जनता के धैर्य की परीक्षा न ले नगर पालिका : नागरिक मोर्चा
इतना पैसा खर्च करने के बाद भी शहर में पीने के पानी का संकट
नल में दूषित पानी आने की मिल रही शिकायत
सिवनी। गोंडवाना समय।
मई का महीना के प्रांरभ में ही सिवनी शहर में पानी का संकट बढ़ गया है। चौक चौराहों पर स्कूल जाने वाली उम्र के बच्चे और महिलाएं सार्वजनिक नलों में लाइन लगाए या हैंडपंप से सायकलों में पानी के कैन भरकर लाते
दिख रहे हैं। पिछले पांच सालों में सिवनी नगरपालिका पीने के पानी की व्यवस्था में लगभग साठ करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। जिसमे नई जलावर्धन योजना पर खर्च शामिल है, यानी सवा लाख लोगों के हिसाब से लगभग 6 हजार रुपये प्रति व्यक्ति या बीस हजार रुपये प्रति परिवार । इतना पैसा खर्च करने के बाद भी शहर में पीने के पानी का संकट है, जनता प्यासी है ऐसा क्यों ? बात साफ है यदि इस पैसे का इस्तेमाल ईमानदारी से किया गया होता तो आज ये स्थिति नही होती। वहीं दूसरी तरफ शहर में जगह जगह से पिछले कई दिनों से नल में दूषित पानी आने की शिकायत आती रही है। नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों और अफसरों का पूरा ध्यान सिर्फ कमीशनखोरी में लगा रहा, सभी को पता था की गर्मी का मौसम आने वाला है और जलसंकट बढ़ेगा लेकिन किसी की नींद नही खुली, जिसका खामियाजा आज शहर का आम नागरिक भुगत रहा है।
जनता के जन प्रतिनिधि जिम्मेदारी निभाने में असमर्थ आ रहे नजर
अभी अभी लोकसभा चुनाव बीता, दोनों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों और नेताओं ने ब्रॉड गेज , एग्रीकल्चर कॉलेज और न जाने क्या क्या बड़े बड़े वादे किये, लेकिन हकीकत ये है कि दोनों दलों के प्रतिनिधित्व वाली नगरपालिका शहर के नागरिक को पीने को पानी तक नही मुहैया करवा पा रही। नवीन जलावर्धन योजना का कार्य लगभग प्रस्तावित रकम से 45 प्रतिशत अधिक रकम पर दिया गया। हमें ये ध्यान देना आवश्यक है की इतने अधिक राशि में पास होने वाली योजना का कायार्देश जनवरी 2015 के बाद नव गठित नगरपालिका द्वारा दे दिया गया था । यह कार्य लगभग 18 महीनो में पूरा होना था। जो लगभग सितम्बर 2016 तक पूरा हो जाना था परन्तु इस पूरे कार्य को करने में अब तक तीन गुने से भी ज्यादा समय अर्थात आज मई 2019 तक में इस योजना से नए कनेक्शन देने में नगरपालिका असमर्थ नजर आ रही है । इसके साथ ही इतनी गर्मी में जहाँ लोगो के घर नल नहीं आ रहे वही पानी के टैंकर भी उन इलाकों में पालिका द्वारा नहीं भेजे जा रहे । इसका एक कारण बताने में जनप्रतिनिधि असमर्थ है, वही लाखो रुपयों में खोदे गए अधिकांश बोर भी बंद पड़े है । इन सबकी जिम्मेदारी शहर के नागरिकों ने अपने जन प्रतिनिधियों को दी थी और जनता के जन प्रतिनिधि इसे निभाने में असमर्थ नजर आ रहे है । जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को ये समझ जाना चाहिए कि इस तरह जनता के धैर्य की परीक्षा लेना ठीक नही है। यदि नगर पालिका ने जल्द से जल्द शहर में पीने का स्वच्छ और पर्याप्त पानी उपलब्ध नही करवाया तो नागरिक सड़कों पर आकर अपने हक के लिए संघर्ष करने मजबूर होंगे।