दुर्भाग्यवश इस विमान दुर्घटना में कोई भी जीवित नहीं बचा
भारतीय वायुसेना के एएन -32 विमान की दुर्घटना का ब्यौरा
दुर्घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।भारतीय वायुसेना के एएन -32 मालवाहक विमान ने चालक दल के आठ सदस्यों और पांच यात्रियों को लेकर असम के जोरहाट वायुसैनिक अड्डे से मेचुका एडवांस लैडिंग ग्राउंड के लिए 3 जून 2019 को दिन में 12 बजकर 27 मिनट पर उड़ान भरी थी। विमान के साथ आखिरी बार संपर्क 12 बजकर 55 मिनट पर हुआ था। विमान के समय पर गंतव्य पर नहीं पहुंचने पर उसका पता लगाने की कार्रवाई शुरू की गई।
भारतीय सेना, विभिन्न सरकारी और नागरिक एजेंसियों के समन्वय से वायुसेना ने अपने पूर्वी कमान मुख्यालय की देखरेख में व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया। भारतीय वायुसेना के के सी-130 जे, एन-32 और एमआई-17 हेलीकॉप्टरों तथा सेना के एएलएच हेलीकॉप्टरों को लापता विमान का पता लगाने के लिए तुरंत रवाना किया गया । नौसेना का पी -8 आई विमान भी 04 जून 19 को इस तलाशी अभियान में शामिल हुआ। तलाशी अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सहित विभिन्न एजेंसियों को इसमें साथ लाया गया ।
इसरो के काटोर्सैट और रिसैट उपग्रहों ने भी विमान के लापता होने की संभावना वाले क्षेत्र की तस्वीरें लीं, जिससे विमान को खोजने में खोजी दस्ते को मदद की । बहुत बड़े क्षेत्र में चलाए गए इस तलाशी अभियान में घने जंगलों , खराब मौसम और दुर्गम पहाड़ियों के कारण काफी दिक्कत आयी। इन चुनौतियों के बावजूद वायुसेना ने लापता विमान और उसके बहादुर सैनिकों का पता लगाने के लिए दिन-रात जमीन और आसमान में अपने प्रयास जारी रखे । इस तलाशी अभियान में सेना, नौसेना, राज्य सरकार, राज्य पुलिस और स्थानीय लोगों की ओर से व्यापक समर्थन दिया गया।
अरुणाचल प्रदेश में टेटो के उत्तर पूर्व में लाइपो से 16 किलोमीटर उत्तर में पड़ा देखा गया
11 जून 19 को, विमान का मलबा वायुसेना के एमआई 17 हेलीकॉप्टर द्वारा करीब 12000 फुट की ऊंचाई पर अरुणाचल प्रदेश में टेटो के उत्तर पूर्व में लाइपो से 16 किलोमीटर उत्तर में पड़ा देखा गया। इसके बाद में दुर्घटना स्थल तक पहुंचने के लिए हवाई कार्रवाई शुरू की गई लेकिन सीधी और दुर्गम ढलानों तथा घने जंगलों के कारण वायुसेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटना स्थल के पास नहीं उतर सका। ऐसे में निर्दिष्ट दुर्घटना स्थल से दो किमी दूर हेलीकाप्टरों के बचाव दल के साथ उतरने के लिए एक विशेष शिविर बनाया गया। बारह जून को, वायुसेना के नौ कर्मियों (पर्वतारोहियों सहित), सेना के विशेष बलों के चार कर्मियों और दो स्थानीय पर्वतारोहियों के एक दल को इस शिविर क्षेत्र में उतारा गया।इन बहादुर योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित
बचाव दल के आठ सदस्य विमान यात्रियों की तलाश के लिए 13 जून 2019 को दुर्घटना स्थल पर पहुंच गए। लेकिन दुर्भाग्यवश इस विमान दुर्घटना में कोई भी जीवित नहीं बचा । इस दुखद हादसे में विंग कंमांडर जीएम चाल्स ,स्क्रवाड्रन लीडर एच विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट फ्लाइट लेफ्टिनेंट एम के गर्ग , फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मोहंती, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए तनवर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर थापा , वारंट आफिसर के के मिश्रा, सार्जेंट अनूप कुमार, कार्पोरलशरीन, शीर्ष एयरक्राफ्ट मैन एस के सिंह और पंकज, एनसी पुतली और राजेश कुमार मारे गए ।वायुसेना ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अपने इन बहादुर योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करती है। वायुसेना के ओर से इन बहादुरों के पार्थिव शरीर के अवशेषों को इकठ्ठा करने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है और जोरहाट वायुसैनिक अड्डे तक इन्हें जल्दी से जल्दी पहुंचाना सुनिश्चित किया जा रहा है। दुर्घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं।