285 व्यवसायी बोगस पाये गये, 1150 करोड़ के बोगस ट्रांजेक्शन में 183 करोड़ कर अपवंचन पकड़ाया
जीएसटी के अंतर्गत कर अपवंचन रोकथाम की बड़ी कार्यवाही
भोपाल। गोंडवाना समय।वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा प्रदेश में जीएसटी के अंतर्गत गत 29 जुलाई से 31 जुलाई के बीच विभिन्न संस्थानों पर एक साथ कर अपवंचन की बड़ी कार्यवाही की गई। इस दौरान विभिन्न शहरों में कुल 680 संदिग्ध व्यवसायियों के व्यवसाय स्थल की पड़ताल की गई। इस जाँच में 285 व्यवसायी बोगस और अस्तित्वहीन पाये गये। ऐसे व्यवसायियों द्वारा 1150 करोड़ के बोगस ट्रांजेक्शन किये गये हैं। इनमें प्रथम दृष्टया 183 करोड़ का कर अपवंचन होना पाया गया है। सभी बोगस प्रकरणों में पंजीयन निरस्तीकरण और अन्य आगामी वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।
वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा कतिपय ऐसे बोगस संस्थानों की जाँच की गई थी, जिनमें बड़ी मात्रा विक्रय बीजक जारी कर अपवंचन में संलग्न होना तथा बोगस संव्यवहार किया जाना पाया गया। इसके मद्देनजर विभाग में मुख्यालय स्तर पर एक टैक्स रिसर्च एनालिसिस विंग का गठन किया गया है। विंग ने अनेक अस्तित्वहीन व्यवसायियों के करोड़ों की राशि के ई-वे बिल डाउनलोड किये हैं।
प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर श्री मनु श्रीवास्तव ने बताया कि जीएसटी के अंतर्गत करदाताओं को दी गई आॅनलाईन सुविधा का दुरूपयोग करते हुए अनेक करदाताओं ने आॅनलाईन पंजीयन प्राप्त कर लिया है। ऐसे अनेक करदाताओं का कोई व्यवसाय स्थल नहीं है, अपितु वे अस्तित्वहीन व्यवसायी हैं। ऐसे व्यवसायियों द्वारा बोगस बिल जारी कर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ क्रेता व्यवसायी को दिया जा रहा है।
प्रमुख सचिव ने जानकारी दी कि अनेक ऐसे बोगस/संदेहास्पद करदाता संज्ञान में आये हैं, जिनके द्वारा ई-वे बिल के माध्यम से प्रांत के बाहर से माल मंगाया गया किन्तु मालों के वास्तविक क्रेता के संबंध में कोई जानकारी नहीं देते हुए आगे बोगस संव्यवहार प्रदर्शित कर दिया गया। विवरण पत्रों में बोगस सप्लाई बताकर क्रेताओं को आईटीसी का लाभ पहुँचाया गया। ऐसे अनेक बोगस करदाताओं द्वारा बड़ी मात्रा में ई-वे बिल डाउनलोड किये गये, किन्तु जमा खर्च न करते हुए कोई विवरण पत्र प्रस्तुत नहीं किये गये और ना ही देय कर का भुगतान किया गया।
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने कर अपवंचन की बड़ी कार्यवाही पर अधिकारियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि इससे कर चोरी पर रोक लगेगी और शासन को उचित राजस्व प्राप्त हो सकेगा।