आदिवासी विकासखंड के बेटा-बेटी बने सिविल जज
शिक्षक का बेटा और दूध डेयरी संचालक की बेटि ने जज बनकर जिले का बढ़ाया गौरव
सिवनी। गोंडवाना समय।
जिले के आदिवासी विकासखंड छपारा और लखनादौन में एक बेटा एक बेटी ने अपनी लगन और मेहनत के बलबूते पर सिविल जज की परीक्षा उत्तीर्ण कर जज का तमगा हासिल कर जिले का गौरव बढ़ा दिया है। आदिवासी विकासखंड के सिविल जज बने बेटा-बेटी में एक आदिवासी युवक है।
पहली असफलता के बाद दोबारा मिली सफलता-
आदिवासी विकासखंड छपारा के भीमगढ़ मार्ग पर स्थित खुसीर्पार गांव के आदिवासी शिक्षक पीआर भलावी के बेटे रविशंकर भलावी पहली बार साक्षात्कार तक पहुंचने के बाद सेलेक्ट न होने पर दोबार कठिन परिश्रम कर सिविल जज बनने में सफलता हासिल कर जिले का गौरव बढ़ा दिया है। वहीं आदिवासी समाज के युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं। सिविल जज बने रविशंकर भलावी की प्रारंभिक शिक्षा छपारा एवं सिवनी उत्कृष्ट विद्यालय में हुई। हायर सेकेेंडरी शिक्षा लेने के बाद रविशंकर ने इंदौर से बीएएलएलबी की डिग्री हासिल की है। इंदौर में रहकर रविशंकर ने सिविल जज की तैयारी की। पहले प्रयास में वे इंटरव्यू तक पहुंचे लेकिन सिलेक्ट नही हुए। इसके बावजूद उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा। तीसरे प्रयास में रविशंकर ने इस परीक्षा को पास किया है। रविशंकर की सफलता की खबर सुनते ही पिता पीआर भलावी, माता सावित्री सहित नाते रिश्तेदारों में खुशी की लहर है।
पिता का सपना सच कर बेटी बनी जज-
आदिवासी विकासखंड लखनादौन की बेटी शबाना खान ने पिता के सपनों को साकार करते हुए सिविल जज का मुकाम हासिल कर लिया है। जज बनी बेटी शबाना खान के पिता दूध डेयरी संचालित कर अपने परिवार का लालन-पालन करते हैं। परिवार की गरीब परिस्थितियों को देखते हुए शबाना खान आकाशवाणी में नौकरी की। शबाना खान ने बताया कि जब नौकरी पढ़ाई के आड़े आई तो उन्होंने आकाशवाणी की नौकरी छोड़कर सिविल जज के इग्जाम की तैयारी की तो बेटी की लगन और परिश्रम का परिणाम सिविल जज के रूप में सामने आया।
शबाना खान बताती है कि उनके वालिद उन्हें सिविल जज बनाना चाहते थे और आज उन्होंने अपने वालिद का सपना पूरा किया है। शबाना ने बताया कि जबलपुर में लॉ की पढ़ाई पूरी की। सिविल जज बनी शबाना खान का कहना है कि सफलता हासिल करना है तो एकाग्र होकर कड़ा परिश्रम करना जरूरी है। सिविल एग्जाम की तैयारी कर रहे उन सभी बच्चों को शबाना को ये संदेश दिया है कि भले ही आपकी जिंदगी में कितनी भी असफलता आये उन असफलताओं को सफलताओं की सीढ़ी बनाये और अपने मुकाम तक पहुंचे और धर्य और साहस के साथ कड़ी मेहनत करे। सफलता अपने आप उनके कदमों को चूमेगी।