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संग्रहालय हमारे पूर्वजों के सम्मान के प्रतीक के रूप में करते है काम-प्रहलाद पटेल

संग्रहालय हमारे पूर्वजों के सम्मान के प्रतीक के रूप में करते है काम-प्रहलाद पटेल

अस्तित्व: प्रभाकर बरवे की महक प्रदर्शनी का किया उद्घाटन 

नई दिल्ली। गोंडवाना समय। 
संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने शुक्रवार को नई दिल्ली की राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा में एक प्रदर्शनी अस्तित्व: प्रभाकर बरवे की महक का उद्घाटन किया। संग्रहालयों के महत्व की चर्चा करते हुए संस्कृति मंत्री ने कहा कि अपने इतिहास की झलक पाने के लिए संग्रहालयों की आवश्यकता है, ताकि हम इनसे सीख लेकर जीवन में आगे बढ़ सकें। केंद्रीय मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि संग्रहालय हमारे पूर्वजों के सम्मान के प्रतीक के रूप में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति और कला की ओर बढ़ने से हमारे दिमाग को शांति मिलती है और अहंकार खत्म होता है। इसके लिए हमें अपनी कला और गुरुओं का भी सम्मान करना चाहिए।

रूप अर्थ में कलाकार के ज्ञान संबंधी बदलाव की दिखाई देती है झलक 

अस्तित्व: प्रभाकर बरवे की महक नई दिल्ली में आयोजित अपनी तरह की पहली प्रदर्शनी है, जिसमें चार अलग-अलग चरणों में कलात्मक कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसकी शुरूआत रूप तंत्र से होगी, जिसमें सर जे.जे. स्कूल आॅफ आर्ट से शुरू किए गए श्री बरवे के कार्यों और उनके तांत्रिक रूप में बदलाव को दिखाया गया है। वीवर्स सर्विस सेंटर में उनके कार्यकाल के दौरान कलाकार द्वारा तैयार डिजाइन और वस्त्रों पर किए गए कार्यों को प्रदर्शित किया गया है, जो बरवे के डिजाइनों को तंत्र में और उसके बाद उनके स्वतंत्र में बदलते हुए दशार्ते हैं। उनके कार्यों में अलौकिक परिवर्तन की झलक मिलती है। प्रदर्शनी में 1958 से 1977 तक के उनके कार्यों को शामिल किया गया है। अगले दो खंड रूप अर्थ और रूप तत्व हैं। रूप अर्थ में कलाकार के ज्ञान संबंधी
बदलाव की झलक दिखाई देती है, पेंटिंगों में बरवे की 1972 से 1988 तक की सृजनात्मकता का मिश्र है। रूप तत्व जिसमें बरवे के कार्य मेनी आइडेंटीटीस आॅफ द सेल्फ के दृष्टांत हैं, जिसमें 1980 के दशक के आखिरी दिनों से लेकर उनके अधूरे कैनवस तक शामिल किए गए हैं।

दस्तावेजी घटनाक्रम में कलाकार के जीवन को किया गया शामिल 

इस प्रदर्शनी के आकर्षण का केन्द्र रूप विचार खंड है, जिसमें बरवे की 52 डायरियों को प्रदर्शित किया गया है। इसमें डायरी के पन्ने, एनीमेटिड वीडियो और डायरियों की फिर से तैयार प्रतिकृतियां हैं। साथ ही दस्तावेजी घटनाक्रम में कलाकार के जीवन को शामिल किया गया है। यह प्रदर्शनी रविवार 28 जुलाई 2019 तक जनता के लिए खुली रहेगी। इसे मंगलवार से शुक्रवार तक सुबह 11.00 बजे से शाम 6.30 बजे तक और शनिवार और रविवार को सुबह 11.00 से रात 8.00 बजे तक देखा जा सकता है। सोमवार को दीर्घा बंद रहेगी।  

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