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मुख्यमंत्री जी, आदिम जाति कल्याण मंत्री की नहीं सुन रहे, तो क्या सलूक करते होंगे मध्य प्रदेश में आदिवासियों के साथ आपके हिटलर अधिकारी

मुख्यमंत्री जी, आदिम जाति कल्याण मंत्री की नहीं सुन रहे, तो क्या सलूक करते होंगे मध्य प्रदेश में आदिवासियों के साथ आपके हिटलर अधिकारी 

भोपाल। गोंडवाना समय। 
मध्य प्रदेश में आदिवासी के लिये कल्याणकारी योजनाओं, विकास की मुख्य धारा से जोड़ने, उन्हें हर संभव मदद सहायता देने के साथ साथ जन्म-मृत्यू कार्यक्रम के लिये भी सहयोग सहित अनेकों योजनाओं की घोषणा कर उसे क्रियान्वित कराकर लागू कराने की मंचों व बैठकों में अपने मुखारबिंद से बोलने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ के बयानों की वास्तविकता मध्य प्रदेश के किसी आदिवासी ने नहीं वरन आपकी ही सरकार के आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने बया किया है कि किस तरह मध्य प्रदेश के अधिकारी अपनी मठ्ठरशाही व हिटलर के अंदाज में अपनी सेवा दे रहे है। जब आदिम जाति कल्याण मंत्री ही आपकी सरकार के अधिकारियों से परेशान है तो मध्य प्रदेश के आदिवासियों के क्या हाल करते होंगे अधिकारी और किस तरह का सलूक आदिवासियों के साथ करेते होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है ।

मंत्री के बंग्ले में टपक रहा पानी, नहीं सुधरवा रहे अधिकारी

मध्य प्रदेश में हो रही भारी बरसात का सितम सिर्फ झुग्गी झोपड़ी या कच्चे मकानों में रहने वालों को ही नहीं सहन करना पड़ रहा है वरन मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरका को भी सहना पड़ रहा है । हम आपको बता दे कि आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम के श्यामला हिल्स पर बने सरकारी बंगले ई-8 में जगह-जगह से पानी टपक रहा है। हालांकि मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने भवन के मेंटेनेंस के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग से लेकर स्वयं के विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई कहीं नहीं हो रही है। इतना ही नहीं उनके सरकारी आवास पर रखा हुआ पुराना सामान भी सड़ांध मार रहा है, तो छत से टपकता पानी फाइलों को बर्बाद कर रहा है।

मंत्री का दर्द आदिवासी हूं इसलिये नहीं हो रही सुनवाई, अब मुख्यमंत्री के शरण में जायेंगे

आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का आरोप है कि वह आदिवासी वर्ग से मंत्री होने के कारण उनकी सुनवाई नहीं हो रही है और अब इस पूरे मामले की शिकायत वो सीधे मुख्यमंत्री कमलनाथ से करेंगे। आदिम जाति कल्याण मंत्री के अनुसार वे अपने सरकारी बंगले के मेंटेनेंस के लिए कई बार अफसरों को शिकायत दे चुके हैं, लेकिन न तो बिल्डिंग का मेंटनेंस हो पाया है और न ही पुराने फर्नीचर का हो पा रहा है। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि इस समय का उपयोग वह मध्य प्रदेश के आदिवासियों के विकास पर खर्च करना चाहते है लेकिन वो अफसरों के साथ माथापच्ची करने में लगे हुये हैं। आदिम जाति कल्याण मंत्री के बंग्ले की स्िथति ऐसी है कि मंत्री अपने सरकारी आवास पर बने दफ्तर में सरकारी फाइलें तक नहीं निपटा पाते हैं क्योंकि छत से टपकने वाला पानी उनको बर्बाद कर रहा है। इसकी शिकायत वो अपने विभाग के अफसरों से भी कर चुके हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। इस कारण अब वे उक्त मामले को मुख्यमंत्री कमलनाथ की शरण में ले जाने का मन बना चुके है।

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