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....जब मौत और विस्थापन देना है, तो राजा दलपत शाह अभ्यारण्य का दे दिया नाम

....जब मौत और विस्थापन देना है, तो राजा दलपत शाह अभ्यारण्य का दे दिया नाम 

प्रस्तावित राजा दलपत शाह अभ्यारण्य का करेंगे विरोध 

बीजाडांडी की बैठक में लिया गया निर्णय 

मण्डला/बीजाडांडी। गोंडवाना समय।
गांव गांव में में इस अभयारण्य की जानकारी देकर, इसके विरोध में प्रस्ताव पारित कराया जाए एवं प्रस्तावित राजा दलपत शाह अभ्यारण का विरोध करने को लेकर बीते 10 सितम्बर 2019 को आयोजित हुई बैठक में जिला पंचायत सदस्य पुसुआ उइके की अध्यक्षता किया जहां क्षेत्र के अनेक जनप्रतिनिधि, समाजिक मुखिया एवं गणमान्य लोग मंगल भवन, बीजाडांडी में शामिल हुये। समाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र पुट्टा ने कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए बताया कि बरेला, बीजाडांडी, कालपी तथा टीकरिया वन परिक्षेत्र को मिलाकर राजा दलपत शाह अभ्यारण्य का निर्माण होना प्रस्तावित है। इससे क्षेत्र में निवास करने वाले समुदाय के जनजीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा । वहीं बैठक में तिनसई सरपंच मदन सिंह बरकड़े ने कहा कि इसको लेकर हम सब गांव गांव में में इस अभयारण्य की जानकारी देवें एवं इसके विरोध में प्रस्ताव पारित कराया जाए। जनपद अध्यक्ष बीजाडांडी भागवत गोठरिया ने कहा कि मैंने बरगी बांध से विस्थापित होने का दर्द झेला है। हमारे विकास खंड के 40 पंचायत के सरपंचो से इस सबंध में चर्चा कर विरोध किया जाएगा ।

क्या आदिवासी समुदाय ने विस्थापित होने के लिए जन्म लिया है? 

जनपद उपाध्यक्ष नारायणगंज के भूपेन्द्र बरकड़े ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कभी हमारे पुरखा एवं शहीदों को सम्मान नहीं दिय़ा परन्तु जब मौत और विस्थापन देना है, तो राजा दलपत शाह अभ्यारण्य का नाम दे दिया । क्या आदिवासी समुदाय ने विस्थापित होने के लिए जन्म लिया है? नारायणगंज में भी इस सबंध में बैठक किया जाएगा । लाबर चरगांव की सरपंच सुश्री गीता तेकाम ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी द्वारा रोजगार मिलने के नाम पर सरपंचो से सहमति पत्र में हस्ताक्षर कराया जा रहा है। इस पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ नेता मोले सिंह गोठरिया ने कहा कि उन वन विभाग कर्मचारियों के खिलाफ थाने में धोखा देने के आरोप में एफआईआर किये जाने का सुझाव दिया गया।

बैठक में दलपत शाह अभ्यारण्य विरोधी मोर्चा का किया गया गठन 

बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ के राज कुमार सिन्हा ने बताया कि राज्य में 10 राष्ट्रीय पार्क एवं 25 अभयारण्य हैं । जिसके कारण 94 गांव के 5 हजार 460 परिवारों बहुत पहले विस्थापित किये जा चुके हैं तथा इस राष्ट्रीय पार्क में अब में कोर एरिया बढ़ाने के नाम पर 109 गांव के 10 हजार 438 परिवारों को हटाये जाने की कार्यवाही जारी है । प्रदेश सरकार द्वारा 12 टाईगर सेंचुरी बनाने का प्रस्ताव है, जिसमें दलपत शाह अभयारण्य भी एक है। वन अधिकार कानून 2006 के अन्तर्गत इस क्षेत्र में निवास करने वाले ग्राम वासियों का सामुदायिक अधिकार मान्यता की प्रक्रिया पूर्ण किये बिना अभ्यारण्य की कार्यवाही शुरू करना असंवैधानिक है ।

विधायक के असहमति पत्र का किया स्वागत 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पुसुआ उइके ने अपने संबोधन में कहा कि हम क्षेत्र वासियों को दलगत राजनीति से उपर उठकर समुदाय के सामने आसन्न संकट के विरोध में एकजुट होकर संघर्ष करना होगा । उपस्थित लोगों ने निवास विधायक डाक्टर अशोक मर्सकोले द्वारा इस अभ्यारण्य के खिलाफ शासन प्रशासन को लिखे गए असहमति पत्र का स्वागत किया । बैठक में निर्णय लिया गया कि इस योजना की समस्त जानकारी एकत्रित किया जाए, गांव गांव में  जनजागृति के माध्यम से विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया जाकर अभ्यारण्य के विरोध में प्रस्ताव लेना, कानूनी परामर्श लेना, राज्य स्तर पर इस विषय पर कार्यरत समूहों के साथ सम्पर्क करना और रघुनाथ शाह एवं शंकर शाह बलिदान दिवस 18 सितम्बर से अभ्यारण्य के खिलाफ विरोध तेज करना आदि । बैठक में दलपत शाह अभ्यारण्य विरोधी मोर्चा का गठन किया गया । इस बैठक को धनराज बरकङे,भगत मरावी, बजारी यादव, कैलाश सोनी एवं शारदा यादव ने भी संबोधित किया तथा कार्यक्रम का संचालन मदन सिंह बरकङे ने किया ।

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