किसानों के संघर्ष के सामने झुका प्रशासन,जूस पिलाकर तुड़वाया आमरण अनशन
54 गॉवों के किसानों को मिलेगा प्रधानमंत्री फसल बीमा क्लेम
्कान्हीवाडा। गोंडवाना समय।
सिवनी जिले के छुई में चल रहा किसानों का आमरण अनशन मंगलवार 23 जुलाई को समाप्त हो गया है। किसानों के अनशन के सामने प्रशासन झुक गया और किसानों को जूस पिलाकर अनशन तुड़वा दिया है। प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया है कि जल्द ही किसानों को प्रधानमंत्री बीमा का क्लेम दिलाया जाएगा। 18 जुलाई से लगातार अनशन चल रहा था जो छठवे दिन समाप्त हो गया है।
54 गांव के किसानों को मिलेगा क्लेम
13 फरवरी 2018 को जिले में भीषण ओलावृष्टि से 283 गॉव प्रभावित हुए थे। इस आपदा से जिले के किसानों को भारी नुकसान हुआ था इसकी गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा स्वंय प्रशासनिक अमले के साथ जिले का दौरा किया गया था। सभी प्रभावित किसानों को आरबीसी 64 के तहत तत्काल मुआवजा प्रदान किया गया था तथा शीघ्र प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्लेम राशि प्रदान करवाने के आधिकारियों को निर्देशित किया था। अफसरों की अनदेखी के कारण भोमा व बण्डोल राजस्व निरीक्षक मण्डल के कुल 54 गॉवों के किसान ओलावृष्टि के देढ साल बाद भी फसल बीमा क्लेम राशि के लिए दर-दर भटकते रहे। इन किसानों की सुनवाई ना होता देख कान्हीवाड़ा,छुई सहित अन्य गांव के किसानों ने आमरण अनशन का रास्त चुना और छुई गांव में 18 जुलाई से लगातर अनिश्चित कालीन आमरण अनशन पर किसान बैठ गए थे।
तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी
नीरज दुबे ने किसानों के बीच विश्वास दिलाया कि जिला प्रशासन की सीधे बीमा कम्पनी से बात हुई है । बीमा कम्पनी का कहना है कि उन्हें उक्त किसानों के संबंध में जानकारी नहीं भेजी गयी थी । जिसके बाद प्रशासन द्वारा समस्त प्रभावित किसानों और उनके नुकसान की सूचि बीमा कम्पनी को पहुॅचा दी गयी है। किसानों को उनका हक जरूर मिलेगा इस हेतु भोपाल स्तर से भारत सरकार से पोर्टल चालू करवाने के लिए विशेष अनुमति ली जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा हर दो दिन में इस प्रक्रिया की मानीटरिंग की जायेगी वह स्वंय इसकी मानीटरिंग करेंगे और हर दो दिन में हुई कार्यवाही से किसानों के प्रतिनिधियों को अवगत कराएंगे। अपर कलेक्टर नीरज दुबे ने किसानों से कहा कि अगर बीमा कम्पनी किसानों को फसल बीमा क्लेम नहीं चुकाती है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसके बाद किसनों को जूस पिलाकर उनका आन्दोलन समाप्त करवाया गया। अपनी मांग पूरी होने का आवश्वासन मिलने पर किसान प्रशन्न होकर लौट गए।