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महाविद्यालय में जल्द छात्राआें को मिलेगी कॉमन रूम की सुविधा

महाविद्यालय में जल्द छात्राआें को मिलेगी कॉमन रूम की सुविधा 

सिवनी। गोंडवाना समय।
कौन कहता है आसमान में सुराख नही हो सकता.....दुष्यन्त कुमार की यह पंक्तियाँ आज प्रासंगिक होती नजर आ रही है व्यक्ति अगर ठान ले तो कोई काम मुश्किल नहीं है इसी बात को चरितार्थ करते हुए शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सतीश कुमार चिले एवं वरिष्ठ प्राध्यापक सुरेश बाटला के प्रयासों से अब महाविद्यालय की इमारत का कायाकल्प का कार्य प्रगति पर है और आने वाले सत्र में छात्राओं को बैठक व्यवस्था के लिये अतिरिक्त कक्ष सर्वसुविधायुक्त रूप में मिल सकेगी, जिसको लेकर तैयारियाँ प्रारंभ है।
अक्सर देखा जाता था कि महाविद्यालय में छात्राएं कॉमनरूम ना होने के कारण महाविद्यालय के बरामदे अथवा मैदान में बैठना पड़ता था और जिसके चलते अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों का अध्यापन कार्य प्रभावित होता था। इस बात को श्री सतीश कुमार चिले एवं श्री सुरेश बाटला ने गंभीरता से लिया और महाविद्यालय परिसर में एक स्थान जो महाविद्यालय की स्थापना के समय से रिक्त पड़ा हुआ था । उस स्थान को चैकर्स टाईल्स एवं दो कक्ष जिनका उपयोग नहीं होता था इस कार्य के लिये किया जा रहा है। जिसमें आरामदेह कुर्सी एवं अध्यापन हेतु टेबिल की व्यवस्था की गई है।

लंच करने सुविधा के साथ गार्डन की बदलेगी रंगत

कार्य को अंजाम देने वाले श्री सुरेश बाटला ने बताया कि इस महाविद्यालय में दूर दराज के गांव से प्रतिदिन हजारों छात्राऐं अध्यापन के लिये आती है और महाविद्यालय पहुंचने की जल्दी में भोजन भी नहीं कर पाती ऐसी स्थिति में वह इस कॉमन रूम में बैठकर लंच आदि का कार्य भी कर सकती है। इसी तरह महाविद्यालय में लंबे समय से उजड़ा हुआ गार्डन की कोई सुध नही ले रहा था । जिसका जीर्णोद्धार करते हुये महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों के सहयोग से यह कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में भूगोल विभाग के डॉ. दुर्गाप्रसाद नामदेव, श्री रविशंकर नाग, श्री आशुतोष गौर, श्री अशोक शेण्डे, श्री सविता मसीह, मंजू सराफ, श्री सुनील कौशल,  संध्या श्रीवास्तव सहित समस्त महाविद्यालय के लोग शामिल है। आगे यह उम्मीद की जा रही है कि जून माह में यहां पर सुंदर-सुंदर दुर्लभ फूलों के वृक्षों का वृक्षारोपण किया जायेगा। जिससे महाविद्यालय में आने वाले छात्र-छात्राओं को स्वच्छ वातावरण में शैक्षणिक अध्यापन का कार्य करने का मौका मिलेगा। उल्लेखनीय है कि पीजी कॉलेज की नई इमारत वर्ष 1986-87 में बनकर तैयार हुई थी और इसके बाद अनेको प्राचार्य एवं प्राध्यापकों ने तो अपने स्तर जो भी प्रयास किये वह तो प्रशंसनीय है ही लेकिन लेकिन श्री सतीश कुमार चिले एवं श्री सुरेश बाटला के प्रयासों से लोक निर्माण विभाग एवं जिला प्रशासन के सहयोग से यहां पर हुये कायाकल्प से एक उम्मीद की किरण जागी है।

न्यून्तम शुल्क में छात्राओं को मिले बस की सुविधा 

इसी तारतम्य में समाजसेवी शंकर माखिजा ने बताया कि दूर गांव से महाविद्यालय आने वाली छात्राओं को पैदल महाविद्यालय पहुंचने में कठिनाई होती है अगर चारों दिशाओं से न्यूनतम शुल्क में बसें प्रारंभ की जाती है तो नगरीय क्षेत्र की अनेक छात्रायें सुलभता से महाविद्यालय समय पर पहुंच सकती है और इसका लाभ महाविद्यालय एवं छात्राओं को मिलेगा। इस पर भी विचार किया जाना चाहिये।

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