लोकतंत्र में विपक्ष का सक्रिय व सामर्थ्यवान होना यह लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है-प्रधानमंत्री
तर्कबद्ध तरीके से सांसद सरकार की आलोचना करता है तो उसमें लोकतंत्र को मिलता है बल
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।
17 वीं लोकसभा की शुरूआत से पहले प्रधानमंत्री ने वक्तव्य में कहा कि चुनाव के बाद, नई लोकसभा के गठन के बाद आज प्रथम सत्र प्रारंभ हो रहा है। अनेक नये साथियों के परिचय का एक अवसर है और जब नये साथी जुड़ते हैं, तो उनके साथ नया उमंग, नया उत्साह, नये सपने भी जुड़ते हैं। भारत के लोकतंत्र की विशेषताएं क्या हैं? ताकत क्या है? हर चुनाव में हम उसको अनुभव करते हैं। आजादी के बाद
Parliament Election सबसे ज्यादा मतदान, सबसे ज्यादा महिला प्रतिनिधियों का चुनना। पहले की तुलना में बहुत अधिक मात्रा महिला मतदाताओं का मतदान करना, अनेक विशेषताओं से भरा हुआ ये चुनाव रहा। कई दशकों के बाद एक सरकार को दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ और पहले से अधिक सीटों के साथ जनता-जनार्दन ने सेवा करने का अवसर दिया है। गत पांच वर्ष का हमारा अनुभव है कि जब सदन चला है, तंदुरूस्त वातावरण में चला है, तब देशहित के निर्णय भी बहुत अच्छे हुए हैं। उन अनुभवों के आधार पर मैं आशा करता हूं कि सभी दल बहुत ही उत्तम प्रकार की चर्चा, जनहित के फैसले और जनाकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं इसका विश्वास। हमने हमारी यात्रा प्रारंभ की थी सबका साथ सबका विकास लेकिन देश की जनता ने सबका साथ सबका विकास के अंदर एक अद्भूत विश्वास भर दिया और उस विश्वास को ले करके सामान्य मानव की आशा-आकांक्षाओं को, सपनों को पूरा करने के लिए संकल्प ले करके हम जरूर आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे।
पक्ष-विपक्ष के दायरे में बंटने की बजाय निष्पक्ष भाव से जनकल्याण को दे प्राथमिकता
लोकतंत्र में विपक्ष का होना, विपक्ष का सक्रिय होना, विपक्ष सामर्थ्यवान होना यह लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है और मैं आशा करता हूं कि प्रतिपक्ष के लोग नंबर की चिंता छोड़ दें। देश की जनता ने जो उनको नंबर दिया है, वो दिया है, लेकिन हमारे लिए उनका हर शब्द मूल्यवान है, उनकी हर भावना मूल्यवान है। और सदन जब हम उस
chair पर बैठते हैं,
MP के रूप में बैठते हैं, तब पक्ष-विपक्ष से ज्यादा निष्पक्ष का
spirit बहुत महत्व रखता है और मुझे विश्वास है कि पक्ष और विपक्ष के दायरे में बंटने की बजाय निष्पक्ष भाव से जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए हम आने वाले 5 साल के लिए इस सदन की गरिमा को ऊपर उठाने में प्रयास करेंगे। मुझे विश्वास है कि पहले की तुलना में अधिक परिणामकारी हमारे सदन रहेंगे और जनहित के कामों में अधिक ऊर्जा, अधिक गति और अधिक सामूहिक चिंतन का भाव उसको अवसर मिलेगा।
देश की सामान्य मानव की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने में हम कहीं कमी न रखे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि मेरी आप सबसे भी गुजारिश है कि सदन में कई सदस्य बहुत ही उत्तम विचार रखते हैं, बहस को बहुत प्राणवान बनाते हैं, लेकिन चूंकि ज्यादातर वो रचनात्मक होते हैं और उसका और
TRP का मेल नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी
TRP से ऊपर भी ऐसे सदस्यों को अवसर मिलेगा। अगर सरकार की आलोचना भी बहुत तर्कबद्ध से कोई सदन में सांसद करता है और वो बात पहुंचती है तो उसमें लोकतंत्र को बल मिलता है। इस लोकतंत्र को बल देने में आप सबसे मेरी बहुत अपेक्षाएं हैं। शुरू में तो जरूर उन अपेक्षाओं को पूरा करेंगे, लेकिन 5 साल इस भावना को प्रबल बनाने में आप भी बहुत बड़ी सकारात्मक भूमिका अदा कर सकते हैं और अगर सकारात्मक भूमिका होगी, सकारात्मक विचारों को बल देंगे तो सदन में भी सकारात्मकता की दिशा में जाने का सबका मन बनेगा। तो मैं आपको भी निमंत्रण करता हूं कि 17 वीं लोकसभा में हम उसी नई ऊर्जा, नये विश्वास, नये संकल्प, नये सपनों के साथ, साथ मिल करके आगे चले। देश की सामान्य मानव की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने में हम कहीं कमी न रखे। प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य के अंत में कहा इसी विश्वास के साथ आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद दिया ।