयों पर दो दिन तक फेसबुक के माध्यम से सोशल मीडिया में जागरूकता की अलख जगा रहे शख्सियतों का जमघट विचार, चिंतन, मनन और मंथन कर निर्णय लिये जाऐंगे.।
दुनिया भर में 37 करोड़ से अधिक है आदिवासी
संयुक्त राष्ट संघ के प्रमाणित आकड़ों अनुसार दुनिया के अलग- अलग हिस्सों में लगभग 37 करोड़ आदिवासी (मूल वासी) लोग निवास करते है। भारत में भी सन- 2011 की जनगणना के अनुसार- 10 करोड़ से अधिक आदिवासियों की जनसंख्या है जो कि 705 से अधिक समुदायों में निवास करते है।
भारत सहित और अन्य देशों के मूल वासियों को एक मंच पर लाने के लिये जयस द्वारा विगत कई वर्षों से प्रयास किया जा रहा है। फेसबुक महापंचायत के माध्यम से समस्त आदिवासियों को यूनाइटेड (एकता) करने के लिये समाज के वैचारिक एवं समर्पित कार्यकत्तार्ओं का निर्माण करने के लिये गैर राजनीतिक सामाजिक आयोजन मध्य प्रदेश के इंदौर मे 19-20 अक्टूबर को। रखा जा रहा है।
भारत में आदिवासी विलुप्ति की कगार पर गहन चिंता का विषय
हमारे देश भारत एवं अन्य देश में आदिवासियों समुदाय विलुप्ति के कगार पर है। यह गहन चिंता का विषय है। गुमनाम इस धरती पर मानव जाति की उत्पत्ति से निवासरत पहला मानव जो आदि अनादिकाल से इस धरती पर रहकर, प्रकृति, पर्यावरण, के साथ जीव-जंतु-जल-जंगल-जमीन को आवश्यकतानुसार उपयोग में लेकर मानव जाति को उन्नत बनाने वाला इंसान ही आदिवासी कहलाया है। आज इक्कीसवीं सदी में 4 जनरेशन चल रही है जो कि विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी का जमाना है। इसके बावजूद आदिवासी समुदाय आज भी प्रकृति के साये में जीवन यापन करना पसन्द करता है। जिससे आदिवासियों के समूह सहज प्रकृति और संस्कृति का निर्माण और संरक्षण करता आया है।
सोशल मीडिया फैशबुक में फैला रहे जागरूकता, कर रहे आवाज बुलंद
ग्लोबिलाइजेशन के इस युग में हमारे कुछ लोग थोड़ा समझने लगे और अपने संवैधानिक हक-अधिकारों के बारे में जानने लगे इन्ही अधिकारों ओर पर्यावरण के संरक्षण हेतु हमारे आदिवासी युवाओ ने सोशल मिडीया का सहारा लिया और फेसबुक के माध्यम से सकेडो युवाओ को जोड़ते हुए एक नये युग(जयस नाम)की शुरूआत हुई जो सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नही राष्ट्रीय स्तर पर अपना वर्चस्व स्थापित कर चुका है। और देश -विदेश के गैर आदिवासी भी आदिवासियों के ऊपर हो रहे शोषण अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे है।
बड़वानी में 16 मई 2013 को जयस विचारधारा की हुई थी उत्पत्ति
फेसबुक महापंचायत के विक्रम अच्छलिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जयस विचारधारा की उत्पत्ति 16 मई 2013 कृषि उपज मंडी परिसर, राजघाट रोड़ बड़वानी , जिला - बड़वानी (म.प्र. ) से लेकर आज तक लाखों युवा सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि से जुड़कर समाज हित में अनगिनत बड़े आयोजन, धरने प्रदर्शन को साकार रूप देकर अपना अस्तित्व, जमीन को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे है। जयस ने आदिवासियों के शोषण एवं अत्याचार के खिलाफ एक नई क्रांति का आगाज किया है । जिसके आधार पर आज सम्पूर्ण भारत के आदिवासी चाहे वे किसी भी प्रान्त, वर्ग, जाति के हो या अधिकारी-कर्मचारी, बेरोजगार बुजुर्ग, नारी शक्ति ,युवा, मजदूर, किसान हो या अन्य गैर आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता सभी एक मंच पर खुलकर आ रहे है और समाज हित में कार्य कर रहे है।
बड़वानी में 16 मई 2013 को जयस विचारधारा की हुई थी उत्पत्ति
फेसबुक महापंचायत के विक्रम अच्छलिया ने जानकारी देते हुए बताया कि जयस विचारधारा की उत्पत्ति 16 मई 2013 कृषि उपज मंडी परिसर, राजघाट रोड़ बड़वानी , जिला - बड़वानी (म.प्र. ) से लेकर आज तक लाखों युवा सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि से जुड़कर समाज हित में अनगिनत बड़े आयोजन, धरने प्रदर्शन को साकार रूप देकर अपना अस्तित्व, जमीन को बचाने के लिये संघर्ष कर रहे है। जयस ने आदिवासियों के शोषण एवं अत्याचार के खिलाफ एक नई क्रांति का आगाज किया है । जिसके आधार पर आज सम्पूर्ण भारत के आदिवासी चाहे वे किसी भी प्रान्त, वर्ग, जाति के हो या अधिकारी-कर्मचारी, बेरोजगार बुजुर्ग, नारी शक्ति ,युवा, मजदूर, किसान हो या अन्य गैर आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता सभी एक मंच पर खुलकर आ रहे है और समाज हित में कार्य कर रहे है।
13 मई 2013 को बड़वानी से शुरू हुआ अभियान आज देश दुनिया तक पहुंच गया है. इसमें सोशल मीडिया में दुनियाभर में फेसबुक से एक दूसरे को जोड़ने वाले, जानकारी एक सेकंड में पहुंच जाती है और फेसबुक के मुखिया जुकरबर्ग का यह प्रयास आदिवासियों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसलिए जयस फेसबुक महापंचायत जुकरबर्ग का आभार मानती है. आगे विक्रम अच्छलिया बताते है कि इसी वजह से हम फेसबुक का धन्यवाद करते हुए, आदिवासियों को आपस में जोड़ने की कड़ी बताते हुए जयस फेसबुक महापंचायत का आयोजन कर रहे है। जिसमें देश- विदेश के तमाम बुद्धिजीवी, चिंतक, युवा और वरिष्ठ लोग शामिल होंगे। समाज की वर्तमान परिस्थितियों पर गहन चिंतन-मंथन किया जायेगा । तत्पश्चात आदिवासियों को भविष्य में सही दिशा में ले जाने का उपक्रम किया जायेगा। जिसमें मानव जाति -पर्यावरण के संरक्षण के सन्देश को साकार किया जा सके ।
इंदौर में यहां होगी महापंचायत
जयस फेसबुक महापंचायत के आयोजक सदस्य विक्रम अछालिया ने गोंडवाना समय से चर्चा में बताया कि इंदौर में इसके पहले भी विश्व आदिवासी युवा शक्ति फेसबुक महापंचायत 'का आयोजन इन्दौर में बीते वर्षों मे 20- 21 अक्टूबर 2013 में हुआ था। वर्ष 2013 में हुई फेसबुक महापंचायत की शुरूआत के बाद आज जो कारवां है और जिस संख्या में फैसबुक महापंचायत में आदिवासी समाज ने जागरूकता दिखाई है उसका नजारा फेसबुक से लेकर, सोशल मीडिया, न्यूज चैनल, समाचार पत्रों में नजर आयेगा क्योंकि सात साल बाद अब पूरी तैयारी के साथ 19- 20 अक्टूबर 2019 में फेसबुक महापंचायत का आयोजन हो रहा है। भारत में सर्वाधिक जनसंख्या वाला आदिवासी बाहुल्य मध्यप्रदेश में जयस फेसबुक महापंचायत 19-20 अक्टूबर को सिल्वर ओके शुभ कारज मैरिज गार्डन, राजीव गांधी चौराह के पास इन्दौर म.प्र में होगी . यहां पर आपको 'एक तीर एक कमान- सभी आदिवासी एक समान की स्पष्ट झलक दिखाई देगी। 32 ज्वलंत मुद्दों के साथ अन्य विषयों पर होगा चिंतन-मंथन मध्यप्रदेश की व्यापारिक राजधानी इंदौर में जयस की फैशबुक महापंचायत में भारत सहित दुनियाभर के आदिवासी समुदाय के प्रमुख 32 ज्वलंत गंभीर मुद्दों के साथ ही स्थानीय, क्षेत्रीय गंभीर विषयों पर दो दिन तक विचार विमर्श, चिंतन मनन के साथ मंथन होगा और इसी पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाऐंगे .इन 32 बिन्दुओ पर जयस फेसबुक महापंचायत की चचार्ये होगी।
इन बिन्दुओ पर चचार्ये होगी
1. आदिवासियों पर विज्ञान एवं आधुनिक तकनीकी का यथार्थ प्रभाव ।
2. आदिवासियों की जीवनशैली से पर्यावरण की सुरक्षा एवं ग्लोबल वार्मिंग का समाधान ।
3. आदिम संस्कृति और सभ्यता की विशिष्टता पर विवेचन ।
4. स्कूल, कॉलेज एवं उच्च शिक्षा संस्थानों में आदिवासी छात्र- छात्राओं की समस्याएँ एवं समाधान ।
5. आदिवासियों की पारम्परिक जैविक खेती की सम्भावनाएं, समस्या और चुनौतियाँ ।
6. सोशल मीडिया का युवाओं पर पढता प्रभाव(रूझान), उनकी समस्या, समाधान और चुनौतियाँ ।
7. देश के विधानसभा एवं लोकसभा में आदिवासियों के प्रतिनिधित्व होने के मायने।
8.अलग-अलग राज्यों की सांस्कृतिक एवं पारंपरिक विचारों का आदान - प्रदान पर चिंतन ।
9. आर्थिक विकल्पों का विवेचन । जैसे- स्व रोजगार, व्यवसाय करना, शासकीय नौकरियों की तैयारी आदि।
10. राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में आदिवासियों की पहचान, अधिकार, शोषण, गरीबी, अशिक्षा आदि के प्रति गैर जिम्मेदारियों का होना । उसका कारण और समाधान पर चिंतन ।
11. आदिवासियों की ऐतिहासिक पहचान और उनके साहित्य से समाज की दशा और दिशा । शोध कैसे करें ?
12. देश के आदिवासी क्रान्तिकारियों का इतिहास ।
13. आदिवासियों की नारी शक्तियों की पहचान और वर्तमान उनकी दशा एवं दिशा ।
14. आदिवासी क्षेत्र में प्राकृतिक खनिज सम्पदाओं की लूट और सरकार का रवैये पर चिंतन एवं निराकरण के सुझाव ।
15. आदिवासियों के पलायन, विस्थापन, भुखमरी, बेरोजगारी , आर्थिक शोषण आदि पर चिंतन और समाधान हेतु सुझाव ।
16. आदिवासी युवाओं का दायित्व, प्रशिक्षण और उनका भविष्य ।
17. पाँचवी अनुसूची क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के दायित्व।
18. युवा अवस्था और वृद्धावस्था में आपसी वैचारिक सोच में बदलाव का कारण और समाधान ।
19. जनजातीय (आदिवासी) बजट अनुच्छेद- 275 का विश्लेषण ।
20. आदिवासी समुदायों का कम होने का कारण बचाव के उपाय योजना।
21. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजमेंटस (फैसलों ) पर चिंतन।
22. संवैधानिक अधिकारों, जैसे- पेसा, (ढएरअ) वन अधिकार मान्यता कानून , भूमि अधिग्रहण पर चिंतन ।
23 संयुक्त राष्ट्र संघ (वठड) द्वारा आदिवासियों के विकास एवं संरक्षण की देख-रेख से सम्बंधित घोषणाओं पर चिंतन।
24. वैश्वीकरण के दौर में नीजिकरण , उद्योगीकीकरण एवं बाजारीकरण का आदिवासी समुदायों पर बढ़ते प्रभाव का समाधान ।
25 . संवैधानिक प्रतिनिधित्व ( आरक्षण) एवं बैकलॉक के पदों पर चिंतन ।
26. सम्पूर्ण क्षेत्र में आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व का मजबूत पक्ष कैसे सम्भव होगा ? सुझाव एवं समाधान पर चिंतन ।
27. आदिवासी समाज में कुपोषण के कारण और उसका निदान ।
28. आदिवासियों की जंगली औषधियों का महत्व और उन औषधियों का संरक्षण पर सुझाव ।
29. आदिवासी समुदायों का सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक आदि क्षेत्र में वैचारिक एकीकरण की समस्याएँ एवं समाधान ।
30. शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियो का समाज के प्रति उदासीनता और निदान का अध्ययन।
31. समाज में नशे का बढ़ता दायरा । उसकी समस्या और समाधान पर विवेचन ।
32 . किसानों की वर्तमान दयनीय स्थिति पर गंभीर -चिंतन मनन ।