चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद रोवर वहां वैज्ञानिक प्रयोग करेगा शुरू
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।आगामी 9 से 16 जुलाई, 2019 के बीच चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण के लिए उसके सभी माड्यूल तैयार किए जा रहे हैं । भारत के दूसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-2 के आर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) तीन माड्यूल हैं। आॅर्बिटर और लैंडर मॉड्यूल को यंत्रवत रूप से मिलाकर एक एकीकृत मॉड्यूल के रूप में साथ जोड़ा जाएगा और इसके बाद जीएसएलवी एमके-तीन प्रेक्षपण यान के अंदर समायोजित कर दिया जाएगा। रोवर को लैंडर के अंदर रखा गया है।
चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके-3 प्रक्षेपण यान द्वारा पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए जाने के बाद एकीकृत मॉड्यूल प्रणोदक मॉड्यूल की मदद से चंद्रमा की कक्षा में पहुंच जाएगा। इसके बाद लैंडर आर्बिटर से अलग होकर चंद्रमा के दक्षिणी सिरे में पूर्व निर्धारित स्थल पर धीरे से उतर जाएगा। चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद रोवर वहां वैज्ञानिक प्रयोग शुरू कर देगा।
इसके लिए लैंडर और आर्बिटर में सभी तरह के वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं। 9 से 16 जुलाई, 2019 के बीच चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण के लिए उसके सभी माड्यूल तैयार किए जा रहे हैं। चंद्रयान-2 के 6 सितंबर, 2019 को चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना है।