शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो छात्रों में वर्ग और वर्ण के विभेद को समाप्त कर सके-राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने दयालुता पर पहले विश्व युवा सम्मेलन का उद्घाटन किया
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द ने आज नई दिल्ली में दयालुता पर पहले विश्व युवा सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी एक महान और दूरदर्शी जननायक थे। उन्होंने कुछ सार्वभौमिक आदर्शों और मूल्यों का मानवीकरण किया। यदि हम गांधी जी को किसी भी युग में रखते है तो हम पाते है कि वे सभी युगों के लिए प्रासंगिक है और यह बात वर्तमान समय में भी सत्य है। गांधी जी हमारी वर्तमान चिंताओं जैसे शांति और सद्भावना की आवश्यकता, आतंकवाद तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भी प्रासंगिक है।
विश्व में जो हिंसा और विद्रोह की घटनाएं हो रही है उनमें अधिकांश पूर्वाग्रह पर आधारित
राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरे विश्व में जो हिंसा और विद्रोह की घटनाएं हो रही है उनमें अधिकांश पूर्वाग्रह पर आधारित है। ये हमें दुनिया को हम लोग बनाम वे लोग के आधार पर दुनिया को देखने के लिए बाध्य करती है। गांधी जी के आदर्शों का पालन करते हुए हमें और हमारे बच्चों को उन लोगों के साथ बातचीत करने और घुलने-मिलने का प्रयास करना चाहिए। परस्पर बातचीत से हमारी समझ बेहतर होती है और इससे हमें पूर्वाग्रहों पर विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है। राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्वाग्रहों को समाप्त करने में शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। हमें अपनी शिक्षा प्रणाली की संरचना और इसके लक्ष्यों का मूल्यांकन करना चाहिए। शिक्षा को साक्षरता से आगे ले जाने की जरूरत है। शिक्षा से छात्रों को अपने अंदर झांकने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। उनकी आंतरिक शक्ति मजबूत होनी चाहिए, ताकि वे दूसरों के कष्टों को समझ सकें। शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो छात्रों में वर्ग और वर्ण के विभेद को समाप्त कर सके।