जेएएम त्रिमूति से सीधे खातों में जा रहा मजदूरी का भुगतान
मनरेगा जैसी कल्याणकारी योजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी का कारगर इस्तेमाल
सूखा प्रभावित ब्लॉकों में नरेगा नामांकन में जबरदस्त 44 प्रतिशत वृद्धि
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने गुरूवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की। इसमें कहा गया कि विश्व की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना झ्रमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा योजना) के अंतर्गत सूखे से प्रभावित ब्लॉकों में कार्य की आपूर्ति में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इससे यह पता चलता है कि मनरेगा के अंतर्गत सूखा प्रभावित ब्लॉकों में कार्य की मांग में वृद्धि कार्य की आपूर्ति के अनुकूल है। गैर-सूखाग्रस्त ब्लॉकों में मस्टर रोल में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह मस्टर रोल हाजिरी रजिस्टर के ही एक स्वरूप है। इसके विपरीत सूखाग्रस्त ब्लॉकों में जबरदस्त 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस प्रकार आधार संबद्ध भुगतान (एएलपी) के इस्तेमाल के कारण सूखे से प्रभावित ब्लॉकों में मनरेगा योजना के तहत किये गये वास्तविक कार्य में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। यह वृद्धि गैर-सूखा प्रभावित ब्लॉकों में हुई वृद्धि से दुगुनी से अधिक है। वैसे तो मनरेगा योजना को फरवरी, 2006 से लागू किया गया था, लेकिन इस कार्यक्रम को 2015 में उस समय सुचारू बनाया गया, जब सरकार ने तकनीक के लाभ का उपयोग इस दिशा में किया। इसमें अन्य के अलावा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और आधार संबद्ध भुगतान (एएलपी) से इसकी संबद्धता शामिल है। इसने जन-धन, आधार और मोबाइल (जेएएम) की त्रिमूर्ति का इस्तेमाल करते हुए मजदूरी का भुगतान सीधे मनरेगा योजना के कामगारों के बैंक खातों में कराया, जिसकी बदौलत भुगतान में विलंब होने की आशंका में कमी आई।
एएलपी मजदूरी भुगतान चक्र को दो तरीकों से गति प्रदान करता है
समीक्षा में संकेत किया गया है कि राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक कोष प्रबंधन प्रणाली (एनईएफएमएस) 24 राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में लागू की गई है, जहां मजदूरी का भुगतान सीधे मनरेगा योजना के कामगारों के बैंक/डाकघर खातों में केन्द्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। इसने योजना में डीबीटी के कार्यान्वयन की शुरूआत की। इस पहल के परिणामस्वरूप मनरेगा योजना के अंतर्गत ई-भुगतान वित्त वर्ष 2014-15 में 77.34 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 99 प्रतिशत हो गया। 2015 में सरकार ने 300 जिलों में, जहां बेहतर बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध थी। मनरेगा योजना में आधार संबद्ध भुगतान (एएलपी) की शुरूआत की। शेष जिलों को 2016 में एएलपी के अंतर्गत कवर किया गया। संकल्पनात्मक रूप से एएलपी मजदूरी भुगतान चक्र को दो तरीकों से गति प्रदान करता है।
90 प्रतिशत से ज्यादा कार्य दिवसों से असहाय वर्ग लाभांवित हुए
मनरेगा योजना के अंतर्गत 11.61 करोड़ सक्रिय कामगारों में से 10.16 करोड़ कामगारों (87.51 प्रतिशत) के आधार नम्बर एकत्र किए गए और उनके खाते से जोड़े गये। मनरेगा योजना के अंतर्गत हुए सभी भुगतानों में से लगभग 55.05 प्रतिशत आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के माध्यम से किये गये है। योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या और डीबीटी के अंतर्गत हस्तांतरित राशि में 2015-16 से 2018-19 में कई गुना वृद्धि हुई। डीबीटी के कार्यान्वयन के बाद मस्टर रोल में भी महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, जो इस बात का संकेत है कि लोग ज्यादा संख्या में काम पर आ रहे हैं। कुल कार्य दिवसों और असहाय वर्गों (महिलाओं, अजा और अजजा) के कुल कार्य दिवसों में भी डीबीटी के बाद के वर्षों में वृद्धि देखी गई है। ये जानकार खुशी होगी कि 90 प्रतिशत से ज्यादा कार्य दिवसों से असहाय वर्ग लाभांवित हुए हैं।
मनरेगा योजना को अन्य योजनाओं में विलय किये जानो की जरूरत
समीक्षा में कहा गया है कि इस योजना की दक्षता में वृद्धि करने के लिए योजना के अंतर्गत कार्य की परिभाषा की निरंतर समीक्षा की जानी चाहिए और आवश्यकताओं के अनुसार उसमें संशोधन किया जाना चाहिए। मनरेगा योजना का दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) में विलय और महिला स्व-सहायता समूहों को सम्मिलित किये जाने पर बल दिये जाने की जरूरत है, ताकि कुशल कामगारों की आपूर्ति में वृद्धि हो सकें। उन्हें गरीबी के चंगुल से बाहर निकालने के लिए आमदनी के विविध स्रोतों सहित आजीविका के वैविध्यिकरण पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। इस कार्यक्रम की समीक्षा 2015 में की गई थी और सरकार ने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए प्रमुख सुधारों की शुरूआत की। इसके अलावा अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने, सुदृढ़ नियोजन और टिकाऊ उत्पादक परिसम्पत्तियों के सृजन पर बल दिया गया।