भावांतर की राशि के लिए भटक रहे किसान, दो साल से लखनादौन का किसान खा रहा ठोकर
मंडी और किसान कल्याण विभाग के बीच चक्कर में चक्कर काट रहे किसान
सिवनी। गोंडवाना समय।किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रदेश के पूर्व भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई भावांतर योजना किसानों के लिए सिरदर्द बन गई। मंडियों में बैठे अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा की गई गड़बड़ी और किसान कल्याण विभाग में पदस्थ कर्मचारियों की हिटलरशाही से किसानों को भावांतर की राशि पाने के लिए चक्कर काटना पड़ रहा है। महीनों तो दूर कई किसानों को दो-दो साल पुरानी भावांतर की राशि नहीं मिली है। भावांतर की राशि की पता लगाने जा रहे किसानों को किसान कल्याण विभाग के अधिकारी और मंडी विभाग के अधिकारी इधर-उधर भेजकर परेशान-हलाकान कर रहे हैं। चक्कर काट-काट कर किसान मानसिक तनाव में है और ऐसे में किसान आत्महत्या कर लें इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
दो साल से राशि के लिए भटक रहा लखनादौन का किसान
लखनादौन का किसान अजीत कुमार पिता रतनलाल जैन 6,7 एवं 12 दिसंबर 2017 को बेची गई मक्का की फसल के भावांतर की तकरीबन पौने दो लाख रुपए की राशि के लिए लखनादौन,सिवनी की मंडी से लेकर किसान कल्याण विभाग सिवनी के दफ्तर में कई चक्कर लगा चुका है। मंगलवार 28 मई को भी किसान ने सिमरिया मंडी और किसान कल्याण विभाग के चक्कर लगाए लेकिन कोई भी यह नहीं बता पाया कि उनकी राशि कहां है और कब तक आएगी। किसान कल्याण विभाग के कर्मचारी किसान से यह कहते नजर आ रहे हैं कि उनका पंजीयन कब हुआ है पोर्टल में नजर नहीं आ रहा है और न ही भुगतान सूची में उनका नाम दर्ज है। कार्यालय में मौजूद सूची में भी उन्होंने उनका नाम खंगाला लेकिन कहीं नजर नहीं आया। वहीं सिमरिया मंडी पहुंचकर ई-मंडी आॅनलाइन पोर्टल खोलकर किसान कोड डालकर खंगाला गया तो कब-कब उन्होंने मक्का बेचा है और कब उनका पंजीयन हुआ है एवं कितना भुगतान हुआ है और भावांतर की राशि कितनी दी जाएगी यह सब पोर्टल में दर्ज है इसके बावजूद किसान की भावांतर की राशि कहा गई इस पर मंडी के सचिव और किसान कल्याण विभाग के उपसंचालक गंभीरता नहीं बरत रहे हैं। विभाग के कर्मचारी भी परेशान किसानों को अलग-अलग तरीके की बातें करके गुमराह कर रहे हैं। यहां तक की भीषण गर्मी में जा रहे किसानों को कमरे में बैठने की बजाय बाहर निकाल दिए जाते हैं। मंगलवार को एक महिला कर्मचारी लखनादौन से भावांतर की राशि जानने के लिए कम्प्यूटर रूम में बैठे मर्सकोले साहब के पास गए तो बाहर के कमरे में बैठी महिला कर्मचारी डीडीए साहब के आदेश बताकर बाहर कर रही थी।पासबुक की काफी देने के बाद मंडी में गलत पंजीयन
किसान अंजीत कुमार जैन ने बताया कि पंजीयन उनके पिता रतनलाल जैन के नाम से पंजीयन हुआ था। भुगतान के लिए पिता की सेट्रल बैंक के खाते की पास बुक मंडी में दी गई थी लेकिन मंडी के कर्मचारियों ने पंजीयन के दौरान गड़बड़ी कर दी। खाता सेंट्रल बैंक और आईएफसी कोड एसबीआई का डाल दिया गया। कुछ समय पहले रतनलाल जैन का निधन हो गया। उसके बाद उन्होंने समस्त दस्तावेज के साथ उनके नाम का खाता किसान कल्याण विभाग और मंडी को दे दिया गया है लेकिन मंडी और किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से दो साल हो गए भावांतर की राशि नहीं मिली है। किसान कल्याण विभाग और मंडी के अधिकारी का कहना है कि भोपाल से पंजीयन की सूची में किसान का नाम तो था लेकिन भावांतर के भुगतान की जारी की गई सूची में नाम क्यों नहीं जोड़ा गया है यह समझ नहीं आ रही है। हालांकि किसान कल्याण विभाग के कर्मचारियों का यह भी कहना है कि 19 जुलाई को एक दिन के लिए जो पोर्टल खूला था उसमें शायद पंजीयन होने के कारण किसान रतनलाल सहित 19 लोगों को राशि नहीं मिली है। जिसके लिए शासन को लिखा जा रहा है।पटवारी की गलती से 8 हैक्टयर के मक्के के भावांतर से वंचित किसान-
लखनादौन के किसान दीपसिंह पिता खेमसिंह लोधी को पटवारी चंद्रकान्त तिवारी की लारवाही से 12 हैक्टेयर की जगह सिर्फ चार हैक्टेयर के 172 क्विंटल मक्का का भावांतर मिला है। जबकि आठ हैक्टेयर का लगभग 85हजार रुपए भावांतर की राशि अभी तक नहीं मिली है। किसान दीपसिंह लोधी पटेल ने बताया कि उनकी 12 हैक्टेयर का रकबा था जिसमें पटवारी ने चार हैक्टेयर के रकबे का सत्यापन किया था। इस मामले को लेकर उन्होंने तहसीलदार से शिकायत की थी। जिसके बाद पटवारी ने 10 हैक्टेयर 36 पाइंउ का सत्यापन किया था। कलेक्टर की आईडी पासवर्ड से पोर्टल पर दर्ज कराया गया था इसके बावजूद लगभग 58 हजार रुपए भावांतर की राशि नहीं मिली है। उक्त किसान समस्त दस्तावेज लेकर किसान कल्याण विभाग शिकायत लेकर पहुंचा था लेकिन कोई सुध नहीं ली गई। किसान का साफ कहना है कि अगर उन्हें भावांतर की राशि नहीं मिली तो कोर्ट की शरण लेंगे। हालांकि लखनादौन के दोनों किसानों ने सीएम हेल्पलाइन सहित जनसुनवाई में शिकायत कर चुके हैं लेकिन किसानों की सरकार के अफसर किसानों की कोई सुध नहीं ले रहे हैं।
725 किसान भावांतर की राशि से वंचित
वर्ष 2018-19 के तकरीबन 725 किसान भावांतर की राशि से वंचित हैं। हर दिन एक दर्जन किसान कृषि विभाग और मण्डी के चक्कर काट रहे हैं। ताखला छपारा के केशरीलाल संतकुमार जंघेला ताखला बरघाट भी भावांतरकी राशि पाने के लिए चक्कर काटते नजर आए। किसानों का कहना था कि चार बार चक्कर काट चुके हैं।