पर्यावरण और पशुधन हमेशा ही भारत की आर्थिक सोच और इसके दर्शन के केन्द्र में रहे हैं-प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने किया राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम और राष्ट्रीय कृत्रिम गभार्धान कार्यक्रम की शुरूआत
प्रधानमंत्री ने समाधान की खोज करने के लिए युवाओं का किया आहवान
प्लास्टिक एकल इस्तेमाल को घटाने के लिए समाज के सभी हिस्से का किया आहवान
नई दिल्ली/मथुरा। गोंडवाना समय।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मथुरा में देश में पशुओं के खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी) और ब्रूसेलोसिस के नियंत्रण और उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीडीपी) की शुरूआत किया। पूर्णत: केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम की व्यय राशि 12652 करोड़ रुपये है।
इन दोनों बीमारियों में कमी लाने के प्रयास के तहत देशभर में 60 करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने टीकाकरण और रोग प्रबंधन, कृत्रिम गभार्धान और उत्पादकता पर राष्ट्रीय कृत्रिम गभार्धान कार्यक्रम और देश के सभी 687 जिलों के सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में एक राष्ट्रव्यापी कार्यशाला की भी शुरूआत किया।
हम हमेशा प्रकृति और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन कायम रखने की करते है कोशिश
एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, पर्यावरण और पशुधन हमेशा ही भारत की आर्थिक सोच और इसके दर्शन के केन्द्र में रहे हैं। इसीलिए, चाहे स्वच्छ भारत अथवा जल जीवन अभियान हो अथवा कृषि और पशुपालन को बढ़ावा देने की बात हो, हम हमेशा प्रकृति और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन कायम रखने की कोशिश करते हैं।प्रधानमंत्री ने देश में प्लास्टिक के एकल इस्तेमाल में कमी लाने पर जोर देते हुए स्वच्छती ही सेवा कार्यक्रम की भी शुरूआत की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि इस वर्ष 2 अक्टूबर तक हमारे घरों, कार्यालयों, कार्यस्थलों को प्लास्टिक के एकल इस्तेमाल से छुटकारा मिले। उन्होंने सभी स्वयं सहायता समूहों, नागरिक समाज, गैर-सरकारी संगठनों, महिलाओं एवं युवाओं के संगठनों, महाविद्यालयों, विद्यालयों, प्रत्येक सरकारी और निजी संगठनों, प्रत्येक व्यक्ति से अपील करते हुए प्लास्टिक के एकल इस्तेमाल को रोकने के इस अभियान में शामिल होने का आहवान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें प्लास्टिक बैगों के लिए सस्ते और आसान विकल्पों को ढूंढना चाहिए और हमारे स्टार्ट-अप उद्योगों के माध्यम से बहुत से समाधान निकाले जा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने पशुओं के स्वास्थ्य, पोषण और दूध उत्पादन से संबंधित कई अन्य कार्यक्रमों की भी शुरूआत किया ।