ग्रीन गणेश अभियान में 5 हजार से अधिक विद्यार्थियों को दिया गया प्रशिक्षण
आॅक्सीजन की कमी के कारण जलीय जीवों पर भी पड़ता है दुष्प्रभाव
एप्को पर्यावरण संरक्षण के लिये चला रहा है अभियान
भोपाल। गोंडवाना समय।भोपाल सहित प्रदेश के अन्य शहरों में स्थित विद्यालय एवं महाविद्यालयों में ग्रीन गणेश अभियान के अंतर्गत कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। अभियान के अंतर्गत 13 अगस्त से अब तक भोपाल सहित अन्य शहरों में 5 हजार से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षकों और नागरिकों को मिट्टी के गणेश बनाने का प्रशिक्षण देकर जागरूक किया गया है। पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) ने इस वर्ष 10 हजार परिवारों को ग्रीन गणेश स्थापित कर घर पर ही विसर्जन करने के लिये जागरूक किये जाने का कार्यक्रम बनाया है।
प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रंगों से रंगना भी सिखाया जा रहा
ग्रीन गणेश कार्यक्रम के अंतर्गत एप्को द्वारा गठित टीमों द्वारा मिट्टी की गणेश प्रतिमाएँ बनाने, विद्यार्थियों को पीओपी एवं रासायनिक रंगों से बनी प्रतिमाओं को जलीय निकायों में विसर्जित किये जाने से होने वाले दुष्प्रभाव और उनसे बचने की जानकारी दी जा रही है। कार्यशाला में मूर्ति निर्माण के साथ प्राकृतिक रूप से उपलब्ध रंगों जैसे हल्दी, रामरस, गेरू, खड़िया, मिट्टी आदि से रंगना भी सिखाया जा रहा है। विद्यार्थियों को गणेश प्रतिमा निर्माण के समय सीड गणेश तकनीक की भी जानकारी दी जा रही है। इसके अंतर्गत विभिन्न फल-फूल एवं सब्जियों के बीजों को प्रतिमा में रखना और इन प्रतिमाओं का गमले में विसर्जन के बाद पौधों के रूप में विकसित करने की जानकारी दी जा रही है।परत-दर-परत मूर्ति इकट्ठा होने से नष्ट हो रही जलीय वनस्पति
इसी श्रंखला में भोपाल के शासकीय कन्या विद्यालय तुलसी नगर और शासकीय विद्यालय अरेरा कॉलोनी (ओल्ड कैम्पियन) में भी ग्रीन गणेश कार्यशाला का आयोजन किया गया। इन कार्यशालाओं में 400विद्यार्थियों ने भागीदारी की और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। एप्को के कार्यपालक यंत्री श्री राजेश रायकवार ने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से परत-दर-परत मूर्ति इकट्ठा होने से नष्ट हो रही जलीय
वनस्पतियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आॅक्सीजन की कमी के कारण जलीय जीवों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। एप्को के अधीक्षण यंत्री श्री जे.पी. नामदेव ने बढ़ती आबादी एवं रहवासी क्षेत्रों
के कारण जलीय संरचनाओं को दिन-प्रतिदिन हो रहे नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि शहर के मोहल्लों के उद्यान में कुण्ड बनाकर मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन उचित तरीके से किया जा
सकता है। कार्यशाला के आयोजन में राष्ट्रीय हरितकोर (एनजीसी) के मास्टर-ट्रेनर श्री डी.डी. पवार और श्री अमोल अघोलिया निरंतर सहयोग कर रहे हैं।