पेंच टाइगर रिजर्व ने देश में पाई सर्वोच्च रैंक
राष्ट्रीय उद्यानों के प्रभावी प्रबंधन में शीर्ष पर पहुंचा मध्यप्रदेश
मुख्यमंत्री ने पार्क संचालकों, मैदानी स्टाफ को दिया बधाई
भोपाल। गोंडवाना समय।मध्य प्रदेश ने टाइगर राज्य का दर्जा हासिल करने के साथ ही राष्ट्रीय उद्यानों और संरक्षित क्षेत्रों के प्रभावी प्रबंधन में भी देश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है।
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राष्ट्रीय उद्यानों के संचालकों और फील्ड स्टाफ को बधाई दिया है। भारत सरकार द्वारा जारी टाइगर रिजर्व के प्रबंधन की प्रभावशीलता मूल्यांकन 2018 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व ने देश में सर्वोच्च रैंक हासिल की है। बांधवगढ़, कान्हा, संजय और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन वाला टाइगर रिजर्व माना गया है। इन राष्ट्रीय उद्यानों में अनुपम प्रबंधन योजनाओं और नवाचारों को अपनाया गया है। उल्लेखनीय है कि वन्य-जीव संरक्षण मामलों पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रभावी प्रबंधन के आकलन से संबंधित आंकड़ों की आवश्यकता होती है। ये आंकड़ें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के विश्व संरक्षण निगरानी केंद्र में रखे जाते हैं। टाइगर रिजर्व की प्रबंधन शक्तियों का आकलन कई मापदण्डों पर होता है जैसे योजना, निगरानी, सतर्कता, निगरानी स्टाफिंग पैटर्न, उनका प्रशिक्षण, मानव-वन्य जीव संघर्ष प्रबंधन, सामुदायिक भागीदारी, संरक्षण, सुरक्षा और अवैध शिकार निरोधी उपाय आदि।
देश में पेंच टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को माना गया उत्कृष्ट
देश में पेंच टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को उत्कृष्ट माना गया है। फ्रंटलाइन स्टाफ को उत्कृष्ट और ऊजार्वान पाया गया है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत दर्ज सभी मामलों में पैरवी कर आरोपियों को दंडित करने में प्रभावी काम किया गया। मानव-बाघ और बाघ-पशु संघर्ष के मामलों में पशु मालिकों को तत्काल वित्तीय राहत दी जा रही है। साथ ही उन्हें विश्व प्रकृति निधि भारत से भी सहयोग दिलवाया जा रहा है। इसके साथ ही नियमित चरवाहा सम्मेलन आयोजित किये जा रहे हैं।चरवाहों के स्कूल जाने वाले बच्चों को शैक्षिक सामग्री वितरित की जा रही है। इसके अलावा, ग्राम स्तरीय समितियों, पर्यटकों के मार्गदर्शकों, वाहन मालिकों, रिसॉर्ट मालिकों और संबंधित विभागों और गैर सरकारी संगठनों के प्रबंधकों के प्रतिनिधियों की बैठकें भी नियमित रूप से होती
हैं। पर्यटन से प्राप्त आय का एक तिहाई हिस्सा ग्राम समितियों को दिया जाता है। परिणामस्वरूप इन समितियों का बफर जोन के निर्माण में पूरा सहयोग मिलता है। पर्यटन से प्राप्त आय पार्क विकास फंड में दी जाती है और इसका उपयोग बेहतर तरीके से किया जाता है।