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मुख्यमंत्री जी आपके अफसरों ने आखिर क्यों रोका विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का पचास हजार रूपये

मुख्यमंत्री जी आपके अफसरों ने आखिर क्यों रोका विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का पचास हजार रूपये 

सरकार ने किया था प्रत्येक कार्यक्रमों के लिये एक लाख रूपये की घोषण, मिले पचास हजार 

सिवनी/भोपाल। गोंडवाना समय। 
विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम को पहली मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ के पहल पर सरकारी तौर पर आयोजन करने का प्रचार प्रसार सरकार, शासन प्रशासन ने खूब किया और आदिवासियों को अपनी ओर आकृषित करने के लिये कांग्रेस पार्टी के नेताआें ने विशेषकर आदिवासी नेताओं ने जमकर इसका ढिंढौरा भी पीटा। मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री कमल नाथ और आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम की पहल पर मध्य प्रदेश के जनजाति बाहुल्य 89 ब्लॉकों में विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का आयोजन शासकीय रूप में करने के लिये एक लाख रूपये का बजट आबंटित करने की घोषणा ही नहीं इसके लिये स्वीकृति भी प्रदान की गई थी। इसके लिये बकायदा आदेश भी मध्य प्रदेश में कलेक्टर व सहायक आयुक्तों को जारी किया गया था । आदेश में कार्यक्रम का आयोजन किस तरह होगा उसकी पूरी कार्ययोजना भी शासन द्वार जिला स्तर पर पहुंचाई गई थी और 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम धूमधाम से शासकीय रूप में मनाया गया।
स्वयं मुख्यमंत्री कमल नाथ और आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम छिंदवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुये, हालांकि मुख्यमंत्री और आदिम जाति कल्याण मंत्री के कार्यक्रम मेें शामिल होने पर छिंदवाड़ा में तो बजट की कोई कमी समझ नहीं आई और कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कमल नाथ ने आदिवासियों के लिये घोषणाओं की झड़ी लगा दिया जैसे कि उन्होंने मध्य प्रदेश का खजाना खोल दिया हो लेकिन कमल नाथ सरकार के अफसरों ने विश्व आदिवासी दिवस के आबंटित बजट में ऐसा अड़ंगा लगाया कि अनेक स्थानों पर शासकीय कार्यक्रम बजट के अभाव में धूमधाम के बावजूद भी फीका फीका नजर आया ।

एक लाख का था बजट अफसरों ने अड़ंगा लगाकर कर दिया पचास हजार

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के 89 ब्लॉकों में शासकीय तौर पर कार्यक्रम आयोजन के लिये 1 लाख रूपये बजट का आबंटन किया गया था। जिसे मुख्यमंत्री कमल नाथ के अफसरों ने एकाएक निर्णय लेते हुये 50 हजार रूपये ही खर्च करने का आदेश कर दिया। अब यह निर्णय क्यों लिया गया और किस कारण से लिया गया यह तो मुख्यमंत्री कमल नाथ के अफसर ही जानते है। इसकी जानकारी जब कार्यक्रम आयोजन के बाद धीरे धीरे जनचर्चा में आई तो आदिवासी समाज के समाजिक संगठनों के पदाधिकारियों व बुद्धिजीवियों का कहना पड़ा कि आदिवासी समाज का हक अधिकार और सरकार द्वारा दिये जाना बजट को पहले भी छीना जाता रहा है या अन्य मदों में खर्च किया जाता रहा है और अब पहली बार जब सरकारी तौर पर मध्य प्रदेश सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का आयोजन करने का निर्णय लिया और उसके लिये 1 लाख रूपये का बजट का प्रावधान किया गया तो उसमें भी मुख्यमंत्री कमल नाथ के अफसरों ने आधा करके 50 हजार कर दिया आखिर क्यों ?

उत्साह के कारण नहीं आया समझ पर कार्यक्रम आयोजन में आयोजकों को हुई परेशानी

मध्य प्रदेश ही नहीं देश भर में विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम को लेकर इस वर्ष काफी उत्साह व उमंगता थी और इसके लिये आदिवासी समाज के द्वारा ही व्यापक तैयारियां की गई थी जिसकी झलक उत्साह 9 अगस्त को दिखा भी है। विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम को लेकर खुशी-प्रसन्नता उत्साह होने के कारण आदिवासी समाज  ने पूरी उमंगता हर्ष उल्लास के साथ विश्व आदिवासी दिवस का कार्यक्रम मनाया और उमंगता के चलते अत्याधिक जनसैलाब आदिवासी समुदाय का देखने का मिला । कार्यक्रम स्थल छोटे हो जाने के कारण कार्यक्रम में पहुंचे आदिवासी समाज के सगाजनों को कार्यक्रम स्थल में बाहर या मंच के बाहर भी बैठना पड़ा या सभी को कुर्सीयां नहीं मिल पाई। कार्यक्रम के लिये बजट आधा कर देने यानि 50 हजार रूपये कर देने से कार्यक्रम आयोजकों को कम बजट में काम चलाना पड़ा जिसके चलते कार्यक्रम फीका भी रहा इसे आयोजको से अच्छा कोई दूसरा नहीं जानता है। अब सवाल उठता है कि आखिर एक लाख के बजट को 50 हजार रूपये क्यों और किसके आदेश से किया गया।

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